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उत्तराखंड के सबसे लंबे सस्पेंशन पुल का उद्घाटन करेंगे PM मोदी

टिहरी बांध के ऊपर बना सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार हो गया है. इस पुल की लंबाई 725 मीटर है. जिसके निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पुल का उद्घाटन करेंगे.

dobra chanti bridge
डोबरा-चांठी सस्पेंशन पुल
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Published : Jul 23, 2020, 6:53 PM IST

देहरादूनः लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड का सबसे लंबा सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार हो चुका है. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी ऋषिकेश में महत्त्वकांक्षी योजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का पहले रेलवे स्टेशन का भी शुभारंभ करेंगे. हालांकि, अभी उद्घाटन वर्चुअल या फिर विधिवत रूप से किया जाएगा, ये तय नहीं किया गया है, लेकिन इस पुल के बनने से अब कई सालों से लंबा सफर तय कर टिहरी पहुंचने वाले ग्रामीणों को काफी राहत मिलेगी.

उत्तराखंड का सबसे लंबा सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार.

टिहरी बांध के ऊपर बने इस पुल की कहानी भी काफी दिलचस्प है. क्योंकि, इस पुल को बनाने में 13 साल से ज्यादा का वक्त लग चुका है. टिहरी बांध बनने से उत्तराखंड की नहीं, बल्कि पूरे देश का फायदा हुआ है. इस बांध से किसी राज्य को बिजली मिली तो किसी राज्य को पीने का पानी मिल रहा है, लेकिन टिहरी के ही कुछ ऐसे गांव थे, जिनकी दूरी जो पहले मात्र कुछ किलोमीटर की थी. वो सैकड़ों किलोमीटर में तब्दील हो गई थी. उत्तराखंड के टिहरी जिले के डोबरा और चांठी दो ऐसे गांव हैं. जिनके बीच दूरी तो आधा किलोमीटर भी नहीं है, लेकिन बीते 13 सालों से इस गांव का मिलन नहीं हो पाया.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंडः कोरोना महामारी के बीच डेंगू का खौफ, नाकाफी सरकारी इंतजाम

इसका सबसे बड़ा कारण टिहरी बांध के बाद बनने वाली 42 किलोमीटर की लंबी झील थी. टिहरी झील बनने से इन दोनों गांवों के बीच के सभी पुल डूब गए और झील की चौड़ाई इतनी ज्यादा थी कि कोई भी छोटा पुल बनाकर गांव में आवाजाही नहीं की जा सकती थी. हालात इतने खराब थे कि लोग चांठी गांव में अपनी लड़कियां भी बिहाने के लिए तैयार नहीं थे. क्योंकि, लोगो का मानना है कि 'जहां रास्ता नहीं वहां रिश्ता नहीं'.

2006 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण कार्य
डोबरा-चांठी वासियों की दर्द को समझना भी मुश्किल है. क्योंकि, इस पुल का इंतजार ग्रामीणों ने सालों से किया है. टिहरी जिला मुख्यालय से प्रतापनगर क्षेत्र को जाने के लिए लोगों को 100 किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ता था. कई घंटों के सफर के बाद लोग टिहरी से प्रताप नगर पहुंचते थे. लिहाजा, इस झूला पुल की जरुरत को देखते हुए साल 2006 से पुल का निर्माण शुरू किया गया. जो अब लगभग बनकर तैयार हो गया है.

ये भी पढ़ेंः 'दादी' की मौत पर फिर खोला गया भारत-नेपाल को जोड़ने वाला अंतरराष्ट्रीय झूलापुल

उम्मीद है कि सितंबर 2020 में आवाजाही के लिए पुल को खोल दिया जाएगा. हालांकि, टिहरी झील पर बन रहे डोबरा-चांठी पुल का काम लगभग पूरा हो गया है. झूला पुल बनने से प्रतापनगर ब्लॉक की तीन लाख से ज्यादा की आबादी को काफी सहलूयित मिलेगी. साथ ही नई टिहरी से प्रतापनगर जाने के लिए पांच घंटे के बजाए मात्र दो घंटे का ही समय लगेगा.

बेहद खास है डोबरा-चांठी पुल
डोबरा-चांठी पुल प्रदेश का सबसे लंबा सस्पेंशन पुल है. जिसकी कुल लंबाई 725 मीटर है. जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं, 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांटी साइड है. इतना ही नहीं यह पुल सात मीटर चौड़ी है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.50 मीटर रखी गई है, इसके साथ ही पुल के दोनों ओर 0.75-0.75 मीटर चौड़ा फुटपाथ बनाया गया है.

ये भी पढ़ेंः जानें, पाकिस्तानी घुसपैठ की किस तरह खुली थी पोल

साथ ही पुल में 20-20 टन के 24 रोप लगाए गए हैं. 5-5 मीटर के फासले पर झील की तरफ क्लैंप, सस्पेंडर किया गया है और 58-58 मीटर के चार टॉवर भी लगाए गए हैं. लिहाजा, पुल के दोनों ओर रोड के लिए चार करोड़ रुपये का रिवाइज इस्टीमेट भी शासन को भेजा गया है. इसके बाद वहां पर रोड और पार्किंग का निर्माण भी किया जाएगा. पुल के निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.

देहरादूनः लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड का सबसे लंबा सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार हो चुका है. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी ऋषिकेश में महत्त्वकांक्षी योजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का पहले रेलवे स्टेशन का भी शुभारंभ करेंगे. हालांकि, अभी उद्घाटन वर्चुअल या फिर विधिवत रूप से किया जाएगा, ये तय नहीं किया गया है, लेकिन इस पुल के बनने से अब कई सालों से लंबा सफर तय कर टिहरी पहुंचने वाले ग्रामीणों को काफी राहत मिलेगी.

उत्तराखंड का सबसे लंबा सस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार.

टिहरी बांध के ऊपर बने इस पुल की कहानी भी काफी दिलचस्प है. क्योंकि, इस पुल को बनाने में 13 साल से ज्यादा का वक्त लग चुका है. टिहरी बांध बनने से उत्तराखंड की नहीं, बल्कि पूरे देश का फायदा हुआ है. इस बांध से किसी राज्य को बिजली मिली तो किसी राज्य को पीने का पानी मिल रहा है, लेकिन टिहरी के ही कुछ ऐसे गांव थे, जिनकी दूरी जो पहले मात्र कुछ किलोमीटर की थी. वो सैकड़ों किलोमीटर में तब्दील हो गई थी. उत्तराखंड के टिहरी जिले के डोबरा और चांठी दो ऐसे गांव हैं. जिनके बीच दूरी तो आधा किलोमीटर भी नहीं है, लेकिन बीते 13 सालों से इस गांव का मिलन नहीं हो पाया.

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इसका सबसे बड़ा कारण टिहरी बांध के बाद बनने वाली 42 किलोमीटर की लंबी झील थी. टिहरी झील बनने से इन दोनों गांवों के बीच के सभी पुल डूब गए और झील की चौड़ाई इतनी ज्यादा थी कि कोई भी छोटा पुल बनाकर गांव में आवाजाही नहीं की जा सकती थी. हालात इतने खराब थे कि लोग चांठी गांव में अपनी लड़कियां भी बिहाने के लिए तैयार नहीं थे. क्योंकि, लोगो का मानना है कि 'जहां रास्ता नहीं वहां रिश्ता नहीं'.

2006 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण कार्य
डोबरा-चांठी वासियों की दर्द को समझना भी मुश्किल है. क्योंकि, इस पुल का इंतजार ग्रामीणों ने सालों से किया है. टिहरी जिला मुख्यालय से प्रतापनगर क्षेत्र को जाने के लिए लोगों को 100 किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ता था. कई घंटों के सफर के बाद लोग टिहरी से प्रताप नगर पहुंचते थे. लिहाजा, इस झूला पुल की जरुरत को देखते हुए साल 2006 से पुल का निर्माण शुरू किया गया. जो अब लगभग बनकर तैयार हो गया है.

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उम्मीद है कि सितंबर 2020 में आवाजाही के लिए पुल को खोल दिया जाएगा. हालांकि, टिहरी झील पर बन रहे डोबरा-चांठी पुल का काम लगभग पूरा हो गया है. झूला पुल बनने से प्रतापनगर ब्लॉक की तीन लाख से ज्यादा की आबादी को काफी सहलूयित मिलेगी. साथ ही नई टिहरी से प्रतापनगर जाने के लिए पांच घंटे के बजाए मात्र दो घंटे का ही समय लगेगा.

बेहद खास है डोबरा-चांठी पुल
डोबरा-चांठी पुल प्रदेश का सबसे लंबा सस्पेंशन पुल है. जिसकी कुल लंबाई 725 मीटर है. जिसमें 440 मीटर सस्पेंशन ब्रिज हैं, 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांटी साइड है. इतना ही नहीं यह पुल सात मीटर चौड़ी है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.50 मीटर रखी गई है, इसके साथ ही पुल के दोनों ओर 0.75-0.75 मीटर चौड़ा फुटपाथ बनाया गया है.

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साथ ही पुल में 20-20 टन के 24 रोप लगाए गए हैं. 5-5 मीटर के फासले पर झील की तरफ क्लैंप, सस्पेंडर किया गया है और 58-58 मीटर के चार टॉवर भी लगाए गए हैं. लिहाजा, पुल के दोनों ओर रोड के लिए चार करोड़ रुपये का रिवाइज इस्टीमेट भी शासन को भेजा गया है. इसके बाद वहां पर रोड और पार्किंग का निर्माण भी किया जाएगा. पुल के निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.

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