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सवालों के घेरे में उत्तराखंड परिवहन विभाग, अब तक सरकार को नहीं लौटाया करोड़ों का बजट - देहरादून हिंदी समाचार

प्रदेश सरकार ने साल 2010-11 में परिवहन विभाग को बस अड्डा निर्माण के लिए 1.70 करोड़ रुपए का बजट जारी किया था. लेकिन तब राजस्व विभाग ने मुफ्त में जमीन उपलब्ध करा दी थी. वहीं, विभाग ने आज तक स्वीकृत बजट का लेखा-जोखा सरकार को नहीं दिया है.

Uttarakhand Transport Corporation
सवालों के घेरे में उत्तराखंड परिवहन विभाग
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Published : Oct 22, 2020, 7:47 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम पर सरकारी बजट के खर्च को लेकर कई बार सवाल खड़े हो रहे चुके हैं. वहीं इस बार मामला उधम सिंह नगर के गदरपुर का है, जहां साल 2010-11 में बस अड्डे का निर्माण होना था. इसके लिए सरकार द्वारा 1.70 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया था. हालांकि निगम को तब राजस्व विभाग की जमीन मुफ्त में मिल गई थी. ऐसे में निगम ने सरकार द्वारा जारी बजट को वापस नहीं किया है.

जानकारी के मुताबिक साल 2010-11 में उधम सिंह नगर के गदरपुर में बस अड्डा निर्माण के लिए जमीन खरीदनी थी. इसके लिए उत्तराखंड परिवहन निगम को प्रदेश सरकार की ओर से 1.70 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत हुई थी. इस बजट से परिवहन निगम को बस अड्डा निर्माण के लिए वन विभाग से करीब 1.5 एकड़ जमीन खरीदनी थी, लेकिन निगम को तब किसी दूसरे स्थान पर मुफ्त में राजस्व विभाग की जमीन मिल गई थी.

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वहीं, स्वीकृत बजट खर्च न होने पर परिवहन निगम प्रबंधन को 1.70 करोड़ की धनराशि निगम को लौटानी थी. लेकिन अब लगभग 10 साल का समय पूरा हो चुका है. लेकिन निगम प्रबंधन अब तक सरकार की धनराशि को नहीं लौटाई है और ना ही इसका ब्यौरा दिया गया है.आखिर ये धनराशि किस मद में खर्च की गई है.

ये भी पढ़ें: MPL ने बदली उत्तरकाशी के अनुज रावत की किस्मत, जीते एक करोड़ रुपये

उधर इस पूरे मामले में सितंबर साल 2019 में परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को जांच के आदेश दिए थे. लेकिन इधर एक साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सरकार द्वारा दी गई धनराशि कहां खर्च हुई है और किसकी अनुमति से इन पैसों को खर्च किया गया है.

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम पर सरकारी बजट के खर्च को लेकर कई बार सवाल खड़े हो रहे चुके हैं. वहीं इस बार मामला उधम सिंह नगर के गदरपुर का है, जहां साल 2010-11 में बस अड्डे का निर्माण होना था. इसके लिए सरकार द्वारा 1.70 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया था. हालांकि निगम को तब राजस्व विभाग की जमीन मुफ्त में मिल गई थी. ऐसे में निगम ने सरकार द्वारा जारी बजट को वापस नहीं किया है.

जानकारी के मुताबिक साल 2010-11 में उधम सिंह नगर के गदरपुर में बस अड्डा निर्माण के लिए जमीन खरीदनी थी. इसके लिए उत्तराखंड परिवहन निगम को प्रदेश सरकार की ओर से 1.70 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत हुई थी. इस बजट से परिवहन निगम को बस अड्डा निर्माण के लिए वन विभाग से करीब 1.5 एकड़ जमीन खरीदनी थी, लेकिन निगम को तब किसी दूसरे स्थान पर मुफ्त में राजस्व विभाग की जमीन मिल गई थी.

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वहीं, स्वीकृत बजट खर्च न होने पर परिवहन निगम प्रबंधन को 1.70 करोड़ की धनराशि निगम को लौटानी थी. लेकिन अब लगभग 10 साल का समय पूरा हो चुका है. लेकिन निगम प्रबंधन अब तक सरकार की धनराशि को नहीं लौटाई है और ना ही इसका ब्यौरा दिया गया है.आखिर ये धनराशि किस मद में खर्च की गई है.

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उधर इस पूरे मामले में सितंबर साल 2019 में परिवहन सचिव शैलेश बगोली ने उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को जांच के आदेश दिए थे. लेकिन इधर एक साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सरकार द्वारा दी गई धनराशि कहां खर्च हुई है और किसकी अनुमति से इन पैसों को खर्च किया गया है.

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