रुद्रप्रयाग/खटीमा: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को भारत सरकार रोमानिया के रास्ते से निकाल रही है. शनिवार शाम तक उत्तराखंड शासन ने 226 उत्तराखंड के नागरिकों की सूची विदेश मंत्रालय को भेजी है. इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार लगातार भारत सरकार और विदेश मंत्रालय के संपर्क में हैं. इस बीच चंपावत जनपद के बनबसा रहने वाली सोनाली गुप्ता भी यूक्रेन में फंसी हैं. परिवार ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
नेपाल सीमा से लगे बनबसा में बर्तन एवं कपड़ों की दुकान चलाने वाले किशोर कुमार गुप्ता की पुत्री सोनाली गुप्ता यूक्रेन में एमबीबीएस फोर्थ ईयर की छात्रा है. सोनाली की सुरक्षा को लेकर उनके परिजन बेहद चिंतित हैं. सोनाली के माता-पिता का कहना है कि उनकी बच्ची और अन्य कई छात्र-छात्राएं बीते चार-पांच दिनों से लगातार कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.
किशोर कुमार ने बताया कि उनके पास राशन व अन्य सुविधाओं की भारी कमी है. ऐसे में भारतीय दूतावास ने वहां फसे लोगों से रोमानिया के बॉर्डर तक का सफर खुद करने के निर्देशों के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. वहीं, सरकार द्वारा जारी किए नंबरों पर भी किसी से बात नहीं हो पा रही है. ऐसे में सोनाली के माता-पिता ने सरकार से सकुशल वापसी की गुहार लगाई है.
रुद्रप्रयाग जनपद के चार छात्रों के साथ एक व्यक्ति भी यूक्रेन में फंसा हुआ है. चारों छात्र जहां यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए हैं, जबकि युवक नौकरी करने गया था और वह किसी होटल में वेटर का काम करता है. जिले के तोलियो जगोठ का अंकित चन्द्र, फलई अगस्त्यमुनि की अवंतिका, नागजगई गुप्तकाशी के उत्कर्ष शुक्ला, बंजपाणी ऊखीमठ की उपाक्षी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए हैं. जबकि बरसूड़ी बच्छणस्यूं निवासी धूम सिंह नौकरी कर रहा है. बच्चों के परिजनों से तो परिजनों की बात हो रही है, लेकिन उक्त व्यक्ति के परिजनों से नहीं हो पा रही है, जिस कारण प्रशासन भी परेशान है.
पढ़ें- Ukraine Russia War: यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के तीन छात्र पहुंचे स्वदेश, CM धामी ने PM और अधिकारियों का जताया आभार
छात्रों के परिजनों से बात होने पर उन्होंने बताया कि यहां अब पानी भी नहीं मिल रहा है, जबकि खाने को भी कुछ नहीं है. रात-दिन बम के धमाके सुनाई दे रहे हैं, जबकि चारों ओर धुंआ ही धुंआ नजर आ रहा है. रात के अंधेरे में भी धमाके हो रहे हैं. सभी छात्रों में दहशत बनी हुई है.
यूक्रेन में फंसे छात्र अंकित के पिता डीएल मंगवाल ने बताया कि कल से वे अपने बेटे से बात नहीं कर पाये हैं. अन्य बच्चों के परिजनों से बातचीत करने पर पता चला है कि जहां पर वे रह रहे हैं, वहां हालात काफी खराब हैं. खाने और पीने के लिए कुछ नहीं बचा है. उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो गयी हैं. उन्होंने भारत सरकार जल्द से जल्द बच्चों को वापस बुलाने की मांग की है.
AIMIM ने देहरादून में किया प्रदर्शन
यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सियासत शुरू हो गई है. आज AIMIM के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. AIMIM के पदाधिकारियों ने प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ना तो यूक्रेन में रह रहे भारतीय लोगों को लेकर गंभीर है और ना ही कोई ऐसा आंकड़ा जारी कर रही है कि कितने लोग भारत के यूक्रेन में फंसे हैं.
पार्टी के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष विनोद कुमार का कहना है कि. वहां फंसे छात्र ट्वीट कर रहे हैं कि उनसे भारत लाने की एवज में 50 हजार से लेकर लाखों रुपए किराए के तौर पर वसूले जा रहे हैं. उन्होंने इस को लेकर छात्रों के ट्वीट का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं, जिसका केंद्र सरकार को संज्ञान लेना चाहिए.