देहरादून: विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी को आज दोपहर 12 बजे से शीतकाल के लिए बंद कर दी गई है. फूलों की घाटी के बंद होने के बाद घांघरिया से आगे वन विभाग के कर्मचारियों को छोड़कर किसी को भी जाने की अनुमति नहीं होगी. कोरोना संक्रमण के चलते इस साल फूलों की घाटी को एक अगस्त से पर्यटकों के लिए खोला गया था.
बता दें कि बीते सालों में फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए एक जून को खोल दी जाती थी, लेकन इस बार कोरोना महामारी के कारण इसे 2 माह देरी से खोला गया. इस साल 932 पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार किए. जिसमें 10 विदेशी पर्यटक भी फूलों की घाटी पहुंचे थे. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को इस साल पर्यटकों से 14,2900 रुपये की आय प्राप्त हुई है. पर्यटकों की संख्या के लिहाज से साल 2019 सबसे अच्छा था. तब यहां 17,424 देशी विदेशी पर्यटक पहुंचे थे.
वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि घाटी शीतकाल के लिए बंद कर दी गई है. अब यहां किसी भी आम व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. इसके साथ ही घाटी में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए 10 ट्रैप कैमरे लगाने का कार्य भी शुरू कर दिए गए हैं.
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जैव विविधता का खजाना
87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली विश्व धरोहर फूलों की घाटी को जैव विविधता के खजाने के रूप में जाना जाता है. यहां प्राकृतिक रूप से खिलने वाली 500 से ज्यादा प्रजातियों के फूल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. साथ ही घाटी में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों, पशु-पक्षियों का संसार भी यहां बसता है. इस खूबसूरत घाटी के दीदार के लिए हर साल हजारों देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं. इन्हीं खूबियों को देख यूनेस्को ने 2005 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था.