देहरादून: जहां एक तरफ देश की बेस्ट पुलिसिंग की सूची में उत्तराखंड पुलिस का कोई जवाब नहीं. वहीं दूसरी तरफ विवादों और अंदरूनी आक्रोश जैसे विषयों को लेकर भी राज्य की पुलिस अक्सर चर्चाओं में रहती है. ग्रेड पे विवाद इसी का ताजा उदाहरण है, जो अभी भी नहीं सुलझा पाया है. वहीं, अब अब पुलिस रैंकर्स परीक्षा को खत्म करने की कवायद शुरू हो गई है. जिस पर भी सवाल उठने लगे हैं.
पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है. जिसमें नियमावली में संशोधन कर रैंकर्स परीक्षा को समाप्त करने की अपील की गई है. शासन को दिए गए प्रस्ताव में अन्य विभागों की तर्ज पर रैंकर्स परीक्षा को खत्म कर भविष्य में 50 फीसदी पर सब-इंस्पेक्टर की पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर दिए जाने की वकालत की गई है. जबकि बाकी 50 प्रतिशत सब-इंस्पेक्टरों के रिक्त पदों को सीधी भर्ती से भरने की बात कही गई है.
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ऐसे में ग्रेड पे विवाद के साथ ही अब रैंकर्स परीक्षा खत्म करने के मामले पर भी सवाल उठने लगे हैं. इस मामले पर दोनों ही तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग रैंकर्स परीक्षा के आधार पर टैलेंटेड लोगों की वकालत कर प्रमोशन देने को सही मान रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग पुराने पुलिस जवानों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने को न्यायसंगत मान रहे हैं.
अधिकांश पुलिसकर्मी वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन के पक्ष में: बता दें अभी तक पुलिस नियमावली के अनुसार सब-इंस्पेक्टर रिक्त पदों के लिए भर्ती व्यवस्था 33 परसेंट पदोन्नति प्रक्रिया के जरिए और 33 फीसदी वरिष्ठता (सीनियरिटी) के आधार पर की जाने की व्यवस्था है, जबकि बाकी 33% सब-इंस्पेक्टर पद की सीधी भर्ती करने की व्यवस्था है. लेकिन अब जल्द ही पुलिस संशोधन नियमावली प्रक्रिया के तहत 50 फीसदी वरिष्ठता के आधार और 50 परसेंट सब-इंस्पेक्टरों के रिक्त पद सीधी भर्ती के तहत होने जा रही है.
पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारियों का मानना है कि लंबे समय से अधिकांश पुलिस कर्मियों की मांग थी कि वरिष्ठता के आधार पर सब-इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन दिए जाएं. उसी मांग के तहत शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, जो जल्दी ही धरातल पर होगा.
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रैंकर्स परीक्षा ख्तम होने से पुराने लोगों को फायदा: रैंकर्स परीक्षा के बदले वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने का फायदा सबसे अधिक उन पुलिसकर्मियों को होगा, जो पिछले 30 से 35 साल से अधिक की नौकरी होने के बावजूद सब-इंस्पेक्टर प्रमोशन नहीं पा सके हैं. ऐसे में इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट प्रमोशन न पाकर हतोत्साहित पुलिसकर्मी तय आयु सीमा 60 वर्ष पर मायूस होकर रिटायर्ड हो जाता हैं.
लेकिन अब प्रमोशन को लेकर नियमावली संशोधन होने से उन पुराने पुलिसकर्मियों को सबसे बड़ी राहत मिलने जा रही हैं, जो अपने सामने जूनियर जवानों को रैंकर्स परीक्षा के तहत हेड कॉन्स्टेबल से लेकर सब-इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन पाते देखते थे. इस व्यवस्था से उन लोगों का मनोबल काफी नीचे आता था.
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वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोगों का यह भी मानना है कि रैंकर्स परीक्षा के तहत प्रमोशन देने का तरीका पुलिस में टैलेंटेड लोगों को अलग कतार में लाकर अच्छी पुलिसिंग को बढ़ावा देने का अच्छा तरीका है. इतना ही नहीं इस व्यवस्था से प्रमोशन प्रक्रिया में पारदर्शिता भी झलकती है. अगर रैंकर परीक्षा की जगह भविष्य वरिष्ठता के आधार पदोन्नति देने की व्यवस्था आती हैं, उसमें फिर से भाई-भतीजा सिफारिश और भ्रष्टाचार जैसे मामले भी बढ़ने का अंदेशा है.
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जल्द ही हरी झंडी की उम्मीद: मुख्यालय प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि अधिकांश कर्मचारियों की मांग अनुसार शासन को प्रस्ताव भेजकर नियमावली संशोधन का आग्रह किया गया है. जल्द ही इस मामले में शासन स्तर पर औपचारिकताएं पूरी कर हरी झंडी मिलने की उम्मीद है. ऐसे आने वाले दिनों में 50 फीसदी सब-इंस्पेक्टरों के पद वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन होंगे. जबकि 50 परसेंट के सब-इंस्पेक्टर के रिक्त पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे.