देहरादून: कोरोना महामारी की दस्तक के बाद 19 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को टेलीविजन के माध्यम से संबोधित किया था. साथ ही 22 मार्च को पूरे देश में जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी. जिसके बाद पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया, जो कुछ महीनों तक लागू रहा. हालांकि, एक साल बीत जाने के बाद भी कोरोना संक्रमण के मामले मुंह बाये खड़े हैं. उत्तराखंड में दिनोंदिन कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. जिसका बड़ा कारण कोविड गाइडलाइन की अनदेखी भी है. आम से लेकर खास को कोरोना संक्रमण ने अपने शिकंजे में जकड़ रहा है.
कोविड वैक्सीन के सफल ट्रायल के बाद पूरे देश में कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य जोर-शोर से चल रहा है. ऐसे में वैक्सीनेशन के कार्य को और तेजी से किये जाने की जरूरत है. पहले और दूसरे चरण में 60 साल से ऊपर की आयु वालों का टीकाकरण किया गया. वहीं, अब तीसरे चरण में 45 साल तक की आयु वालों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है. हालांकि, देश के साथ-साथ प्रदेश में भी वो लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. जो कोविड वैक्सीन का पहला टीका लगवा चुके हैं.
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प्रदेश के मुखिया तीरथ सिंह रावत कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं. वहीं, बीते दिन कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. उन्होंने कुछ दिन पहले ही कोविड का पहला टीका लगवाया था. ऐसे में सवाल ये उठता है कि केंद्र और राज्य सरकार की जिन कोविड गाइडलाइन के अनुपालन की दुहाई माननीय जनता को दे रहे हैं. खुद ही उन कोविड गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाने में माननीय कम नहीं है. ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं.
आपको याद होगा कि सूबे की कमान संभालते हुए सीएम तीरथ सिंह रावत ने 11 मार्च को गंगा स्नान के बाद ऐलान किया था कि कुंभ में किसी भी व्यक्ति को कोरोना टेस्ट के नाम पर या अन्य किसी जांच के नाम पर रोका न जाए. बेरोकटोक श्रद्धालुओं को हरिद्वार आने दिया जाए. वहीं, वह कई सार्वजनिक कार्यक्रमों बिना मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते दिखे. वहीं, विपक्ष के नेता भी कोविड संक्रमण के इंतजामों को लेकर सरकार को कितना भी कोस लें, लेकिन वो भी कोविड-19 संक्रमण की गाइडलाइन के अनुपालन को अपने नाक का सवाल बनाकर तमाम आयोजन में बिना मास्क के ही नजर आए.
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वहीं, बीते दिन हरीश रावत भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. उन्होंने बकायदा ट्वीट करके इस जानकारी को सार्वजनिक किया है. हरदा लगातार नेतृत्व परिवर्तन, महंगाई और प्रदेश में चल रहे छोटे-बड़े कार्यक्रमों में शिकरत करते देखे गए. उनकी सक्रियता ही उन्हें तमाम नेताओं से अलहदा बनाती है. लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकार को कोविड इंतजामों को लेकर पानी पी-पीकर कोसने वाले माननीय क्या खुद कोरोना संक्रमण को लेकर गंभीर हैं ?
राजधानी देहरादून समेत अन्य जगहों पर इनदिनों होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में इस कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले नेता और कार्यकर्ता भी कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं. ये इस बात की ताकीद करता है कि संक्रमण को लेकर चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, जनता को महज गुमराह ही कर रहे हैं.