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तीन बड़े घोटालों के साथ फॉरेस्ट गार्ड भर्ती की भी परतें खोलेगी STF, UKSSSC वाले हाकम से जुड़ा लिंक - uttarakhand STF

UKSSSC पेपर लीक मामले में उत्तराखंड एसटीएफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद उत्तराखंड STF को तीन अन्य भर्ती घोटालों की जांच भी सौंपी गई है. इनमें सचिवालय रक्षक और कनिष्ठ सहायक के अलावा 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला शामिल है.

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फॉरेस्ट गार्ड भर्ती की परतें खोलेगी एसटीएफ
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Published : Aug 20, 2022, 8:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak Case) मामले में ताबड़तोड़ सफलता हासिल करने वाली उत्तराखंड STF को तीन अन्य भर्ती घोटालों की जांच भी सौंपी गई है. इनमें सचिवालय रक्षक और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) के अलावा 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला शामिल है.

हालांकि, 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले (2020 forest guard recruitment scam) की फिर से परीक्षण जांच STF के लिए किसी टेड़ी खीर ने कम नहीं होगी, क्योंकि इस केस में पहले ही हरिद्वार और पौड़ी पुलिस 50 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसके बाद ये मामला हाई कोर्ट में पहुंचा था लेकिन दोनों पक्षों की ओर से (नकल करने और करवाने वाले) कोर्ट के बाहर ही समझौता कर लिया गया था, जिसके बाद हाईकोर्ट से ये केस निस्तारित कर दिया गया.

हालांकि, उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी लेकिन वहां से भी जांच को गति नहीं मिल सकी और पूरा केस कंपाउंड कर निस्तारित हो चुका है. ऐसे में अब एक बार फिर से फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले की री-इन्वेस्टीगेशन करना एसटीएफ के लिए बेहद कठिन चुनौतीपूर्ण है. इस भर्ती में नियुक्ति भी हो चुकी हैं और भर्ती गड़बड़ी से जुड़े तमाम सबूत भी मिटाए जाने की भी खबर है.

2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले की फिर से जांच क्यों? UKSSSC पेपर लीक केस में उत्तराखंड STF लगातार कड़ियों से कड़ियां जोड़ते हुए जांच में काफी आगे बढ़ गई है. अब तक उत्तरकाशी जखोल के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह सहित 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, हाकम सिंह की गिरफ्तारी (Hakam Singh arrest) के बाद 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला फिर जांच के दायरे में आ गया है. दरअसल, हाकम सिंह से पूछताछ में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले से जुड़ी कुछ कड़ियां STF के हाथ लगी हैं. ऐसे में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला फिर से जांच के दायरे में आ गया है. सूत्रों के मुताबिक, फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले में भी कहीं न कहीं हाकम सिंह का हाथ सामने आ रहा है.

फॉरेस्ट गार्ड भर्ती गड़बड़ी को डिकोड करने की कोशिश: उधर STF इस बात को मान रही है कि किसी भी परीक्षा के कुछ समय बाद उससे जुड़े सबूत एवं इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को एक अथक मेहनत से जुटाया जा सकता हैं. लेकिन जिस परीक्षा के दो साल बाद उनमें गड़बड़ी करने के अन्य सबूत मिटाने के प्रयास भी नजर आ चुके हैं. ऐसे में इस केस को पुनः परीक्षण कर गड़बड़ी के सबूतों को जुटाना बेहद मुश्किल रहने वाला है. इसके बावजूद ये मामला राज्य के बेरोजगार छात्रों के भविष्य से जुड़े होने के चलते बेहद संवेदनशील है.

ये भी पढ़ें: बनना था हीरो बन गया पेपर लीक मास्टरमाइंड, जानें हाकम का बावर्ची से अकूत संपत्ति तक का सफर

वहीं, इस प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसटीएफ को निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद एसएसपी STF अजय सिंह का कहना है कि, फॉरेस्ट गार्ड भर्ती गड़बड़ी की फिर से जांच के तहत पर्चा लीक होने से लेकर नौकरी दिलाने में किसी को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने वालों का पर्दाफाश करने का पूरा प्रयास होगा.

गौर हो कि, वर्ष 2020 में उत्तराखंड फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा (Uttarakhand Forest Guard Recruitment Exam) में ब्लूटूथ के जरिए हुई नकल की बात सामने आई थी. नकल कराने वाले गिरोह को हरिद्वार पुलिस ने रुड़की से पकड़ा था. इस भर्ती घोटाले में हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में मुकदमे दर्ज किये गए थे.

पेपर लीक से जुड़ा हो सकता है कनिष्ठ सहायक भर्ती घोटाला: वहीं, सचिवालय रक्षक के अलावा कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) भर्ती घोटाले की जांच किसी एजेंसी द्वारा पहली बार हो रही है. ये जांच भी एसटीएफ को मिलते ही इसकी कार्रवाई में तेजी आने के आसार नजर आ रहे हैं. क्योंकि UKSSSC पेपर लीक मामले में तीन ऐसे न्यायालयों में तैनात कनिष्ठ सहायक अभियुक्तों को STF गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेज चुकी है जो अब शुरू होने वाले जांच कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) भर्ती में नियुक्त हुए थे.

ऐसे में एसटीएफ भी मान रही है कि कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) भर्ती गड़बड़ी का कनेक्शन पेपर लीक गिरोह से जुड़ा हो सकता है, या कोई अन्य गिरोह भी इस भर्ती से संबंधित हैं. STF एसएसपी अजय सिंह (STF SSP Ajay Singh) के मुताबिक, अगले कुछ ही दिनों में इन सभी प्रकरणों की जांच को लेकर केस स्टडी कर आगे की छानबीन शुरू होगी, तभी कुछ कहा जा सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak Case) मामले में ताबड़तोड़ सफलता हासिल करने वाली उत्तराखंड STF को तीन अन्य भर्ती घोटालों की जांच भी सौंपी गई है. इनमें सचिवालय रक्षक और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) के अलावा 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला शामिल है.

हालांकि, 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले (2020 forest guard recruitment scam) की फिर से परीक्षण जांच STF के लिए किसी टेड़ी खीर ने कम नहीं होगी, क्योंकि इस केस में पहले ही हरिद्वार और पौड़ी पुलिस 50 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसके बाद ये मामला हाई कोर्ट में पहुंचा था लेकिन दोनों पक्षों की ओर से (नकल करने और करवाने वाले) कोर्ट के बाहर ही समझौता कर लिया गया था, जिसके बाद हाईकोर्ट से ये केस निस्तारित कर दिया गया.

हालांकि, उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी लेकिन वहां से भी जांच को गति नहीं मिल सकी और पूरा केस कंपाउंड कर निस्तारित हो चुका है. ऐसे में अब एक बार फिर से फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले की री-इन्वेस्टीगेशन करना एसटीएफ के लिए बेहद कठिन चुनौतीपूर्ण है. इस भर्ती में नियुक्ति भी हो चुकी हैं और भर्ती गड़बड़ी से जुड़े तमाम सबूत भी मिटाए जाने की भी खबर है.

2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले की फिर से जांच क्यों? UKSSSC पेपर लीक केस में उत्तराखंड STF लगातार कड़ियों से कड़ियां जोड़ते हुए जांच में काफी आगे बढ़ गई है. अब तक उत्तरकाशी जखोल के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह सहित 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं, हाकम सिंह की गिरफ्तारी (Hakam Singh arrest) के बाद 2020 फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला फिर जांच के दायरे में आ गया है. दरअसल, हाकम सिंह से पूछताछ में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले से जुड़ी कुछ कड़ियां STF के हाथ लगी हैं. ऐसे में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला फिर से जांच के दायरे में आ गया है. सूत्रों के मुताबिक, फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले में भी कहीं न कहीं हाकम सिंह का हाथ सामने आ रहा है.

फॉरेस्ट गार्ड भर्ती गड़बड़ी को डिकोड करने की कोशिश: उधर STF इस बात को मान रही है कि किसी भी परीक्षा के कुछ समय बाद उससे जुड़े सबूत एवं इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को एक अथक मेहनत से जुटाया जा सकता हैं. लेकिन जिस परीक्षा के दो साल बाद उनमें गड़बड़ी करने के अन्य सबूत मिटाने के प्रयास भी नजर आ चुके हैं. ऐसे में इस केस को पुनः परीक्षण कर गड़बड़ी के सबूतों को जुटाना बेहद मुश्किल रहने वाला है. इसके बावजूद ये मामला राज्य के बेरोजगार छात्रों के भविष्य से जुड़े होने के चलते बेहद संवेदनशील है.

ये भी पढ़ें: बनना था हीरो बन गया पेपर लीक मास्टरमाइंड, जानें हाकम का बावर्ची से अकूत संपत्ति तक का सफर

वहीं, इस प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसटीएफ को निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद एसएसपी STF अजय सिंह का कहना है कि, फॉरेस्ट गार्ड भर्ती गड़बड़ी की फिर से जांच के तहत पर्चा लीक होने से लेकर नौकरी दिलाने में किसी को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने वालों का पर्दाफाश करने का पूरा प्रयास होगा.

गौर हो कि, वर्ष 2020 में उत्तराखंड फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा (Uttarakhand Forest Guard Recruitment Exam) में ब्लूटूथ के जरिए हुई नकल की बात सामने आई थी. नकल कराने वाले गिरोह को हरिद्वार पुलिस ने रुड़की से पकड़ा था. इस भर्ती घोटाले में हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में मुकदमे दर्ज किये गए थे.

पेपर लीक से जुड़ा हो सकता है कनिष्ठ सहायक भर्ती घोटाला: वहीं, सचिवालय रक्षक के अलावा कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) भर्ती घोटाले की जांच किसी एजेंसी द्वारा पहली बार हो रही है. ये जांच भी एसटीएफ को मिलते ही इसकी कार्रवाई में तेजी आने के आसार नजर आ रहे हैं. क्योंकि UKSSSC पेपर लीक मामले में तीन ऐसे न्यायालयों में तैनात कनिष्ठ सहायक अभियुक्तों को STF गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेज चुकी है जो अब शुरू होने वाले जांच कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) भर्ती में नियुक्त हुए थे.

ऐसे में एसटीएफ भी मान रही है कि कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशरी) भर्ती गड़बड़ी का कनेक्शन पेपर लीक गिरोह से जुड़ा हो सकता है, या कोई अन्य गिरोह भी इस भर्ती से संबंधित हैं. STF एसएसपी अजय सिंह (STF SSP Ajay Singh) के मुताबिक, अगले कुछ ही दिनों में इन सभी प्रकरणों की जांच को लेकर केस स्टडी कर आगे की छानबीन शुरू होगी, तभी कुछ कहा जा सकता है.

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