देहरादून: उत्तराखंड में प्रशासनिक तौर पर मॉनसून की विदाई (Monsoon ends in Uttarakhand) हो चुकी है. इस मॉनसून सीजन में 150 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई तो वहीं प्रदेश को तकरीबन 1400 करोड़ का फटका लगा है. जोशीमठ, हरिद्वार जैसी बड़ी आपदाएं लोगों के जेहन में आपदा के दंश छोड़ कर गई हैं.
15 जून से 15 सितंबर तक प्रशासनिक तौर पर मॉनसून सीजन: प्रशासनिक तौर पर 15 जून से 15 सितंबर तक मॉनसून सीजन का आकलन किया जाता है. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन विभाग वैसे तो पूरे साल भर अलर्ट पर रहता है, लेकिन मॉनसून सीजन को ध्यान में रखते हुए मॉनसून सीजन से निपटने के लिए विशेष तैयारी के साथ 15 जून से आधिकारिक रूप से मॉनसून सीजन की शुरुआत मानी जाती है. 15 जून से लेकर 15 सितंबर तक आपदा प्रबंधन विभाग की तमाम तैयारियां मॉनसून सीजन से निपटने के लिए खासतौर से डेडीकेटेड रहती हैं. 15 जून से ही सभी लाइन डिपार्टमेंट के नोडल अधिकारी स्टेट डिजास्टर कंट्रोल रूम में बैठना शुरू कर देते हैं. सभी विभाग आपस में सामंजस्य बिठाकर हर तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहते हैं. 15 सितंबर के बाद हालात को देखते हुए इस प्रक्रिया को ढीला छोड़ दिया जाता है.
इस मॉनसून सीजन में 169 लोगों ने गंवाई जान: इस बार के मॉनसून सीजन पर अगर नजर दौड़ाएं तो इसकी शुरुआत थोड़ा धीमी रही. जून के महीने में बरसात कम हुई. जुलाई आते-आते मॉनसून सीजन ने एक बार फिर से अपना कहर बरपाना शुरू किया. अनियमित बारिश यानी बेहद कम समय में किसी विशेष स्थान पर बहुत ज्यादा बारिश हो जाना, इस तरह का माहौल देखने को मिला. इसकी वजह से कई जगहों पर नुकसान भी देखने को मिला. इस मॉनसून सीजन में हुई जनहानि कि अगर हम बात करें, तो प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अब तक कुल 96 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 16 लोग लापता चल रहे हैं. प्राकृतिक आपदा के चलते इस मॉनसून सीजन में सबसे ज्यादा रुद्रप्रयाग जिले में 21 लोगों की मौत हुई है. वहीं रोड एक्सीडेंट की अगर हम बात करें तो अब तक कुल 73 लोगों की मौत हो चुकी है. तीन लोग लापता चल रहे हैं. रोड एक्सीडेंट में इस मॉनसून सीजन में सबसे ज्यादा पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिले में 15 लोगों की मौत हुई है.
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1400 करोड़ का नुकसान: आपदा प्रबंधन सचिव का कहना है कि अगर पूरे मॉनसून सीजन की औसत बरसात (Average rainfall of monsoon season) को देखें तो यह सामान्य लगेगा. लेकिन अगर बारीकी से अध्ययन किया जाए तो मॉनसून सीजन में बरसात बेहद अनियमित रही. यानी काफी समय तक बारिश ना होना और उसके बाद अचानक से काफी ज्यादा बरसात हो जाना. उन्होंने बताया कि इसी अनियमित बरसात की वजह से अक्सर प्राकृतिक आपदाएं और नुकसान देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि मैदान और पहाड़ दोनों जगह पर इस तरह की अनियमितता देखने को मिली है.
कुछ जिलों में काफी कम बरसात हुई है तो कुछ जिलों में कम समय में बेहद तेज बरसात हुई है. मॉनसून का इसी तरह का पैटर्न मैदानी जिलों में भी देखने को मिला है. इसी अनियमित बरसात की वजह से प्रदेश में नुकसान भी हुआ है. खासतौर से हरिद्वार जनपद में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार इस मॉनसून सीजन में अब तक 1400 करोड़ के नुकसान का आकलन किया गया है. हालांकि अभी इस नुकसान के आकलन का परीक्षण चल रहा है और डिटेल में परीक्षण करने पर यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है.
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जोशीमठ और हरिद्वार आपदा इस सीजन का दर्दनाक पहलू: वर्ष 2023 आपदा के लिहाज से उत्तराखंड में बेहद दर्द भरा रहा. साल 2023 की शुरुआत में ही उत्तराखंड के पौराणिक और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण जोशीमठ शहर (Joshimath disaster) पर गहराए संकट ने प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश की चिंताएं अपनी ओर खींची. भले ही यह मॉनसून सीजन के दौरान की घटना ना रही हो, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग की चिंता साल की शुरुआत से ही जोशीमठ की घटनाओं ने बढ़ाई रखी. वहीं 15 जून से मॉनसून सीजन शुरू होने के बाद हरिद्वार जनपद में 10 जुलाई के बाद लगातार हुई बरसात ने अगले एक सप्ताह में पूरे हरिद्वार जनपद की तकदीर और तस्वीर पलट दी. कई छोटी नदियों के तटबंध टूटने की वजह से कई 100 हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो गई. दर्जनों गांव बाढ़ के चलते मुख्यधारा से कट गए. सैकड़ों लोग बेघर हो गए. जोशीमठ की आपदा और हरिद्वार जनपद में आई आपदा ने इस पूरे मॉनसून सीजन में उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की चिंताएं बढ़ाए रखीं.
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मॉनसून सीजन के इतर भी अलर्ट रहने की जरूरत: प्रशासनिक तौर से 15 जून से लेकर के 15 सितंबर तक उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग (Disaster Management Department) पूरी तरह से मॉनसून सीजन से लड़ने के लिए समर्पित रहता है. लेकिन उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि मॉनसून सीजन के दौरान तो आपदाएं (Disaster in monsoon season) आई ही हैं, मॉनसून सीजन के इतर भी कुछ ऐसी आपदाएं देखने को मिली हैं जिनकी किसी ने उम्मीद नहीं थी. वर्ष 2021 की फरवरी में आई जोशीमठ के तपोवन क्षेत्र में रैणी आपदा (Raini Disaster) हो या फिर इस बार साल की शुरुआत में ही जनवरी माह में जोशीमठ शहर के धंसने को लेकर के खड़ा हुआ संकट हो.
इसी तरह से वर्ष 2021 में ही उधमसिंह नगर के कई इलाकों में अक्टूबर माह के 18 और 19 तारीख में भारी बाढ़ और जल भराव की वजह से आपदा जैसे हालात बने. यह सभी तारीखें आपदा की कहानी कहती हैं. ये घटनाएं वो तस्वीर दिखाती हैं कि आपदा प्रबंधन विभाग को अपने प्रशासनिक ढर्रे से बाहर निकलकर हिमालयी राज्य उत्तराखंड (Himalayan state Uttarakhand) जो कि आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, पूरे साल भर आपदा प्रबंधन के लिए डेडीकेटेड रहना चाहिए.
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