देहरादून: अप्रैल-मई के महीनों में पर्यटकों से गुलजार रहने वाले उत्तराखंड में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. कोरोना और लॉकडाउन की मार से यहां के पर्यटन के साथ ही जनजीवन पर भी गहरा असर पड़ा है. देशव्यापी लॉकडाउन से चारधाम यात्रा और पर्यटन व्यवसाय पर आश्रित रहने वाले प्रदेश के लाखों परिवारों के सामने इस वक्त रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. लगभग बंद पड़ी चारधाम यात्रा, पर्यटन, राफ्टिंग, परिवहन और होटल व्यवसाय इसकी तस्दीक करते हैं.
पर्यटकों से पटे रहने वाले मुख्य पर्यटक स्थल मसूरी, धनौल्टी, नैनीताल, फूलों की घाटी, औली, लैंसडाउन, टिहरी में भी इन दिनों नीम खामोशी छाई हुई है. कोरोना और लॉकडाउन के कारण पर्यटक घरों से निकलने से परहेज कर रहे हैं, जिसके कारण आये दिन होटल, टैंपो ट्रेवलर और बसों की बुकिंग कैंसिल हो रही है. जिसके कारण व्यापारियों, छोटे दुकानदारों और सरकार की पेशानी पर चिंता की लकीरें बढ़ने लगी हैं. आइये अब तक लॉकडाउन के कारण कैंसिल हुई बुकिंग्स पर एक नजर डालते हैं.
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'लॉकडाउन' हुई एडवांस बुकिंग
- पहाड़ों की रानी मसूरी में अभी तक 50% से अधिक होटलों की बुकिंग कैंसिल
- बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, औली में भी तकरीबन 30% बुकिंग रद्द
- धर्मनगरी हरिद्वार में भी 70% बुकिंग कैंसिल
- योगनगरी ऋषिकेश में लॉकडाउन के कारण 60 % बुकिंग प्रभावित
- लैंसडाउन में 40 % तक की बुकिंग को झटका
- टिहरी लेक पहुंचने वाले पर्यटकों ने भी एडवांस बुकिंग को कहा 'ना'
- हिल स्टेशन कौसानी में 90% बुकिंग पड़ा लॉकडउन का असर
लॉकडाउन से लाखों-करोड़ों का नुकसान और कमरतोड़ आर्थिकी के ये वो तमाम आकंड़ें हैं जो सरकार और व्यापारियों की चिंता का सबब बने हुए हैं. इसके अलावा चारधाम यात्रा और उससे जुड़े पहलूओं पर भी गौर किया जाए तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है. भले ही उत्तराखंड राज्य को पर्यटन प्रदेश बनाने के दृष्टिगत, पर्यटकों को नए पर्यटक स्थलों से रूबरू कराने और पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर पर्यटन विभाग साल 2019 से ही कवायद में जुट गया था, जिसके तहत आगामी 2020 के लिए भी रणनीति बनाई गई थी. मगर कोरोना की दस्तक ने पर्यटन विभाग के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया. बात अगर बीते सालों की करें तो यहां चारधाम यात्रा में पहुंचे देश और विदेश से श्रद्धालुओं का आंकड़ा एक बाद एक रिकॉर्ड तोड़ रहा.
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बीते सालों में पर्यटकों से गुलजार उत्तराखंड
साल | कुल संख्या(करोड़) | भारतीय | विदेशी |
2014 | 2,26,30,045 | 2,25,20,097 | 1,09,948 |
2015 | 2,94,06,246 | 2,92,95,152 | 1,11,094 |
2016 | 3,17,76,581 | 3,16,63,782 | 1,12,799 |
2017 | 3,47,23,199 | 3,45,81,097 | 1,42,102 |
2018 | 3,68,52,204 | 3,66,97,678 | 1,54,526 |
वहीं बात अगर पिछले साल के चारधाम पहुंचने वाले आकड़ों की बात करें तो प्रदेश में भारत के अलग-अलग कोने से 3,66,97,678 करोड़ श्रद्धालुओं के साथ ही 1,54,526 लाख विदेशी श्रद्धालु पहुंचे, कुल मिलाकर पिछले साल चारों धामों में करीब 3,68,52,204 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे.
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साल 2019 में चारधाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या
धाम | श्रद्धालुओं की संख्या |
केदारनाथ | 10,000,21 लाख |
बदरीनाथ धाम | 12,449,93 लाख |
यमुनोत्री | 4,65,534 हजार |
गंगोत्री धाम | 5,30,334 लाख |
हालांकि त्रिवेंद्र सरकार चारधाम यात्रा शुरू करने के लिए आश्वसत हैं, मगर देश के मौजूदा हालातों को देखते हुए सवाल खड़ा होता है कि क्या इस बार भी यात्रा के आंकड़े बुझे हुए चेहरों पर मुस्कान ला पाएंगे.
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पर्यटन की अपार संभावनाओं वाले प्रदेश में लॉकडाउन ने जीवन की रफ्तार को पूरी तरह से रोक दिया है. आमतौर पर सीजन में जहां हजारों पर्यटकों के पहुंचने से सरकार, कारोबारियों और कामगारों की बांछे खिल जाती थी वहां इन दिनों मायूसी बिखरी पड़ी है. ऐसे में आने वाले दिनों में देखने वाली बात ये होगी कि केंद्र और राज्य सरकार प्रदेश की आर्थिकी, व्यवसायियों के हालात, पर्यटन की स्थिति और प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए सरकार क्या रणनीति बनाती है.