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सचिवालय कर्मचारी संघ ने गोल्डन कार्ड वापस करने का लिया निर्णय - उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ न्यूज

सचिवालय संघ ने सभी सदस्यों से 19 मई से 24 मई तक ये कार्ड सचिवालय संघ कार्यालय में जमा करने की अपील की है. इसके बाद ये कार्ड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को वापस कर दिए जाएंगे.

उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ
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Published : May 18, 2021, 5:04 PM IST

देहरादून: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के मुफ्त इलाज के लिए गोल्डन कार्ड सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. गोल्डन कार्ड योजना का सरकारी कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ ने गोल्डन कार्ड से चिकित्सा सुविधा न मिलने का आरोप लगाते हुए इस कार्ड को वापस करने का निर्णय लिया है.

उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि 15 दिन पहले संघ ने निर्णय लिया था कि यदि 15 दिन के भीतर उनकी समस्या का समाधन नहीं हुआ तो वे गोल्डल कार्ड वापस कर देंगे. 15 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस और कोई फैसला नहीं लिया है. इसीलिए अब वे 19 मई को गोल्डल कार्ड वापस कर रहे हैं.

पढ़ें- रामनगर के हॉस्पिटल में नहीं चला मंत्री भगत का रौब, डॉक्टर बोला मैं कोई अपराधी नहीं

संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को गोल्डन कार्ड की खामियों को सही करने के लिए काफी समय दिया गया था. बावजूद इसके इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. सबसे बड़ी बात ये है कि कोई सक्षम अधिकारी भी इसमें कोई विशेष दिलचस्पी नहीं ले रहा है.

दीपक जोशी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों का प्रतिमाह अंशदान काटे जाने के बाद भी उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही है. राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण गोल्डन कार्ड को अपनी आय का स्त्रोत बना रहा है, जिसे अब किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

दीपक जोशी ने बताया कि सचिवालय सेवा संवर्ग के सभी सदस्यगणों को परिवार सहित अपने-अपने गोल्डन कार्ड को दिनांक 19 मई से 24 मई, 2021 तक सचिवालय संघ के कार्यालय में अनिवार्य रूप से जमा कराए जाने का अनुरोध किया गया है, जिसके उपरांत इन सभी बेकार हो चुके गोल्डन कार्ड को समेकित रूप से मुख्य कार्यकारी अधिकारी और स्वास्थ्य प्राधिकरण को लिखित रूप मे जमा कर दिए जाने का निर्णय हुआ है.

इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया है कि गोल्डन कार्ड के एवज में मासिक अंशदान के रूप में काटी जा रही राशि को अब स्वीकार नहीं किया जाएगा. अंशदान कटौती को संघ के स्तर पर तत्काल रोका जाएगा. गोल्डन कार्ड की खामियां दूर होने तक चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पूर्व व्यवस्था जो स्वत: ही तब तक लागू रहनी चाहिए थी जब तक नई व्यवस्था कारगर न हो जाए.

देहरादून: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के मुफ्त इलाज के लिए गोल्डन कार्ड सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. गोल्डन कार्ड योजना का सरकारी कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ ने गोल्डन कार्ड से चिकित्सा सुविधा न मिलने का आरोप लगाते हुए इस कार्ड को वापस करने का निर्णय लिया है.

उत्तराखंड सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि 15 दिन पहले संघ ने निर्णय लिया था कि यदि 15 दिन के भीतर उनकी समस्या का समाधन नहीं हुआ तो वे गोल्डल कार्ड वापस कर देंगे. 15 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस और कोई फैसला नहीं लिया है. इसीलिए अब वे 19 मई को गोल्डल कार्ड वापस कर रहे हैं.

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संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को गोल्डन कार्ड की खामियों को सही करने के लिए काफी समय दिया गया था. बावजूद इसके इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. सबसे बड़ी बात ये है कि कोई सक्षम अधिकारी भी इसमें कोई विशेष दिलचस्पी नहीं ले रहा है.

दीपक जोशी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों का प्रतिमाह अंशदान काटे जाने के बाद भी उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही है. राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण गोल्डन कार्ड को अपनी आय का स्त्रोत बना रहा है, जिसे अब किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

दीपक जोशी ने बताया कि सचिवालय सेवा संवर्ग के सभी सदस्यगणों को परिवार सहित अपने-अपने गोल्डन कार्ड को दिनांक 19 मई से 24 मई, 2021 तक सचिवालय संघ के कार्यालय में अनिवार्य रूप से जमा कराए जाने का अनुरोध किया गया है, जिसके उपरांत इन सभी बेकार हो चुके गोल्डन कार्ड को समेकित रूप से मुख्य कार्यकारी अधिकारी और स्वास्थ्य प्राधिकरण को लिखित रूप मे जमा कर दिए जाने का निर्णय हुआ है.

इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया है कि गोल्डन कार्ड के एवज में मासिक अंशदान के रूप में काटी जा रही राशि को अब स्वीकार नहीं किया जाएगा. अंशदान कटौती को संघ के स्तर पर तत्काल रोका जाएगा. गोल्डन कार्ड की खामियां दूर होने तक चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पूर्व व्यवस्था जो स्वत: ही तब तक लागू रहनी चाहिए थी जब तक नई व्यवस्था कारगर न हो जाए.

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