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खुशखबरीः कोरोना काल में उत्तराखंड प्रवासियों को भी मिलेगा सस्ता राशन - बिना राशन कार्ड वालों को भी मिलेगा सस्ता राशन

कोरोना काल में उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के लिए राहतभरी खबर है. राज्य सरकार उत्तराखंड के प्रवासियों को सस्ता राशन मुहैया कराने जा रही है. इसके अलावा जिन प्रवासियों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उनका राज्य खाद्य योजना के तहत राशन कार्ड बनवाया जाएगा.

Dehradun
देहरादून
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Published : May 24, 2021, 11:46 AM IST

देहरादूनः कोरोना काल में अब तक 97 हजार से ज्यादा प्रवासी देश के अलग-अलग राज्यों से उत्तराखंड वापसी कर चुके हैं. ऐसे में राज्य सरकार प्रदेश लौटे प्रवासियों को रियायती मूल्य पर अनाज मुहैया कराने की तैयारी कर रही है. इसके तहत जिन प्रवासियों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन प्रवासियों का राज्य खाद्य योजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर राशन कार्ड बनवाया जाएगा. खाद्य सचिव सुशील कुमार की ओर से सभी जिलापूर्ति अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं.

ये भी पढ़ेंः नगर पालिका मुनि की रेती के अध्यक्ष ने सौंपी कृषि मंत्री को 1 लाख पैरासिटामोल टैबलेट

जानकारी के तहत राज्य खाद्य योजना के जरिए वह प्रवासी लाभान्वित हो सकते हैं, जिनकी मासिक आय 15 हजार रुपए या इससे अधिक है. लेकिन यह लोग आयकर के दायरे से बाहर हैं. इस योजना के तहत राशन कार्ड बनाने वाले लोगों को हर महीने ₹11 प्रति किलो के हिसाब से ढाई किलो चावल और 8.60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 10 किलो गेहूं दिया जाता है.

3 महीने तक 10-10 किलो गेहूं और चावल

हालांकि राज्य सरकार ने कोरोना काल में राशन कार्ड धारकों के लिए अगले 3 महीने तक गेहूं और चावल की मात्रा को 10-10 किलो कर दी है. ऐसे में राज्य खाद्य योजना के तहत राशन कार्ड बनाने वाले प्रवासियों को भी अगले 3 महीनों तक यानी कि मई से जुलाई तक 10 किलो गेहूं और 10 किलो चावल ही दिया जाएगा. बता दें कि प्रदेश के सभी पहाड़ी और मैदानी जिलों में देश के अलग-अलग राज्यों से कई प्रवासी अब तक राज्य लौट चुके हैं. इसमें सबसे अधिक 30,590 प्रवासी अल्मोड़ा जनपद में लौटे हैं. इसके अलावा पौड़ी में 21,694, नैनीताल में 7,820, देहरादून में 6,780, टिहरी में 6,608, उधमसिंह नगर में 5,110 और सबसे कम 796 प्रवासी उत्तरकाशी जिले में लौटे हैं.

देहरादूनः कोरोना काल में अब तक 97 हजार से ज्यादा प्रवासी देश के अलग-अलग राज्यों से उत्तराखंड वापसी कर चुके हैं. ऐसे में राज्य सरकार प्रदेश लौटे प्रवासियों को रियायती मूल्य पर अनाज मुहैया कराने की तैयारी कर रही है. इसके तहत जिन प्रवासियों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन प्रवासियों का राज्य खाद्य योजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर राशन कार्ड बनवाया जाएगा. खाद्य सचिव सुशील कुमार की ओर से सभी जिलापूर्ति अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं.

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जानकारी के तहत राज्य खाद्य योजना के जरिए वह प्रवासी लाभान्वित हो सकते हैं, जिनकी मासिक आय 15 हजार रुपए या इससे अधिक है. लेकिन यह लोग आयकर के दायरे से बाहर हैं. इस योजना के तहत राशन कार्ड बनाने वाले लोगों को हर महीने ₹11 प्रति किलो के हिसाब से ढाई किलो चावल और 8.60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से 10 किलो गेहूं दिया जाता है.

3 महीने तक 10-10 किलो गेहूं और चावल

हालांकि राज्य सरकार ने कोरोना काल में राशन कार्ड धारकों के लिए अगले 3 महीने तक गेहूं और चावल की मात्रा को 10-10 किलो कर दी है. ऐसे में राज्य खाद्य योजना के तहत राशन कार्ड बनाने वाले प्रवासियों को भी अगले 3 महीनों तक यानी कि मई से जुलाई तक 10 किलो गेहूं और 10 किलो चावल ही दिया जाएगा. बता दें कि प्रदेश के सभी पहाड़ी और मैदानी जिलों में देश के अलग-अलग राज्यों से कई प्रवासी अब तक राज्य लौट चुके हैं. इसमें सबसे अधिक 30,590 प्रवासी अल्मोड़ा जनपद में लौटे हैं. इसके अलावा पौड़ी में 21,694, नैनीताल में 7,820, देहरादून में 6,780, टिहरी में 6,608, उधमसिंह नगर में 5,110 और सबसे कम 796 प्रवासी उत्तरकाशी जिले में लौटे हैं.

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