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उतराखंड पुलिस अब घोषित करेगी बदमाश जिंदा है या मुर्दा, रिकॉर्ड का होगा सत्यापन

बीते कुछ सालों के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो देखने में आया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, नजीबाबाद, हरिद्वार और हापुड़ जिलों में सक्रिय बदमाशों (गिरोह) का नेटवर्क उत्तराखंड से चल रहा है. इन गैंग में चीनू पंडित, सुशील राठी, सुशील मूंछ, प्रवीण वाल्मीकि, कुख्यात अमित भूरा व सचिन खोखर जैसे गैंगस्टर के नाम शामिल है.

Uttarakhand
बदमाशों का सत्यापन
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Published : Nov 28, 2019, 7:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में संगीन अपराधों को अंजाम देने बाद पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सक्रिय गैंगस्टर और बदमाशों पर मित्र पुलिस लगाम लगाने की तैयारी कर रही है. एक दशक बाद नए सिर से ऐसे बदमाशों का सत्यापन शुरु किया गया है. ये अभियान 31 दिसंबर यानी एक महीने तक चलेगा.

इस दौरान पुलिस प्रदेश भर में सक्रिय बदमाशों के आंकड़े जुटाएंगी. हालांकि पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश में 100 से ज्यादा संगीन अपराधी सक्रिय थे. जिनमें से कई बदमाशों की मौत हो चुकी है. लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में वे अभी भी जिंदा है. ऐसे में नए सिरे से शुरू किए गए सत्यापन अभियान से साफ हो जाएगा कि कितने नए पुराने बदमाश गैंगस्टर की परिधि में आ रहे हैं. ताकि उन पर नजर रखी जा सके.

रिकॉर्ड का होगा सत्यापन.

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पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, नए सिरे से पुराने गैंगस्टर का सत्यापन कर राज्य में पनप रहे क्राइम को कंट्रोल किया जा सकेंगा और उनके नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने में पुलिस को मदद मिलेगी.

1990 और 95 के सक्रिय गैंग
सूबे का राजधानी देहरादून की बात कि जाए तो पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक यहां 18 गैंग सक्रिय रहे है. जिसके तीन दर्जन से अधिक बदमाशों की मौत हो चुकी है. देहरादून में 1990 और 95 के दशक में रमेश उर्फ छोटू गैंग का सक्रिय था. ये गैंग अभी भी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इसके अलावा इसी समय का एक और मुन्ना गैंग है, जिसके कई सदस्यों की मौत हो चुकी है. इन दोनों गैंग के अलावा 1998 में पुलिस रिकॉर्ड में जितेंद्र पाल उर्फ जेपी, जुगल किशोर, रवि थापा और गंगाराम जैसे गैंग सक्रिय थे. इन गिरोह के भी कई सदस्यों की मौत भी हो चुकी है.

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पश्चिमी यूपी के बदमाश उत्तराखंड में सक्रिय
बीते कुछ सालों के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो देखने में आया है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, नजीबाबाद, हरिद्वार और हापुड़ जिलों में सक्रिय बदमाशों (गिरोह) का नेटवर्क उत्तराखंड से चल रहा है. इन गैंग में चीनू पंडित, सुशील राठी, सुशील मूंछ, प्रवीण वाल्मीकि, कुख्यात अमित भूरा व सचिन खोखर जैसे गैंगस्टर के गैंग का नाम शामिल है. ये वो गैंग है जो उत्तराखंड से जुड़े कई संगीन अपराधों में सक्रिय रहते है. हालांकि इन सब पर उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ ) ने काफी हद तक लगाम लगाया है.

सत्यापन अभियान के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि इस बार पुलिस नए-पुराने गैंग के सदस्यों का आंकड़ा जुटा रही है. इससे पुलिस को पता चल पाएगा कि उत्तराखंड में कितने गैंग अभी भी सक्रिय रहे है और कितने बदमाशों की मौत हो चुकी है. जिन बदमाशों का वर्चस्व खत्म हो चुका है उनको अपडेट करने के साथ ही नए गैंग बनकर जो वारदातों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं उनकी भी जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी. जिन पर पुलिस भविष्य में कार्रवाई करेंगी.

देहरादून: उत्तराखंड में संगीन अपराधों को अंजाम देने बाद पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सक्रिय गैंगस्टर और बदमाशों पर मित्र पुलिस लगाम लगाने की तैयारी कर रही है. एक दशक बाद नए सिर से ऐसे बदमाशों का सत्यापन शुरु किया गया है. ये अभियान 31 दिसंबर यानी एक महीने तक चलेगा.

इस दौरान पुलिस प्रदेश भर में सक्रिय बदमाशों के आंकड़े जुटाएंगी. हालांकि पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश में 100 से ज्यादा संगीन अपराधी सक्रिय थे. जिनमें से कई बदमाशों की मौत हो चुकी है. लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में वे अभी भी जिंदा है. ऐसे में नए सिरे से शुरू किए गए सत्यापन अभियान से साफ हो जाएगा कि कितने नए पुराने बदमाश गैंगस्टर की परिधि में आ रहे हैं. ताकि उन पर नजर रखी जा सके.

रिकॉर्ड का होगा सत्यापन.

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पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, नए सिरे से पुराने गैंगस्टर का सत्यापन कर राज्य में पनप रहे क्राइम को कंट्रोल किया जा सकेंगा और उनके नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने में पुलिस को मदद मिलेगी.

1990 और 95 के सक्रिय गैंग
सूबे का राजधानी देहरादून की बात कि जाए तो पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक यहां 18 गैंग सक्रिय रहे है. जिसके तीन दर्जन से अधिक बदमाशों की मौत हो चुकी है. देहरादून में 1990 और 95 के दशक में रमेश उर्फ छोटू गैंग का सक्रिय था. ये गैंग अभी भी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इसके अलावा इसी समय का एक और मुन्ना गैंग है, जिसके कई सदस्यों की मौत हो चुकी है. इन दोनों गैंग के अलावा 1998 में पुलिस रिकॉर्ड में जितेंद्र पाल उर्फ जेपी, जुगल किशोर, रवि थापा और गंगाराम जैसे गैंग सक्रिय थे. इन गिरोह के भी कई सदस्यों की मौत भी हो चुकी है.

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पश्चिमी यूपी के बदमाश उत्तराखंड में सक्रिय
बीते कुछ सालों के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो देखने में आया है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, नजीबाबाद, हरिद्वार और हापुड़ जिलों में सक्रिय बदमाशों (गिरोह) का नेटवर्क उत्तराखंड से चल रहा है. इन गैंग में चीनू पंडित, सुशील राठी, सुशील मूंछ, प्रवीण वाल्मीकि, कुख्यात अमित भूरा व सचिन खोखर जैसे गैंगस्टर के गैंग का नाम शामिल है. ये वो गैंग है जो उत्तराखंड से जुड़े कई संगीन अपराधों में सक्रिय रहते है. हालांकि इन सब पर उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ ) ने काफी हद तक लगाम लगाया है.

सत्यापन अभियान के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि इस बार पुलिस नए-पुराने गैंग के सदस्यों का आंकड़ा जुटा रही है. इससे पुलिस को पता चल पाएगा कि उत्तराखंड में कितने गैंग अभी भी सक्रिय रहे है और कितने बदमाशों की मौत हो चुकी है. जिन बदमाशों का वर्चस्व खत्म हो चुका है उनको अपडेट करने के साथ ही नए गैंग बनकर जो वारदातों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं उनकी भी जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी. जिन पर पुलिस भविष्य में कार्रवाई करेंगी.

Intro:summary-उत्तराखंड में सक्रीय अपराधिक गैंग सत्यापन अभियान, 31 दिसंबर तक जुटेगा कुल गैंग का आंकड़ा।


उत्तराखंड में संगीन अपराधों को अंजाम देने वाले पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सक्रिय गैंगस्टर बदमाशों लगभग एक दशक बाद नए सिरे से सत्यापन शुरू किया गया है। लगभग दो माह 31 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्यापन में प्रदेश भर में नए जंग के रूप में सक्रिय चल रहे बदमाशों का आंकड़ा जुटाया जाएगा। हालांकि पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक 100 से ज्यादा संगीत किसके अपराधी उत्तराखंड में सक्रिय हैं जिनमें से कई बदमाशों की मौत हो चुकी है लेकिन उनका नाम पुलिस फाइल रिकॉर्ड जिंदा दर्ज बताया जा रहा है। ऐसे में नए सिरे से चल रहे अभियान में इस इस बात का पुष्टि कर सत्यापन किया जाएगा कि कितने नए पुराने बदमाश गैंगस्टर की परिधि में आ रहे हैं, ताकि राज्य में अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक नए सिरे से पुराने नए गैंगस्टर का सत्यापन कर राज्य में पनप रहे क्राइम को कंट्रोल करना और उनके नेटवर्क को नेस्तनाबूद करना पुलिस का महत्वपूर्ण टास्क हैं।


Body:90 से लेकर 95 के दशक तक सक्रिय गैंग के कई कुख्यात सदस्य अब नहीं रहे:पुलिस

वही उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की अगर बात करें तो जिले में पहले से सत्यापन सूचीबद्ध 18 गैंग में सक्रिय रहे 3 दर्जन बदमाशों की मौत हो चुकी है। देहरादून जिले की बात करें तो 90 के दशक से लेकर 95 के दशक तक रमेश उर्फ छोटू बैंक नरेश कुमार को सुनना गैंग अभी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है जबकि मुन्ना गैंग के कई सदस्यों की मौत हो चुकी है। जबकि 1998 के दरमियान सत्यापन पुलिस रिकॉर्ड में सूचीबद्ध गैंगस्टर बदमाशों में से जितेंद्र पाल उर्फ जेपी गैंग, जुगल किशोर गैंग, रवि थापा गैंग और गंगाराम गैंग जैसी गिरोह में सक्रिय रहे दर्जनभर से ज्यादा संगीन बदमाशों की मौत हो चुकी है।

उत्तराखंड में पिछले एक दशक से यह कुख्यात गैंग हैं सक्रिय

वहीं जानकारी के मुताबिक पिछले एक दशक से ज्यादा समय से पश्चिम उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर ,नजीबाबाद,हरिद्वार हापुड़ जैसे जिलों के गैंगस्टर बदमाशों का नेटवर्क उत्तराखंड सक्रिय चल रहा है। इन गैंग में चीनू पंडित, सुशील राठी, सुशील मूंछ, प्रवीण वाल्मीकि, कुख्यात अमित भूरा व सचिन खोखर जैसे गैंगस्टर का गैंग लम्बे समय से उत्तराखंड में संगीन अपराधों में सक्रिय रहता हैं, हालांकि इन सब पर उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ )द्वारा प्रभाबी रूप से काफी हद तक लगाम लगाया गया है।


Conclusion:उत्तराखंड में अपराधियों को किसी भी सूरत में पनपने नहीं दिया जाएगा:DG, LO

वहीं उत्तराखंड में सक्रिय गैंगस्टर गेम गिरोह के नए सिरे से सत्यापन कर आंकड़ा जुटाने के मामले में जानकारी देते हुए राज्य में अपराध व कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि अपराधियों के विरुद्ध चलाए जा रहे सत्यापन अभियान में ऐसे नए पुराने गैंग के सदस्यों का आंकड़ा जुटाया जा रहा है जिनकी भूमिका वर्तमान समय में चल रही है या फिर उनमें से कई लोगों की मौत हो चुकी है। जिन लोगों का वर्चस्व खत्म हो चुका है उनको अपडेट करने के साथ ही नए गैंग बनकर जो वारदातों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं उनकी जानकारी जुटाकर उन पर प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने कि प्रदेशभर पुलिस को दिशा निर्देश दिए हैं।
महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक राज्य में अपराध को कंट्रोल करने के लिए यह सबसे जरूरी है कि पुलिस के पास सभी तरह के कुख्यात गैंगस्टर की जानकारी हो ताकि उनकी मॉनिटरिंग कर उनके अपराधिक गतिविधियों को निष्क्रिय किया जाए ।


बाईट- अशोक कुमार, महानिदेशक, अपराध व कानून व्यवस्था उत्तराखंड
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