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UTU Foundation Day: पाकिस्तान को धूल चटाने वाले T55 टैंक का हुआ अनावरण, IMA के साथ भी किया MoU

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के मौके पर T55 टैंक और माधो सिंह भंडारी की मूर्ति का अनावरण किया गया. इसके अलावा यूटीयू का आईएमए और केवीएस प्रीमियर फाउंडेशन काशीपुर के बीच एमओयू साइन किया गया. जबकि, पहली बार यूटीयू एल्यूमिनी एसोसिएशन का गठन भी किया गया.

Uttarakhand technical university
T55 टैंक का हुआ अनावरण
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Published : Jan 27, 2023, 10:53 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का 19वां स्थापना वर्ष धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने विवि परिसर में भारतीय सेना की शान रहे T55 टैंक ट्रॉफी और वीर माधो सिंह भंडारी की मूर्ति का अनावरण किया. माधो सिंह भंडारी पारंपरिक यांत्रिकी का पुरोधा भी माना जाता है. जबकि, T55 टैंक ने 1971 की लड़ाई में पाक को धूल चटाई थी. वहीं, उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय और भारतीय सैन्य अकादमी के बीच शोध एवं अध्ययन संबंधित एमओयू साइन किए.

टी 55 टैंक ने पाकिस्तान को चटाई थी धूलः वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित आर्मी टैंक टी 55 युद्धक ट्रॉफी रक्षा मंत्रालय के आयुध निदेशालय के माध्यम से पुणे के सेंट्रल आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स डिपो से लाया गया है. टी 55 युद्धक टैंक रूस की ओर से निर्मित उस श्रृंखला का टैंक है, जिसका दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. वर्तमान में 50 से ज्यादा देश इस टैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

टी 55 वो युद्धक टैंक है. जिसने साल 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी. जिसके कारण दुनिया के मानचित्र पर नए राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का सृजन हुआ. यह वो टैंक है, जिसने कई सालों तक भारतीय सेना को सेवाएं देकर देश की रक्षा की है. यूटीयू विश्वविद्यालय में इस टैंक की स्थापना होने से इसकी शौर्य गाथा की जानकारी छात्र-छात्राओं को पढ़ने को मिलेगी.

गढ़वाल के पहले इंजीनियर माने जाते हैं माधो सिंह भंडारीः वीर माधो सिंह भंडारी का जन्म साल 1595 के आस पास टिहरी के मलेथा गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम सोणबाण कालो भंडारी था. माधो सिंह भंडारी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भंडारी को एक बड़ी जागीर भी भेंट की थी. माधो सिंह भंडारी कम उम्र में ही श्रीनगर के शाही दरबार में सेना में भर्ती हो गए और अपनी वीरता व युद्ध कौशल से सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंच गए.

माधो सिंह भंडारी टिहरी नरेश राजा महिपात शाह (1629-1646) की सेना में सेनाध्यक्ष रहे थे. जहां उन्होंने कई नए क्षेत्रों में राजा के राज्य को विस्तार देते हुए कई किलों को बनवाने में मदद की. उन्होंने कई महीनों की मेहनत के बाद चंद्रभागा नदी से पहाड़ी में सुरंग तैयार कर मलेथा गांव तक पानी पहुंचाया था. उन्होंने गूल बनाने में एक इंजीनियर की भूमिका निभाई. इस दौरान उन्होंने अपने बेटे की बलि भी दी थी. माधो सिंह भंडारी को गढ़वाल का पहला इंजीनियर भी माना जाता है. जिसने असंभव कार्य को अपने हुनर के चलते संभव कर दिखाया था.

UTU ने IMA समेत किए ये MOU: यूटीयू ने स्थापना दिवस के मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में 3 एमओयू (MOU) साइन किए. जिसमें UTU और IMA देहरादून के बीच साल 2012 से हुए MOU का विस्तार किया गया. जिसके अंतर्गत वर्तमान में भारतीय सेना और मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट्स को मिलिट्री स्टडीज और डिफेंस मैनेजमेंट के क्षेत्र में डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान किया जा रहा है. अब दोनों ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उसी एमओयू की शर्तों को विस्तार किया है. इसके तहत आईएमए में द्वितीय और तृतीय अवधि के प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले भारतीय सेना और मित्र राष्ट्रों के आवेदन योग्य सभी ग्रेजुएट जेंटलमैन कैडेट्स को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मिलिट्री स्टडीज एंड डिफेंस मैनेजमेंट में अवार्ड दिया जाएगा.
ये भी पढ़ेंः UTU वीसी ओंकार सिंह से खास बातचीत, नई शिक्षा नीति के तहत होगी नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत

वहीं, दूसरी ओर वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केवीएस प्रीमियर फाउंडेशन काशीपुर के बीच MOU हुआ. जिसका उद्देश्य एक प्रायोजित स्वर्ण पदक की स्थापना के साथ बीटेक के मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को प्रोत्साहित करना है. केवीएस प्रीमियर फाउंडेशन स्कॉलरशिप के नाम से 2500 की धनराशि, सिविल इंजीनियरिंग में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमजोर व होनहार दो छात्रों को प्रति माह के आधार विश्वविद्यालय में संचित की जाएगी. इस राशि को चयनित छात्रों को वार्षिक आधार पर पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी. छात्रवृत्ति वितरण के लिए एक तीन सदस्यीय छात्रवृत्ति प्रबंधन समिति होगी. जो पुरस्कार के लिए छात्रों का चयन करेगी.

IIT, NIT और IIM के छात्रों को बांटी गई 50 रुपए की धनराशिः इस अवसर पर सीएमएआई एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ मिल कर उच्च शिक्षा में आधुनिक आवश्यकताओं अनुरूप विशेषज्ञों की सेवाएं लेने और साइबर क्षेत्र जैसी नवीन विधाओं में ट्रेनिंग दिए जाने के लिए एक समझौता करार हुआ. वहीं, इस मौके पर देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम में प्रवेश पाए उत्तराखंड के स्थायी निवासी 251 छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री की ओर से पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपए की धनराशि प्रति स्टूडेंट को वितरित किए गए.

यूटीयू एल्यूमिनी एसोसिएशन का गठनः विश्वविद्यालय में 19वें स्थापना दिवस के मौके पर पहली बार यूटीयू एल्यूमिनी एसोसिएशन का गठन किया गया. जिसकी एग्जीक्यूटिव कमेटी बनाई गई. जिसमें विश्वविद्यालय के पास आउट छात्र शामिल हैं. स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय की प्रथम एल्युमिनाई मीट का आयोजन भी किया गया है. एल्यूमनी के लिए यूटीयू यंग एल्यूमिनी अवार्ड, यूटीयू रिसेंट एल्यूमिनी अचीवमेंट अवार्ड और यूटीयू रिसेंट एल्यूमिनी सर्विस अवार्ड की तीन श्रेणियां निर्धारित की गई है. ये अवार्ड विवि की ओर से विभिन्न पाठ्यक्रमों इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, मैनेजमेंट, लॉ एवं होटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रदान किया गया.

देहरादूनः उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का 19वां स्थापना वर्ष धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने विवि परिसर में भारतीय सेना की शान रहे T55 टैंक ट्रॉफी और वीर माधो सिंह भंडारी की मूर्ति का अनावरण किया. माधो सिंह भंडारी पारंपरिक यांत्रिकी का पुरोधा भी माना जाता है. जबकि, T55 टैंक ने 1971 की लड़ाई में पाक को धूल चटाई थी. वहीं, उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय और भारतीय सैन्य अकादमी के बीच शोध एवं अध्ययन संबंधित एमओयू साइन किए.

टी 55 टैंक ने पाकिस्तान को चटाई थी धूलः वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित आर्मी टैंक टी 55 युद्धक ट्रॉफी रक्षा मंत्रालय के आयुध निदेशालय के माध्यम से पुणे के सेंट्रल आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स डिपो से लाया गया है. टी 55 युद्धक टैंक रूस की ओर से निर्मित उस श्रृंखला का टैंक है, जिसका दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. वर्तमान में 50 से ज्यादा देश इस टैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

टी 55 वो युद्धक टैंक है. जिसने साल 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी. जिसके कारण दुनिया के मानचित्र पर नए राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का सृजन हुआ. यह वो टैंक है, जिसने कई सालों तक भारतीय सेना को सेवाएं देकर देश की रक्षा की है. यूटीयू विश्वविद्यालय में इस टैंक की स्थापना होने से इसकी शौर्य गाथा की जानकारी छात्र-छात्राओं को पढ़ने को मिलेगी.

गढ़वाल के पहले इंजीनियर माने जाते हैं माधो सिंह भंडारीः वीर माधो सिंह भंडारी का जन्म साल 1595 के आस पास टिहरी के मलेथा गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम सोणबाण कालो भंडारी था. माधो सिंह भंडारी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भंडारी को एक बड़ी जागीर भी भेंट की थी. माधो सिंह भंडारी कम उम्र में ही श्रीनगर के शाही दरबार में सेना में भर्ती हो गए और अपनी वीरता व युद्ध कौशल से सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंच गए.

माधो सिंह भंडारी टिहरी नरेश राजा महिपात शाह (1629-1646) की सेना में सेनाध्यक्ष रहे थे. जहां उन्होंने कई नए क्षेत्रों में राजा के राज्य को विस्तार देते हुए कई किलों को बनवाने में मदद की. उन्होंने कई महीनों की मेहनत के बाद चंद्रभागा नदी से पहाड़ी में सुरंग तैयार कर मलेथा गांव तक पानी पहुंचाया था. उन्होंने गूल बनाने में एक इंजीनियर की भूमिका निभाई. इस दौरान उन्होंने अपने बेटे की बलि भी दी थी. माधो सिंह भंडारी को गढ़वाल का पहला इंजीनियर भी माना जाता है. जिसने असंभव कार्य को अपने हुनर के चलते संभव कर दिखाया था.

UTU ने IMA समेत किए ये MOU: यूटीयू ने स्थापना दिवस के मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में 3 एमओयू (MOU) साइन किए. जिसमें UTU और IMA देहरादून के बीच साल 2012 से हुए MOU का विस्तार किया गया. जिसके अंतर्गत वर्तमान में भारतीय सेना और मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट्स को मिलिट्री स्टडीज और डिफेंस मैनेजमेंट के क्षेत्र में डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान किया जा रहा है. अब दोनों ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उसी एमओयू की शर्तों को विस्तार किया है. इसके तहत आईएमए में द्वितीय और तृतीय अवधि के प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले भारतीय सेना और मित्र राष्ट्रों के आवेदन योग्य सभी ग्रेजुएट जेंटलमैन कैडेट्स को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मिलिट्री स्टडीज एंड डिफेंस मैनेजमेंट में अवार्ड दिया जाएगा.
ये भी पढ़ेंः UTU वीसी ओंकार सिंह से खास बातचीत, नई शिक्षा नीति के तहत होगी नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत

वहीं, दूसरी ओर वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केवीएस प्रीमियर फाउंडेशन काशीपुर के बीच MOU हुआ. जिसका उद्देश्य एक प्रायोजित स्वर्ण पदक की स्थापना के साथ बीटेक के मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को प्रोत्साहित करना है. केवीएस प्रीमियर फाउंडेशन स्कॉलरशिप के नाम से 2500 की धनराशि, सिविल इंजीनियरिंग में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमजोर व होनहार दो छात्रों को प्रति माह के आधार विश्वविद्यालय में संचित की जाएगी. इस राशि को चयनित छात्रों को वार्षिक आधार पर पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी. छात्रवृत्ति वितरण के लिए एक तीन सदस्यीय छात्रवृत्ति प्रबंधन समिति होगी. जो पुरस्कार के लिए छात्रों का चयन करेगी.

IIT, NIT और IIM के छात्रों को बांटी गई 50 रुपए की धनराशिः इस अवसर पर सीएमएआई एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ मिल कर उच्च शिक्षा में आधुनिक आवश्यकताओं अनुरूप विशेषज्ञों की सेवाएं लेने और साइबर क्षेत्र जैसी नवीन विधाओं में ट्रेनिंग दिए जाने के लिए एक समझौता करार हुआ. वहीं, इस मौके पर देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम में प्रवेश पाए उत्तराखंड के स्थायी निवासी 251 छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री की ओर से पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपए की धनराशि प्रति स्टूडेंट को वितरित किए गए.

यूटीयू एल्यूमिनी एसोसिएशन का गठनः विश्वविद्यालय में 19वें स्थापना दिवस के मौके पर पहली बार यूटीयू एल्यूमिनी एसोसिएशन का गठन किया गया. जिसकी एग्जीक्यूटिव कमेटी बनाई गई. जिसमें विश्वविद्यालय के पास आउट छात्र शामिल हैं. स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय की प्रथम एल्युमिनाई मीट का आयोजन भी किया गया है. एल्यूमनी के लिए यूटीयू यंग एल्यूमिनी अवार्ड, यूटीयू रिसेंट एल्यूमिनी अचीवमेंट अवार्ड और यूटीयू रिसेंट एल्यूमिनी सर्विस अवार्ड की तीन श्रेणियां निर्धारित की गई है. ये अवार्ड विवि की ओर से विभिन्न पाठ्यक्रमों इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, मैनेजमेंट, लॉ एवं होटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रदान किया गया.

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