देहरादून: साइबर ठगी के मामले को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस अब ठोस कदम उठाने जा रही है. ऐसे में अब उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस ठगी का शिकार हुए लोगों से वन-टू-वन बातचीत करेगी, ताकी ठगों और ठगी का शिकार हुए लोगों के मनोविज्ञान को समझा जा सके. साथ ही इन अनुभवों को लोगों से साझा कर ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.
बता दें कि बीते एक सप्ताह में पांच लोगों के साथ करीब 5 करोड़ 72 लाख की साइबर ठगी हुई है. लिहाजा, अब साइबर क्राइम के पैटर्न को समझने के लिए पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारी ठगी का शिकार हुए लोगों से सीधा संवाद करेंगे. बातचीत के दौरान यह जानने का भरपूर प्रयास किया जाएगा कि आखिरकार कोई कैसे अनजान किसी अनजान व्यक्ति की बातों में आकर लाखों की रकम लुटा सकता है.
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वहीं, इस मामले में पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि जिस तरह से वर्तमान समय में साइबर क्राइम से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं. उन्हें रोकने के लिए ठगी के शिकार लोगों से बातचीत की जाएगी, जिससे ठग और ठगी का शिकार हुए लोगों के मनोविज्ञान को समझा जा सके.
डीआईजी भरणे के मुताबिक, आज से साइबर पीड़ितों से बातचीत की जाएगी और उनके अनुभवों के आधार पर लोगों को जागरुक किया जाएगा, ताकि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. उन्होंने कहा कि पुलिस साइबर क्राइम को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है.
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बता दें कि पिछले कुछ समय से साइबर ठगी राज्य में सबसे बड़े आर्थिक अपराध के रूप में सामने आया है. पिछले 15 दिन में 5 अलग-अलग शिकायतकर्ताओं से 5.72 करोड़ की धोखाधड़ी की जा चुकी है. इन 5 मामलों में सबसे बड़ा मामला हल्द्वानी के किसान से बीमा पॉलिसी के नाम पर 3.50 करोड़ रुपए की ठगी है. इसके साथ ही देहरादून के मोथरोवाला में एक महिला से गोल्डन रिट्रीवर ब्रीड के डॉगी खरीदने के बदले 66 लाख की ठगी हुई है. ये ऐसे कुछ मामले हैं जहां पीड़ित को साइबर क्राइम की जानकारी होने के बाद भी वो ठगा गया और ठगी गई रकम भी कोई छोटी-मोटी नहीं थी. ऐसे ही मामलों की स्टडी कर पुलिस अब पैटर्न को समझने की कोशिश कर रही है.