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उत्तराखंड में 'दिल्ली मॉडल' फेल, AAP के सीएम चेहरे कोठियाल समेत 67 की जमानत जब्त

10 मार्च को उत्तराखंड चुनाव परिणाम में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला. जबकि, कांग्रेस महज 19 सीटों पर सिमटकर रह गई. वहीं, उत्तराखंड में दिल्ली मॉडल को लाने की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की गांरटी पर उत्तराखंड की जनता ने भरोसा नहीं जताया. यही वजह रही है दो प्रत्याशियों को छोड़कर आप के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

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उत्तराखंड को पसंद नहीं आया दिल्ली मॉडल
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Published : Mar 11, 2022, 8:02 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 9:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी की परफॉर्मेंस बेहद खराब रही. पहली बार 70 विधानसभा सीटों पर आप ने प्रत्याशी तो उतारे, लेकिन इनमें 67 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. हालत, यह रही कि पार्टी ने जिन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया, उनको भी बुरी तरीके से हार झेलनी पड़ी. उत्तराखंड में लोगों को दिल्ली मॉडल क्यों पसंद नहीं आया देखिए रिपोर्ट.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की तर्ज पर उत्तराखंड में दिल्ली मॉडल का सपना दिखाने वाले सीएम अरविंद केजरीवाल का जादू नहीं चल सका. ना तो लोगों को अरविंद केजरीवाल की पार्टी की गारंटी पसंद आई और ना ही उनकी की योजनाओं को लोगों ने गंभीरता से लिया. शायद यही कारण है कि पार्टी को इतनी बुरी तरीके से हार झेलनी पड़ी. जिसकी उम्मीद शायद पार्टी ने कभी न की होगी.

वैसे यह हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा सबक भी है. दरअसल, आप ने जिस तरह बिना संगठन और बिना चेहरे के आधी अधूरी तैयारियों के साथ उत्तराखंड में चुनावी शंखनाद किया, उससे पहले ही यह साफ हो गया था कि आप प्रदेश में कोई खास चमत्कार नहीं कर पाएगी, लेकिन चुनाव में पार्टी के इतने खराब हालात होंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था.

सीएम चेहरे कर्नल कोठियाल की भी जमानत जब्त: इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 की 70 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. जिनमें से 67 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई. वहीं, 33 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्हें 1000 से भी कम वोट मिले. जबकि, 32 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्हें 5000 से भी कम लोगों ने पसंद किया, वहीं, आप के सीएम फेस कर्नल अजय कोठियाल की भी जमानत जब्त हो गई. आलम ये रहा कि प्रदेश में आप के 4 प्रत्याशियों को ही 10 हजार से ज्यादा वोट मिले जबकि, बागेश्वर से बसंत कुमार और बाजपुर से सुनीता टम्टा ही अपनी जमानत बचा पाई.

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उत्तराखंड में 'दिल्ली मॉडल' फेल

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई और राज्य में पार्टी को बस 3.31% मत मिले हैं. वोटों के रूप में देखे तो कुल मिलाकर 1,78,134 वोट ही पूरे प्रदेश से आम आदमी पार्टी को मिले. जबकि प्रदेश में कुछ ही सीटों पर चुनाव लड़कर वोट प्रतिशत में तीसरे नंबर पर रही. बसपा को 4.82% कुल 2,59,371 वोट मिले. वहीं, निर्दलीयों को 8.31% यानी 4,47,032 वोट मिले. आम आदमी पार्टी के लिए सम्मानजनक स्थिति वाली सीटों पर नजर दौड़एं तो सबसे करीबी मुकाबला बनाने में बागेश्वर के बसंत कुमार कामयाब रहे. उन्होंने 21% यानी 16,102 मत पाने में कामयाबी हासिल की.

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उत्तराखंड में 'दिल्ली मॉडल' फेल

ये भी पढ़ें: पुष्कर सिंह धामी ने गवर्नर को सौंपा इस्तीफा, नई सरकार बनने तक कार्यवाहक CM रहेंगे

बाजपुर की सुनीता टम्टा ने 18.35% यानी 20,100 वोट पाने में कामयाबी हासिल की. यही दो प्रत्याशी अपनी जमानत भी बचा पाए. अच्छे वोट पाने वालों में काशीपुर के दीपक बाली भी शामिल रहे, जिन्होंने 14.18% यानी 16,074 वोट पाए. उधर सितारगंज में अजय जयसवाल ने 10.47% यानी 10,135 वोट पाए. कर्नल अजय कोठियाल भले ही तीसरे नंबर पर रहे, लेकिन उन्होंने 10.33% वोट यानी 6,161 वोट ही पाने में कामयाबी हासिल की और वह जमानत नहीं बचा पाए.

राज्य में आम आदमी पार्टी की खराब परफॉर्मेंस को लेकर पार्टी भी काफी ज्यादा चिंतित दिखाई दे रही है. हालांकि, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नवीन पिरसाली ने कहा उम्मीदों के अनुरूप पार्टी को परिणाम नहीं मिले हैं, लेकिन पार्टी लगातार काम करती रहेगी और अपने विचारों के आधार पर अगले 5 साल के लिए पार्टी और भी मजबूती से आगे बढ़ेगी.
वैसे उत्तराखंड में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल के नाम पर वोट मांगे थे. यही नहीं उन्होंने राज्य में निशुल्क बिजली से लेकर रोजगार तक के लिए जनता को अलग-अलग गारंटी दी, लेकिन लोगों ने ना तो मुफ्त की योजनाओं को पसंद किया और ना ही दिल्ली मॉडल पर विश्वास किया. इसी का नतीजा था कि पार्टी सीटे पाना तो दूर प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं हो पाए.

देहरादून: उत्तराखंड चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी की परफॉर्मेंस बेहद खराब रही. पहली बार 70 विधानसभा सीटों पर आप ने प्रत्याशी तो उतारे, लेकिन इनमें 67 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. हालत, यह रही कि पार्टी ने जिन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया, उनको भी बुरी तरीके से हार झेलनी पड़ी. उत्तराखंड में लोगों को दिल्ली मॉडल क्यों पसंद नहीं आया देखिए रिपोर्ट.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की तर्ज पर उत्तराखंड में दिल्ली मॉडल का सपना दिखाने वाले सीएम अरविंद केजरीवाल का जादू नहीं चल सका. ना तो लोगों को अरविंद केजरीवाल की पार्टी की गारंटी पसंद आई और ना ही उनकी की योजनाओं को लोगों ने गंभीरता से लिया. शायद यही कारण है कि पार्टी को इतनी बुरी तरीके से हार झेलनी पड़ी. जिसकी उम्मीद शायद पार्टी ने कभी न की होगी.

वैसे यह हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा सबक भी है. दरअसल, आप ने जिस तरह बिना संगठन और बिना चेहरे के आधी अधूरी तैयारियों के साथ उत्तराखंड में चुनावी शंखनाद किया, उससे पहले ही यह साफ हो गया था कि आप प्रदेश में कोई खास चमत्कार नहीं कर पाएगी, लेकिन चुनाव में पार्टी के इतने खराब हालात होंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था.

सीएम चेहरे कर्नल कोठियाल की भी जमानत जब्त: इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 की 70 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. जिनमें से 67 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई. वहीं, 33 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्हें 1000 से भी कम वोट मिले. जबकि, 32 प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्हें 5000 से भी कम लोगों ने पसंद किया, वहीं, आप के सीएम फेस कर्नल अजय कोठियाल की भी जमानत जब्त हो गई. आलम ये रहा कि प्रदेश में आप के 4 प्रत्याशियों को ही 10 हजार से ज्यादा वोट मिले जबकि, बागेश्वर से बसंत कुमार और बाजपुर से सुनीता टम्टा ही अपनी जमानत बचा पाई.

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उत्तराखंड में 'दिल्ली मॉडल' फेल

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई और राज्य में पार्टी को बस 3.31% मत मिले हैं. वोटों के रूप में देखे तो कुल मिलाकर 1,78,134 वोट ही पूरे प्रदेश से आम आदमी पार्टी को मिले. जबकि प्रदेश में कुछ ही सीटों पर चुनाव लड़कर वोट प्रतिशत में तीसरे नंबर पर रही. बसपा को 4.82% कुल 2,59,371 वोट मिले. वहीं, निर्दलीयों को 8.31% यानी 4,47,032 वोट मिले. आम आदमी पार्टी के लिए सम्मानजनक स्थिति वाली सीटों पर नजर दौड़एं तो सबसे करीबी मुकाबला बनाने में बागेश्वर के बसंत कुमार कामयाब रहे. उन्होंने 21% यानी 16,102 मत पाने में कामयाबी हासिल की.

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उत्तराखंड में 'दिल्ली मॉडल' फेल

ये भी पढ़ें: पुष्कर सिंह धामी ने गवर्नर को सौंपा इस्तीफा, नई सरकार बनने तक कार्यवाहक CM रहेंगे

बाजपुर की सुनीता टम्टा ने 18.35% यानी 20,100 वोट पाने में कामयाबी हासिल की. यही दो प्रत्याशी अपनी जमानत भी बचा पाए. अच्छे वोट पाने वालों में काशीपुर के दीपक बाली भी शामिल रहे, जिन्होंने 14.18% यानी 16,074 वोट पाए. उधर सितारगंज में अजय जयसवाल ने 10.47% यानी 10,135 वोट पाए. कर्नल अजय कोठियाल भले ही तीसरे नंबर पर रहे, लेकिन उन्होंने 10.33% वोट यानी 6,161 वोट ही पाने में कामयाबी हासिल की और वह जमानत नहीं बचा पाए.

राज्य में आम आदमी पार्टी की खराब परफॉर्मेंस को लेकर पार्टी भी काफी ज्यादा चिंतित दिखाई दे रही है. हालांकि, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नवीन पिरसाली ने कहा उम्मीदों के अनुरूप पार्टी को परिणाम नहीं मिले हैं, लेकिन पार्टी लगातार काम करती रहेगी और अपने विचारों के आधार पर अगले 5 साल के लिए पार्टी और भी मजबूती से आगे बढ़ेगी.
वैसे उत्तराखंड में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल के नाम पर वोट मांगे थे. यही नहीं उन्होंने राज्य में निशुल्क बिजली से लेकर रोजगार तक के लिए जनता को अलग-अलग गारंटी दी, लेकिन लोगों ने ना तो मुफ्त की योजनाओं को पसंद किया और ना ही दिल्ली मॉडल पर विश्वास किया. इसी का नतीजा था कि पार्टी सीटे पाना तो दूर प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं हो पाए.

Last Updated : Mar 11, 2022, 9:26 PM IST
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