देहरादून: उत्तराखंड में मेट्रो रेल परियोजना की डीपीआर पर शासन ने असहमति जता दी है. यह परियोजना प्रदेश में पूरी तरह फेल हो गयी है. जिसके बाद अब शासन ने प्रदेश के भीतर रोप-वे आधारित केबल कार चलाने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रदेश में भूमि की कमी का हवाला देते हुए मेट्रो रेल परियोजना पर असहमति जताई है.
बता दें कि उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का गठन साल 2017 में किया गया था. परियोजना गठन की शुरुआत से ही परियोजना अधर में लटकी हुई है. उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने मेट्रो रेल परियोजना का डीपीआर तैयार कर शासन को भेजा था, लेकिन शासन ने मेट्रो रेल पर ही असहमति जता दी है.
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विदेशों में मेट्रो रेल की जानकारियों लेने के लिए उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के तमाम अधिकारियों ने जर्मनी का दौरा किया था. जिसके बाद अगस्त 2018 में उत्तराखंड राज्य के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में चार विधायक और उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के 13 अफसरों ने लंदन और जर्मनी का दौरा किया था.
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में भूमि की कमी है. शहरों में भूमि मिलने की समस्या है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक पर्यटन प्रदेश है, जहां देश और दुनिया से पर्यटक आते हैं. इस लिहाज से राज्य की खूबसूरती बरकरार रखना भी जरूरी है, जिस पर सरकार जल्द निर्णय लेगी.