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प्रबंधन के खिलाफ रोडवेज कर्मचारियों ने खोला मोर्चा, 6 बिंदुओं में सुधार को लेकर निगम को दी चेतावनी

उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन (Uttarakhand Roadways Employees Union) ने परिवहन निगम को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रोडवेज मशीनरी की प्रबंधन व्यवस्थाओं को 21 दिसंबर 2021 तक दुरुस्त नहीं किया गया तो प्रदेश भर में रोडवेज कर्मचारी काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

उत्तराखंड परिवहन निगम
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Published : Dec 18, 2021, 2:21 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) लंबे समय से चल रहे प्रबंधकीय अनियमितताओं के कारण वित्तीय हानि और कर्मचारियों की समस्याओं का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. मामले में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन (Uttarakhand Roadways Employees Union) ने परिवहन निगम बोर्ड को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रोडवेज मशीनरी की प्रबंधन व्यवस्थाओं को 21 दिसंबर 2021 तक दुरुस्त नहीं किया गया तो प्रदेश भर में रोडवेज कर्मचारी काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

गलत प्रबंधन के कारण ही रोडवेज को 520 करोड़ के राजस्व का घाटा: कर्मचारी यूनियन

उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन महामंत्री अशोक चौधरी के मुताबिक परिवहन निगम में मूल रूप से 6 बिंदुओं पर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है. राज्य गठन होने के उपरांत नवंबर 2003 जब से उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ तब से वर्तमान समय 2021 तक रोडवेज बोर्ड को 520 करोड़ के राजस्व का घाटा हो चुका है. ऐसे में इस वित्तीय घाटे को भरने के लिए रोडवेज की प्रबंधन व्यवस्था को दुरुस्त करना अब अति आवश्यक हो गया है.

इन 6 बिंदुओं पर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता

  • ई-टिकटिंग मशीन: परिवहन निगम में ई-टिकटिंग मशीन सबसे प्रमुख टूल्स में से एक है. जिससे परिचालक का कार्य विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है. इसमें भ्रष्टाचार होने की भी संभावना है. परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से पिछले 3 वर्ष से नई टिकट मशीनों की उपलब्धता के लिए एक या 2 माह का समय घोषित किया जाता है. लेकिन वर्तमान समय तक इसमें कार्रवाई शून्य है. परिचालक द्वारा ई-टिकटिंग मशीन में जल्दी टिकट न बनने के कारण मार्ग से कम यात्रियों को सवार करना पड़ रहा है. जिससे रोडवेज को राजस्व का घाटा हो रहा है.
  • डीजल और फास्ट ट्रैक फिजूलखर्ची: रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मुताबिक परिवहन निगम ने पूर्व में यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी दशा में प्राइवेट पंपों से डीजल क्रय नहीं किया जाएगा. लेकिन वित्तीय प्रबंधन की गड़बड़ी और जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की जा रही हैं कि जिसके कारण रोडवेज की बसों में डीजल प्राइवेट पंपों से क्रय किया जा रहा है. जबकि प्राइवेट पंप से डीजल 3 रुपये प्रति लीटर से अधिक महंगा मिलता है. जिसके कारण प्रत्येक माह कई लाख रुपये की आर्थिक हानि भी मात्र ईंधन क्रय से रोडवेज को हो रही है.
  • इसी प्रकार टोल की मद में माह के कई दिनों में टोल का फास्टैग खाता निष्क्रिय होने के कारण मार्ग में चलने वाली बसों को दोगुना टोल भुगतान करना पड़ता है. जोकि लापरवाही रोडवेज प्रबंधन की है. अगर परिचालकों को ही अपने स्वयं के टोल खाते से भुगतान की अनुमति के साथ-साथ 25% अतिरिक्त भुगतान की अनुमति उन दिनों के लिए दी जाए जिन दिनों में परिवहन निगम का टोल खाता निष्क्रिय हो जाता है तो परिवहन निगम को लाखों की आर्थिक हानि से बचाया जा सकता है. वहीं डीजल बजट के भुगतान और कुल खाते को शत-प्रतिशत सक्रिय रखने की आवश्यकता है.

पढ़ें: Exclusive: अवैध खनन मामले में प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल को मंत्री हरक ने किया तलब

  • भ्रष्ट अधिकारियों की तैनाती: परिवहन निगम के विभिन्न डिपो में अधिकारियों, सुपरवाइजर को एवं कर्मचारियों की तैनाती में बस उपयोगिता के स्थान पर अन्य कारणों के प्रभाव में नियमानुसार तैनाती नहीं की गई है. वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को संबद्ध किया गया है. ऐसे में अभियान चलाकर बस एवं डिपो की उपयोगिता के अनुसार तैनाती करने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की संबद्धता समाप्त करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है.
  • समान कार्य, समान वेतन: कर्मचारी यूनियन के मुताबिक पूर्व में उच्चतम न्यायालय नैनीताल द्वारा विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को समान कार्य समान वेतन के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट आदेशानुसार रोडवेज प्रबंध निदेशक (अध्यक्ष )द्वारा न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत कर किया गया था, जिसमें परिवहन निगम में कार्यरत विशेष श्रेणी/ संविदा कर्मियों को समान काम समान वेतन का भुगतान करने की बात कही थी. लेकिन विशेष श्रेणी/ संविदा कर्मियों को प्रोत्साहन देने के बजाए उनके 4 अवकाश में मद किलोमीटर और उपस्थिति की विधि विपरीत शब्द जोड़कर अनेक कर्मियों को भुगतान से वंचित किया जा रहा है.

पढ़ें: खुशखबरी: उत्तराखंड पुलिस विभाग में जल्द होंगी बंपर भर्ती, शासनादेश जारी

  • महंगाई भत्ता: उत्तराखंड सरकार द्वारा परिवहन निगम कर्मियों को जुलाई माह से महंगाई भत्ता प्रदान करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन रोडवेज प्रबंधन द्वारा जनवरी माह से भुगतान के आदेश दिए गए जोकि कर्मचारियों के साथ अन्याय है. इसी प्रकार विशेष श्रेणी संविदा कर्मियों को भी प्रति किलोमीटर में वृद्धि जुलाई माह से होनी चाहिए थी. लेकिन अब नियमित कर्मियों की देय 11% महंगाई भत्ते का एरियर बनवाकर और विशेष श्रेणी संविदा चालकों और परिचालकों को 13 पैसे और 11 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि जुलाई माह से लागू करते हुए एरियर उपलब्ध कराने में आनाकानी हो रही है.
  • कार्य लेने के उपरांत भी भुगतान न होना: परिवहन निगम के विभिन्न बस स्टेशनों पर कार्यशाला से निगम एवं अनुबंधित बसें उपलब्ध कराई जाती हैं. कई बार यात्री कम होने और अन्य कारणों से बस परिचालक एवं चालक से कई-कई घंटे कार्य लेने के उपरांत भी बस का संचालन मार्ग पर नहीं हो पाता है. ऐसे में विशेष श्रेणी और संविदा श्रेणी के चालक परिचालकों को कोई भुगतान नहीं किया जाता. अगर बस चालक द्वारा अपनी ड्यूटी पर उपस्थित होकर कार्यशाला से बस को बस स्टेशन तक ले जाया जाता है या किसी खराब गाड़ी पर ड्यूटी की जाती है. इसी प्रकार परिचालक द्वारा टिकट मशीन या टिकट बुकिंग प्राप्त कर यात्री बैठाने का प्रयास करते हुए ड्यूटी की जाती है, लेकिन गाड़ी खराब हो जाने के चलते संविदा चालक और परिचालक को न्यूनतम 200 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान दिया जाना चाहिए.

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) लंबे समय से चल रहे प्रबंधकीय अनियमितताओं के कारण वित्तीय हानि और कर्मचारियों की समस्याओं का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. मामले में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन (Uttarakhand Roadways Employees Union) ने परिवहन निगम बोर्ड को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रोडवेज मशीनरी की प्रबंधन व्यवस्थाओं को 21 दिसंबर 2021 तक दुरुस्त नहीं किया गया तो प्रदेश भर में रोडवेज कर्मचारी काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

गलत प्रबंधन के कारण ही रोडवेज को 520 करोड़ के राजस्व का घाटा: कर्मचारी यूनियन

उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन महामंत्री अशोक चौधरी के मुताबिक परिवहन निगम में मूल रूप से 6 बिंदुओं पर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है. राज्य गठन होने के उपरांत नवंबर 2003 जब से उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ तब से वर्तमान समय 2021 तक रोडवेज बोर्ड को 520 करोड़ के राजस्व का घाटा हो चुका है. ऐसे में इस वित्तीय घाटे को भरने के लिए रोडवेज की प्रबंधन व्यवस्था को दुरुस्त करना अब अति आवश्यक हो गया है.

इन 6 बिंदुओं पर प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता

  • ई-टिकटिंग मशीन: परिवहन निगम में ई-टिकटिंग मशीन सबसे प्रमुख टूल्स में से एक है. जिससे परिचालक का कार्य विपरीत रूप से प्रभावित हो रहा है. इसमें भ्रष्टाचार होने की भी संभावना है. परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से पिछले 3 वर्ष से नई टिकट मशीनों की उपलब्धता के लिए एक या 2 माह का समय घोषित किया जाता है. लेकिन वर्तमान समय तक इसमें कार्रवाई शून्य है. परिचालक द्वारा ई-टिकटिंग मशीन में जल्दी टिकट न बनने के कारण मार्ग से कम यात्रियों को सवार करना पड़ रहा है. जिससे रोडवेज को राजस्व का घाटा हो रहा है.
  • डीजल और फास्ट ट्रैक फिजूलखर्ची: रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मुताबिक परिवहन निगम ने पूर्व में यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी दशा में प्राइवेट पंपों से डीजल क्रय नहीं किया जाएगा. लेकिन वित्तीय प्रबंधन की गड़बड़ी और जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न की जा रही हैं कि जिसके कारण रोडवेज की बसों में डीजल प्राइवेट पंपों से क्रय किया जा रहा है. जबकि प्राइवेट पंप से डीजल 3 रुपये प्रति लीटर से अधिक महंगा मिलता है. जिसके कारण प्रत्येक माह कई लाख रुपये की आर्थिक हानि भी मात्र ईंधन क्रय से रोडवेज को हो रही है.
  • इसी प्रकार टोल की मद में माह के कई दिनों में टोल का फास्टैग खाता निष्क्रिय होने के कारण मार्ग में चलने वाली बसों को दोगुना टोल भुगतान करना पड़ता है. जोकि लापरवाही रोडवेज प्रबंधन की है. अगर परिचालकों को ही अपने स्वयं के टोल खाते से भुगतान की अनुमति के साथ-साथ 25% अतिरिक्त भुगतान की अनुमति उन दिनों के लिए दी जाए जिन दिनों में परिवहन निगम का टोल खाता निष्क्रिय हो जाता है तो परिवहन निगम को लाखों की आर्थिक हानि से बचाया जा सकता है. वहीं डीजल बजट के भुगतान और कुल खाते को शत-प्रतिशत सक्रिय रखने की आवश्यकता है.

पढ़ें: Exclusive: अवैध खनन मामले में प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल को मंत्री हरक ने किया तलब

  • भ्रष्ट अधिकारियों की तैनाती: परिवहन निगम के विभिन्न डिपो में अधिकारियों, सुपरवाइजर को एवं कर्मचारियों की तैनाती में बस उपयोगिता के स्थान पर अन्य कारणों के प्रभाव में नियमानुसार तैनाती नहीं की गई है. वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को संबद्ध किया गया है. ऐसे में अभियान चलाकर बस एवं डिपो की उपयोगिता के अनुसार तैनाती करने और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की संबद्धता समाप्त करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है.
  • समान कार्य, समान वेतन: कर्मचारी यूनियन के मुताबिक पूर्व में उच्चतम न्यायालय नैनीताल द्वारा विशेष श्रेणी/संविदा कर्मियों को समान कार्य समान वेतन के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट आदेशानुसार रोडवेज प्रबंध निदेशक (अध्यक्ष )द्वारा न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत कर किया गया था, जिसमें परिवहन निगम में कार्यरत विशेष श्रेणी/ संविदा कर्मियों को समान काम समान वेतन का भुगतान करने की बात कही थी. लेकिन विशेष श्रेणी/ संविदा कर्मियों को प्रोत्साहन देने के बजाए उनके 4 अवकाश में मद किलोमीटर और उपस्थिति की विधि विपरीत शब्द जोड़कर अनेक कर्मियों को भुगतान से वंचित किया जा रहा है.

पढ़ें: खुशखबरी: उत्तराखंड पुलिस विभाग में जल्द होंगी बंपर भर्ती, शासनादेश जारी

  • महंगाई भत्ता: उत्तराखंड सरकार द्वारा परिवहन निगम कर्मियों को जुलाई माह से महंगाई भत्ता प्रदान करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन रोडवेज प्रबंधन द्वारा जनवरी माह से भुगतान के आदेश दिए गए जोकि कर्मचारियों के साथ अन्याय है. इसी प्रकार विशेष श्रेणी संविदा कर्मियों को भी प्रति किलोमीटर में वृद्धि जुलाई माह से होनी चाहिए थी. लेकिन अब नियमित कर्मियों की देय 11% महंगाई भत्ते का एरियर बनवाकर और विशेष श्रेणी संविदा चालकों और परिचालकों को 13 पैसे और 11 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि जुलाई माह से लागू करते हुए एरियर उपलब्ध कराने में आनाकानी हो रही है.
  • कार्य लेने के उपरांत भी भुगतान न होना: परिवहन निगम के विभिन्न बस स्टेशनों पर कार्यशाला से निगम एवं अनुबंधित बसें उपलब्ध कराई जाती हैं. कई बार यात्री कम होने और अन्य कारणों से बस परिचालक एवं चालक से कई-कई घंटे कार्य लेने के उपरांत भी बस का संचालन मार्ग पर नहीं हो पाता है. ऐसे में विशेष श्रेणी और संविदा श्रेणी के चालक परिचालकों को कोई भुगतान नहीं किया जाता. अगर बस चालक द्वारा अपनी ड्यूटी पर उपस्थित होकर कार्यशाला से बस को बस स्टेशन तक ले जाया जाता है या किसी खराब गाड़ी पर ड्यूटी की जाती है. इसी प्रकार परिचालक द्वारा टिकट मशीन या टिकट बुकिंग प्राप्त कर यात्री बैठाने का प्रयास करते हुए ड्यूटी की जाती है, लेकिन गाड़ी खराब हो जाने के चलते संविदा चालक और परिचालक को न्यूनतम 200 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान दिया जाना चाहिए.
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