देहरादूनः कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशभर में लॉकडाउन है. लॉकडाउन में वाहनों की आवाजाही बंद होने से देश के कोने-कोने में प्रवासी लोग फंसे हुए हैं. जहां एक ओर बीते दिनों उत्तराखंड सरकार ने गुजरात के करीब डेढ़ हजार लोगों को अहमदाबाद पहुंचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी, तो वहीं, दूसरी ओर गुजरात में फंसे उत्तराखंड के लोगों की सरकार सुध भी नहीं ले रही है. वहां फंसे लोग लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार का दोहरा चरित्र साफ नजर आ रहा है.
दरअसल, बीते महीने एक धार्मिक आयोजन के लिए गुजरात के कई लोग हरिद्वार पहुंचे थे, जो लॉकडाउन के चलते हरिद्वार में फंस गए थे. जिन्हें सरकार ने उनके घर पहुंचाने के लिए गुपगुप तरीके से वीआईपी व्यवस्था कराकर उन्हें गुजरात भेजा. इतना ही नहीं राज्य के बसों के बेड़े से 9 बसों को सैनीटाइज कर सभी यात्रियों को अहमदाबाद पहुंचाया गया. बताया जा रहा है कि इसकी पूरी जानकारी विभाग के मंत्री यशपाल आर्य तक को नहीं दी गई.
सरकार ने यह तत्परता इसलिए भी दिखाई क्योंकि, जिस व्यक्ति के आयोजन में शामिल होने गुजरात के लोग हरिद्वार आए थे, वे किसी वीवीआईपी के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं. हालांकि, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये उत्तराखंड परिवहन की जो 9 बसें गुजरात गईं, वो सारी बसें वहां से खाली उत्तराखंड लौटीं. आलम तो देखिए अहमदाबाद में उत्तराखंड परिवहन कि बस देखकर वहां मौजूद उत्तराखंड के कुछ लोग बस में चढ़े, लेकिन उन्हें हरियाणा बार्डर पर रात के अंधेरे में बीच रास्ते में उतार दिया गया.
बताया जा रहा है कि कुछ लोगों को तो बसों में चढ़ने हीं नही दिया गया. ऐसे में सवाल ये नहीं है कि गुजरात के यात्रियों को वीआईपी अंदाज में उत्तराखंड सरकार ने अहमदाबाद सुरक्षित पहुंचाया. बल्कि, सवाल ये है कि राज्य सरकार ने गुजरात के लोगों को घर पहुंचाने में जितनी तत्परता दिखाई, उतनी ही तत्परता सरकार को गुजरात में फंसे उत्तराखंड के लोगों के लिए भी दिखानी चाहिए थी.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार को उन मददगारों की जानकारी नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को उसी तत्परता के साथ गुजरात में फंसे लोगों को उत्तराखंड लाने की कोशिश करनी चाहिए थी. वहीं, अहमदाबाद में फंसे उत्तराखंड के युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है. साथ ही सरकार से अपील कर रहे हैं कि उन्हें वहां से निकाले, क्योंकि, सभी लोग एक ही बिल्डिंग में बिना राशन पानी के रह रहे हैं. ऐसे में उन्हें खाने के भी लाले पड़ गए हैं. लिहाजा सरकार उनकी मदद करें और वहां से निकले.