देहरादूनः देश के साइबर क्राइम के मामलों में उत्तराखंड टॉप 5 में सुमार है. आए दिन प्रदेश में साइबर ठगी के साथ अन्य अपराध भी बढ़ रहे हैं. इसको लेकर अब उत्तराखंड पुलिस साइबर साइंस फॉरेंसिक लैब तैयार करने जा रही है, जो आने वाले समय में पुलिस के लिए बड़े फायदेमंद साबित होगी.
उत्तराखंड में हर दिन 50 से ज्यादा मामले साइबर फ्रॉड के थानों में दर्ज हो रहे हैं. साथ ही हत्या, महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं भी प्रदेश में लगातार बढ़ रही है. लेकिन इन मामलों में सबूत कलेक्ट करने लिए उत्तराखंड पुलिस को चंडीगढ़ के साइबर फॉरेंसिक लैब पर निर्भर रहना पड़ता है. हालांकि, सरकार की मदद से अब प्रदेश को जल्द साइबर फॉरेंसिक लैब मिलने जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार से करीब सवा करोड़ रुपये का बजट भी मिल चुका है. इस कदम से किसी भी आपराधिक घटना के दौरान जल्द साइबर फॉरेंसिक की रिपोर्ट प्राप्त करने में मदद मिलेगी. इससे पुलिस समय पर अदालतों के समक्ष जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर सकेंगे और त्वरित सुनवाई हो सकेगी.
इस फॉरेंसिक से जहां साइबर क्राइम पुलिस को मदद मिलेगी, वहीं हत्या के अलावा महिलाओं के साथ हुए जघन्य अपराधों से संबंधित मामलों की जांच में भी गति आएगी. आरोपी या पीड़ित का मोबाइल डाटा भी आसानी से उपलब्ध होगा. वहीं, साइबर फॉरेंसिक विशेषज्ञों की भी भर्ती की जाएगी. डीआईजी सेंथिल अबुदई ने बताया कि साइबर साइंस फॉरेंसिक लैब राज्य पुलिस के लिए बहुत अच्छा कदम है. वर्तमान में एसटीएफ साइबर के इंवेस्टिगेशन में सबसे आगे है. लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट के लिए बाहरी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है. इस कारण एसटीएफ को खुलासा करने पर काफी समय लग जाता है. साइबर साइंस फॉरेंसिक लैब का आधुनिकीकरण होने के बाद एसटीएफ की रिपोर्ट कोर्ट में जल्दी सबमिट की जाएगी और पीड़ित को न्याय जल्दी मिल सकेगा.
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