देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार 2.0 के 30 जून 2022 को 100 दिन पूरे होने पर सीएम पुष्कर सिंह धामी और मंत्रियों ने जश्न मनाया. इस दौरान सीएम धामी ने कहा था कि वो सरकार के 100 दिन पूरे होने पर सभी मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड चेक करेंगे. सीएम धामी के 100 दिन के रिपोर्ट कार्ड के बयानों में खूब सुर्खियां बटोरी. कैबिनेट मंत्रियों ने भी इस बात को तवज्जो दी कि सरकार के मुखिया उनके विभागों की समीक्षा करेंगे, लेकिन हैरानी की बात यह है कि 100 दिन का जश्न भी हो गया, लेकिन मंत्री जनता के सामने नहीं आए हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तो जनता के सामने आ गए,लेकिन तमाम कैबिनेट मंत्री अपने विभागों की 100 दिन की उपलब्धियां बताने में कतरा रहे हैं. इसका साफ मतलब यही है कि मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड ना केवल अधूरे हैं, बल्कि उनमें कुछ ऐसा नहीं है, जिनको वह सार्वजनिक तौर पर मीडिया या विपक्ष को दिखा सकें. तो इसका मतलब यह माना जाए कि पुष्कर सिंह धामी जिस तेज गति से काम करने की कोशिश कर रहे हैं, उस तेज गति में मंत्री उनका साथ नहीं दे रहे हैं.
उपलब्धियां बताने नहीं आया कोई मंत्री: धामी सरकार के आठ कैबिनेट मंत्री हैं. कई कैबिनेट मंत्री तो ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक कई सरकारों में काम किया है. सीधे तौर पर यह कहें कि वह कांग्रेस की सरकार रही हो या बीजेपी की सरकार दोनों ही सरकारों में उनके पास मंत्री पद का अनुभव है. बावजूद इसके भी 100 दिन पूरे होने पर आखिरकार कोई मंत्री अपने विभागों की उपलब्धियां बताने नहीं आया, यह बड़ा सवाल है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिनों कहा था कि 100 दिन पूरे होने पर वह तमाम मंत्रालयों का रिपोर्ट कार्ड देखेंगे, बताएंगे कि किस मंत्री ने कितना बेहतर काम किया है. लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तो 100 दिन पूरे होने पर बड़ा आयोजन किया और केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धि भी गिनाई, लेकिन अगर सिर्फ रेखा आर्य को छोड़ दें, तो सभी मंत्री ऐसे हैं, जिन्होंने अपने विभाग का लेखा-जोखा मीडिया और जनता को छोड़िए मुख्यमंत्री के सामने भी नहीं रखा. अब इस मामले को लेकर विपक्ष मुखर हो रहा है. विपक्ष का कहना है कि जब मंत्रियों ने कुछ काम किया हो तो मंत्री बताएं. सत्ता पक्ष सिर्फ खाना पूर्ति कर रहा है.
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कांग्रेस हुई हमलावर: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार की करनी और कथनी में बहुत अंतर है. बेरोजगारी को लेकर के 100 दिनों में कोई भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया. कौशल विकास योजना धरी की धरी रह रही है. उसके बारे में कोई सोच नहीं रहा है. मंत्रियों में इतनी हिम्मत नहीं कि वह अपने 100 दिनों के रिपोर्ट कार्ड को जनता के सामने रख सकें, क्योंकि विपक्ष होने के नाते 100 दिनों में सरकार को जितना देखा गया है, वह निल बटे सन्नाटा ही है. सत्ता पक्ष के मंत्री गाल बजाने के अलावा कुछ कर नहीं रहे हैं. करन माहरा की यह बात इसलिए भी काफी हद तक वाजिब है, क्योंकि 100 दिनों में कोई मंत्री यह नहीं कह सकता कि उनके विभाग ने यह बड़ा काम करके तीर मारा है.
क्या कह रहे बीजेपी के नेता: कांग्रेस हमलावर है, तो वहीं अब बीजेपी भी रिपोर्ट कार्ड के मामले पर कांग्रेस पर तंज कस रही है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अभिमन्यु ने कहा है कि रिपोर्ट कार्ड दिखाने की परिपाटी भारतीय जनता पार्टी की है, कांग्रेस को राज्य में अगर कुछ अच्छा होता दिखाई देगा भी तो एक परिवार की वजह से वह बोल नहीं सकते. बीजेपी का कहना है कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, पहले वहां का रिपोर्ट कार्ड जारी करें. उसके बाद बीजेपी का रिपोर्ट कार्ड जारी करें. बीजेपी ने 100 दिनों में काम करके दिखाया है और इस बात की तस्दीक ना केवल उत्तराखंड की जनता बल्कि हर राज्य में देश की जनता कर रही है. बीजेपी का कहना है कि मुद्दों के अभाव में कांग्रेस इस तरह के बयान जारी कर रही है.
खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी कह रहे हैं कि उन्हें उम्मीद है की सब साथ मिलकर काम करेंगे. सीएम धामी जब अपने 100 दिन पूरे होने का ब्यौरा दे रहे थे, तब ही उन्होंने कहा था की सब को मिलकर ही काम करना होगा, तभी राज्य और बेहतर तरक्की करेगा.
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मंत्रियों के पास बताने को कुछ नहीं: यह तो बात रही कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के आरोप और प्रत्यारोप की, लेकिन हकीकत यही है कि राज्य में मंत्रियों में अगर उनके विभागों के काम देखे तो किसी भी मंत्री ने कोई ऐसा काम इन 100 दिनों में नहीं किया.राज्य में वित्त मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे प्रेमचंद अग्रवाल के विभाग में भी ऐसा कोई काम नहीं हुआ है जो वह 100 दिनों में करके यह कह सकें कि, उन्होंने यह काम किया है. हां इतना जरूर है कि चारधाम यात्रा की तैयारियों के दौरान चारधाम में गंदगी का जिस तरह से अंबार लगा, उस घटना ने उनके शहरी विकास मंत्रालय की पोल खोल दी.
बात अगर सतपाल महाराज के पर्यटन मंत्रालय की करें तो उत्तराखंड में जब चारधाम यात्रा पूरे चरम पर थी और लोग दम तोड़ रहे थे, तब मंत्री जी दुबई में पर्यटन विभाग के कार्यक्रम के तहत सैर सपाटा कर रहे थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री को दो मंत्रियों को केदारनाथ और बदरीनाथ का प्रभार देना पड़ा. कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने 100 दिनों के कार्यकाल के दौरान बीते सरकार में जितने लाइमलाइट में थे मौजूदा सरकार में उतने ही गायब से दिखाई दे रहे हैं. कार्यक्रम हो या अन्य बैठक उन्हें बेहद कम ही काम करते हुए देखा गया है. राज्य में जब जंगल धू-धू कर जल रहे थे, तब सुबोध उनियाल टेलीफोन पर ही समीक्षा बैठक करके खूब सुर्खियों में आए थे.
राज्य में कौशल विकास मंत्रालय और पशुपालन मंत्रालय संभाल रहे सौरभ बहुगुणा की बात करें तो वह भी इन 100 दिनों में कोई बड़ा काम करके जनता के बीच अपनी छवि शायद ही बना पाए हों. हां इतना जरूर है कि चारधाम यात्रा के दौरान हो रही जानवरों की मौत के बाद हाईकोर्ट से फटकार लगी और उससे पहले मेनका गांधी द्वारा लिखे गए पत्र के बाद उन्हें केदारनाथ जाकर स्थलीय निरीक्षण जरूर करना पड़ा. इतना जरूर है कि उनके निरीक्षण करने के बाद जानवरों के लिए व्यवस्थाओं को और बेहतर किया गया था.
उम्मीद है कि मंत्री सीएम धामी को निराश नहीं करेंगे: चंदन राम दास हों या गणेश जोशी, या फिर धन सिंह रावत जैसे मंत्री 100 दिनों के अपने कार्यकाल को बताए भी तो भला कैसे ? क्योंकि 100 दिनों में इन मंत्रियों ने अपने बयानों से तो खूब सुर्खियां बटोरी लेकिन इनके विभागों ने कोई बेहतर काम किया हो, फिलहाल ऐसा दिखाई नहीं देता. हां इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार तमाम विभागों पर नजर बनाकर उनको एक्टिव करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं. हम यह भी मानते हैं कि किसी भी सरकार, किसी भी मंत्रालय या किसी मंत्री के लिए 100 दिन आंकलन करने के लिए बेहद कम ही हैं. लेकिन जनता यह जानती है कि मंत्री और उनकी सरकार आखिरकार उनके लिए क्या कुछ कर रही है. ऐसे में उम्मीद है कि पुष्कर सिंह धामी की टीम ना केवल राज्य को बल्कि खुद मुख्यमंत्री को निराश नहीं करेगी.