देहरादून: पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का दीदार करने के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रदेश का रुख करते हैं. इसमें कई पर्यटक ऐसे होते हैं, जो उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों से प्रदेश घूमने आते हैं, लेकिन सवाल यह है कि जिस प्रदेश में हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं. उस प्रदेश की सरकारी बसों में का सफर आखिर कितना सुरक्षित हैं ?
फर्स्ट एड बॉक्स की पड़ताल
ईटीवी भारत इसका जायजा लेने आईएसबीटी देहरादून पहुंची, जहां उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में मौजूद फर्स्ट एड किट की व्यवस्था को लेकर एक रियलिटी चेक किया गया. जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई.
गौरतलब है कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी कमर्शियल वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फर्स्ट एड किट का होना अनिवार्य है. लेकिन हकीकत में उत्तराखंड परिवहन निगम की चुनिंदा बसों में ही फर्स्ट एड किट की व्यवस्था उपलब्ध है. ये वो बसें है जो हाल ही में उत्तराखंड परिवहन निगम के बेड़े में शामिल हुई हैं. रियलिटी चेक में यह बात निकलकर सामने आई कि उत्तराखंड परिवहन निगम की सिर्फ उन बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था है, जो बिल्कुल नई हैं.
रियलिटी चेक से मचा हड़कंप
बता दें कि जब हमारी टीम उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था का जायजा लेने आईएसबीटी पहुंची तो मौके पर मौजूद सभी बस चालक और परिचालकों में हड़कंप मच गया. वही, निगम की कई बसों में प्रवेश कर फर्स्ट एड किट की जांच की तो हमने पाया कि बॉक्स तो लगे हुए हैं, लेकिन आधे से ज्यादा बसों में फर्स्ट एड बॉक्स पूरी तरह खाली हैं. उनमें मानक अनुसार आपातकालीन स्थिति में यात्रियों के प्राथमिक उपचार के लिए जरूरी कोई भी दवाइयां या फिर बेंडेज तक मौजूद नहीं है.
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यात्रियों ने जाहिर की नाराजगी
फर्स्ट एड बॉक्स को लेकर जब हमने स्थानीय और यात्रियों से बात की तो उन्होंने इसे लेकर नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि बसों में फर्स्ट एड बॉक्स महज एक दिखावा है. यदि कभी कोई आपातकालीन स्थिति आ जाती है तो ऐसे में यात्री को अपना प्राथमिक उपचार खुद ही करना पड़ता है. यह पूरी तरह से उत्तराखंड परिवहन निगम की लापरवाही है, जिसकी वजह से यात्री असुरक्षित माहौल में यात्रा करने को मजबूर हैं.
फर्स्ट एड किट में इन चीजों का होना अनिवार्य
फर्स्ट एड किट या फर्स्ट एड बॉक्स में आपातकालीन स्थिति जैसे सड़क दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों को प्राथमिक उपचार देने के लिए दवाइयां, बैंडेज इत्यादि होता है. इसके अलावा डिस्पोजेबल ग्लब्स, एंटीसेप्टिक पट्टी इत्यादि होती है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए आरटीओ (प्रवर्तन ) संदीप सैनी ने बताया की मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत सभी कमर्शियल वाहनों में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए फर्स्ट एड बॉक्स का होना अनिवार्य है. वही, फर्स्ट एड बॉक्स की उचित व्यवस्था न होने पर अधिनियम 177 सेक्शन में कार्रवाई की जाती है.
परिवहन निगम महाप्रबंधक ने कार्रवाई की बात कही
वहीं, उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में फर्स्ट एड किट की उचित व्यवस्था न होने को लेकर जब हमने निगम के महाप्रबंधक दीपक जैन से सवाल किया तो वह कहीं न कहीं अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आए. उनके मुताबिक यह जिम्मेदारी बस अड्डे या डिपो के एआरएम की होती है, जिनके माध्यम से बसों में फर्स्ट एड किट की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. अगर निगम की बसों में फर्स्ट एड किट की उपलब्धता नहीं है तो इस स्थिति में मौके का मुआयना कर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
रियलिटी चेक से हकीकत आई सामने
बहरहाल कुल मिलाकर इस पड़ताल से हम यही कह सकते हैं कि निगम की बसों में फर्स्ट एड बॉक्स महज शोपीस की तरह लगे हुए हैं. यह हमें सीधे तौर पर सोचने को मजबूर करता है कि उत्तराखंड परिवहन निगम यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कितना संजीदा है ? अगर वास्तव में संजीदा होता तो आधी से ज्यादा बसों में फर्स्ट एड बॉक्स खाली नहीं मिलता.