देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम आवागमन के लिए राज्य की रीढ़ की हड्डी है. वहीं कोरोनाकाल में उत्तराखंड परिवहन निगम को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिससे परिवहन निगम दिनों-दिन घाटे में जा रहा है. वहीं विभाग का सालाना मोटा खर्च भी घाटे की वजह माना जा रहा है.
आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया, यह कहावत उत्तराखंड परिवहन निगम पर चरितार्थ हो रही है. उत्तराखंड परिवहन निगम की जांच में सालाना आय कम होती जा रही है, जबकि खर्चे बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि, परिवहन निगम के घाटे में डूबने के कई कारण हैं. जिसमें एक बड़ा कारण परिवहन निगम का फिक्स खर्चा भी है. क्योंकि परिवहन निगम का सालाना फिक्स खर्च करीब 306.22 करोड़ रुपये है. जिसमें कर्मचारियों के वेतन समेत सभी तरह की देनदारी शामिल हैं. यानी यह कह सकते हैं कि हर साल परिवहन निगम का करीब 306.22 करोड़ रुपए व्यय होना ही है.
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उत्तराखंड परिवहन निगम राज्य गठन के बाद से ही लगातार साल दर साल घाटे में डूबता जा रहा है. वर्तमान हालात यह है कि परिवहन निगम के पास कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए पैसे नहीं हैं. जहां एक ओर परिवहन निगम पहले से ही अपने आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, वहीं, वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद परिवहन निगम की स्थिति बद से बदतर हो गई. हालांकि, कोविड काल के बाद, अब वर्तमान समय में परिवहन निगम की स्थिति में धीरे-धीरे सुधर रही है.
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गौर हो कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य में ट्रांसपोर्टेशन का एकमात्र विकल्प बस है. क्योंकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में रेल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. पर्वतीय क्षेत्रों में हेली की सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन चार्ज ज्यादा होने की वजह से अधिकतर लोग सड़क परिवहन को ही प्राथमिकता देते हैं. प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में जाने के लिए लगभग अधिकांश लोग बस सेवा का इस्तेमाल करते हैं. वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य में हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. बावजूद इसके परिवहन विभाग का लगातार घाटे में जाना तमाम तरह के सवाल खड़े करता है. ऐसे में राज्य सरकार को परिवहन निगम के घाटे को लेकर नए सिरे से मंथन करने की जरूरत है.
हर साल परिवहन निगम को नुकसान...
- वित्तीय वर्ष 2012-13 में परिवहन निगम की कुल आय 311 करोड़ 01 लाख 57 हजार रुपए थी, जबकि 336 करोड़ 36 लाख 40 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 25 करोड़ 34 लाख 83 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2013-14 में परिवहन निगम की कुल आय 364 करोड़ 64 लाख 05 हजार रुपए थी, जबकि 402 करोड़ 63 लाख 25 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 37 करोड़ 99 लाख 20 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2014-15 में परिवहन निगम की कुल आय 404 करोड़ 80 लाख 26 हज़ार रुपए थी, जबकि 439 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 34 करोड़ 93 लाख 64 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2015-16 में परिवहन निगम की कुल आय 431 करोड़ 46 लाख 23 हजार रुपए थी, जबकि 442 करोड़ 03 लाख 80 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 10 करोड़ 57 लाख 57 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2016-17 में परिवहन निगम की कुल आय 462 करोड़ 50 लाख 17 हजार रुपए थी, जबकि 481 करोड़ 85 लाख 35 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 19 करोड़ 35 लाख 18 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में परिवहन निगम की कुल आय 514 करोड़ 03 लाख 30 हज़ार रुपए थी, जबकि 537 करोड़ 04 लाख 98 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 23 करोड़ 01 लाख 68 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2018-19 में परिवहन निगम की कुल आय 515 करोड़ 66 लाख 71 हजार रुपए थी, जबकि 560 करोड़ 23 लाख 50 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 44 करोड़ 56 लाख 79 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में परिवहन निगम की कुल आय 487 करोड़ 93 लाख 09 हजार रुपए थी, जबकि 535 करोड़ 48 लाख 43 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 47 करोड़ 55 लाख 34 हजार रुपये का घाटा हुआ था.
- वहीं, वित्तीय वर्ष 2020-21 में परिवहन निगम की कुल आय 261 करोड़ 90 लाख 42 हजार रुपए थी, जबकि 423 करोड़ 03 लाख 98 हजार रुपये का व्यय हुआ था. ऐसे में इस वित्तीय परिवहन निगम को 161 करोड़ 13 लाख 56 हजार रुपये का घाटा हुआ है.
परिवहन निगम के सालाना फिक्स खर्च का ये है आंकड़ा...
- सेवानिवृत कार्मिकों की ग्रेच्युटी - 37.10 करोड़ रुपए
- नकदीकरण - 43.50 करोड़ रुपए
- कर्मचारियों का ओवर टाईम - 11.05 करोड़ रुपए.
- एसीपी एरियर - 9.28 करोड़ रुपए.
- वेतन एरियर - 3.90 करोड़ रुपए.
- राष्ट्रीय पर्व - 1.70 करोड़ रुपए.
- चिकित्सा प्रतिपूर्ति - 2.10 करोड़ रुपए.
- टीए बिल - 0.74 करोड़ रुपए.
- नियमित कार्मिकों का वेतन - 49.84 करोड़ रुपए.
- संविदा, विशेष श्रेणी/आउटसोर्स कार्मिक वेतन - 18.12 करोड़ रुपए.
- ईपीएफ / ईएसआई - 15.76 करोड़ रुपए.
- उत्तर प्रदेश/अन्य राज्य कर - 18.07 करोड़ रुपए.
- बस कार्यशाला - 19.23 करोड़ रुपए.
- अनुबन्धित बसों का देय - 31 करोड़ रुपए.
- सभी भवनों और पार्किंग स्पेस का किराया - 5 करोड़ रुपए.
- कोर्ट/ क्लेम आदि का देय - 9.60 करोड़ रुपए.
- जीएसटी - 0.45 करोड़ रुपए.
- सोसाइटी- 28.70 करोड़ रुपए.
- पेंशन धनराशि - 1.08 करोड़ रुपए.