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गांवों के जरिए राजनीतिक जमीन मजबूत करेगा यूकेडी, बीजेपी और कांग्रेस को पस्त करने के लिए बनाई ऐसी रणनीति

यूकेडी के नेताओं का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किए गये अच्छे कामों को बीजेपी और कांग्रेस ने अपने पाले में डाले. गलत कामों को यूकेडी के खाते में डाले. इसी कारण से उत्तराखंड क्रांति दल अपना राजनीतिक स्वरूप नहीं ले पाया. अब सभी कार्यकर्ताओं ने अपने राजनीतिक आंदोलन को ग्राम स्तर से शुरू करने का निर्णय लिया है.

गांवों के जरिए राजनीतिक जमीन मजबूत करेगा यूकेडी
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Published : Jun 1, 2019, 6:29 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड क्रांति दल अब अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को तलाशने जा रहा है. अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा यूकेडी अब ग्राम स्तर पर राजनीतिक आंदोलन छेड़ने की तैयारियों में है. जिससे आंदोलनकारी संगठन के रूप में आगे रहा यूकेडी राजनीतिक स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बना सके. इसके लिए उक्रांद आगामी 24 और 25 जुलाई को द्विवार्षिक अधिवेशन आयोजित करने जा रहा है. अधिवेशन के लिए 7 सदस्यों की एक टीम का गठन भी किया गया है.

राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में जुटी उत्तराखंड क्रांति दल.


गौर हो कि उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने ही अलग राज्य की स्थापना की मांग की थी. साल 1994 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने की मांग यूकेडी ने उठाई थी. उत्तराखंड के अलग राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाला संगठन यकेडी अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस दल ने साल 2002 में पहले विधानसभा में 4 सीट पर जीत हासिल की थी. 2007 में 3 सीट पर सिमट गई थी. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में तो यूकेडी को महज एक सीट ही मिल पाई थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी को कोई सीट नहीं मिली. अब यूकेडी वर्तमान समय में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है.


इस बार हुए लोकसभा चुनावों में सभी सीटों से यूकेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. अब यूकेडी अपने राजनीतिक स्वरूप को बचाने के लिए ग्राम स्तर पर कूच करने की तैयारी में है. उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यवाहक अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने बताया कि यूकेडी की अभी तक केवल आंदोलनकारी संगठन के रूप में ही पहचान थी. जिसकी वजह से राजनीतिक स्तर पर यूकेडी काफी पीछे छूट गई है. अब यूकेडी को उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है. क्षेत्रीय संगठन के रूप में यूकेडी ने सड़कों पर उतरकर राज्य का सबसे बड़ा आंदोलन लड़ा था, लेकिन ये पार्टी के लिए सबसे बड़ा अभिशाप साबित हुआ.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंड के जंगलों में विकराल होती जा रही आग और विभाग कर रहा बारिश का इंतजार


उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किए गये अच्छे कामों को बीजेपी और कांग्रेस ने अपने पाले में डाले. गलत कामों को यूकेडी के खाते में डाले. इसी कारण से उत्तराखंड क्रांति दल अपना राजनीतिक स्वरूप नहीं ले पाया. अब सभी कार्यकर्ताओं ने अपने राजनीतिक आंदोलन को ग्राम स्तर से शुरू करने का निर्णय लिया है. साथ ही कहा कि जब तक गांव के लोगों को राज्य को बचाने के सवाल पर लामबंद नहीं करेंगे, तब तक राज्य नहीं बचेगा.


कार्यवाहक अध्यक्ष भट्ट ने बताया कि इस मुहिम को शुरू करने के लिए डेलिगेट्स का चयन किया गया है. एक डेलीगेट 25 लोगों को जोड़कर सदस्य बनाएंगे. इसके लिए सीमाएं भी तय की गई हैं. इसके तहत प्रत्येक विधानसभा में 11 डेलिगेट्स बनाए जाएंगे. जो 11 सदस्य ब्लॉक और ग्राम स्तर को जोड़ने का काम करेंगे. इस कार्यक्रम को विस्तार देने के बाद आगामी 24 और 25 जुलाई को हरिद्वार में विशाल अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा.

देहरादूनः उत्तराखंड क्रांति दल अब अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को तलाशने जा रहा है. अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा यूकेडी अब ग्राम स्तर पर राजनीतिक आंदोलन छेड़ने की तैयारियों में है. जिससे आंदोलनकारी संगठन के रूप में आगे रहा यूकेडी राजनीतिक स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बना सके. इसके लिए उक्रांद आगामी 24 और 25 जुलाई को द्विवार्षिक अधिवेशन आयोजित करने जा रहा है. अधिवेशन के लिए 7 सदस्यों की एक टीम का गठन भी किया गया है.

राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में जुटी उत्तराखंड क्रांति दल.


गौर हो कि उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने ही अलग राज्य की स्थापना की मांग की थी. साल 1994 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने की मांग यूकेडी ने उठाई थी. उत्तराखंड के अलग राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाला संगठन यकेडी अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस दल ने साल 2002 में पहले विधानसभा में 4 सीट पर जीत हासिल की थी. 2007 में 3 सीट पर सिमट गई थी. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में तो यूकेडी को महज एक सीट ही मिल पाई थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी को कोई सीट नहीं मिली. अब यूकेडी वर्तमान समय में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है.


इस बार हुए लोकसभा चुनावों में सभी सीटों से यूकेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. अब यूकेडी अपने राजनीतिक स्वरूप को बचाने के लिए ग्राम स्तर पर कूच करने की तैयारी में है. उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यवाहक अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने बताया कि यूकेडी की अभी तक केवल आंदोलनकारी संगठन के रूप में ही पहचान थी. जिसकी वजह से राजनीतिक स्तर पर यूकेडी काफी पीछे छूट गई है. अब यूकेडी को उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है. क्षेत्रीय संगठन के रूप में यूकेडी ने सड़कों पर उतरकर राज्य का सबसे बड़ा आंदोलन लड़ा था, लेकिन ये पार्टी के लिए सबसे बड़ा अभिशाप साबित हुआ.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंड के जंगलों में विकराल होती जा रही आग और विभाग कर रहा बारिश का इंतजार


उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किए गये अच्छे कामों को बीजेपी और कांग्रेस ने अपने पाले में डाले. गलत कामों को यूकेडी के खाते में डाले. इसी कारण से उत्तराखंड क्रांति दल अपना राजनीतिक स्वरूप नहीं ले पाया. अब सभी कार्यकर्ताओं ने अपने राजनीतिक आंदोलन को ग्राम स्तर से शुरू करने का निर्णय लिया है. साथ ही कहा कि जब तक गांव के लोगों को राज्य को बचाने के सवाल पर लामबंद नहीं करेंगे, तब तक राज्य नहीं बचेगा.


कार्यवाहक अध्यक्ष भट्ट ने बताया कि इस मुहिम को शुरू करने के लिए डेलिगेट्स का चयन किया गया है. एक डेलीगेट 25 लोगों को जोड़कर सदस्य बनाएंगे. इसके लिए सीमाएं भी तय की गई हैं. इसके तहत प्रत्येक विधानसभा में 11 डेलिगेट्स बनाए जाएंगे. जो 11 सदस्य ब्लॉक और ग्राम स्तर को जोड़ने का काम करेंगे. इस कार्यक्रम को विस्तार देने के बाद आगामी 24 और 25 जुलाई को हरिद्वार में विशाल अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा.

Intro:आगामी 24 और 25 जुलाई को उत्तराखंड क्रांति दल का द्विवार्षिक अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है जिसमें यूकेडी के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की एक टीम का गठन किया गया है। उत्तराखंड क्रांति दल ग्राम स्तर पर अपना राजनीतिक आंदोलन छेड़ने की तैयारियों मे जुट गई है। ताकि आंदोलनकारी संगठन के रूप में आगे रही यूकेडी अब राजनीतिक स्तर पर अपनी पहचान बनाने जा रही है।


Body:उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यवाहक अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने बताया कि यूकेडी अभी तक केवल आंदोलनकारी संगठन के रूप में ही जानी जाती थी जिसकी वजह से राजनीतिक स्तर पर यूकेडी काफी पीछे छूट चुकी है अब यूकेडी को उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है। क्षेत्रीय संगठन के रूप में यूकेडी ने सड़कों पर उतरकर राज्य का सबसे बड़ा आंदोलन लड़ा , और यही सबसे बड़ा अभिशाप साबित हुआ जहां गांवों में भाजपा और कॉन्ग्रेस ने अच्छे काम अपने पाले में डालें, तो वही गलत काम यूकेडी के खाते मे डाले। यही कारण रहा कि उत्तराखंड क्रांति दल अपना राजनीतिक स्वरूप नहीं ले पाया। अब सभी कार्यकर्ताओं ने तय किया है कि अपने राजनीतिक आंदोलन को ग्राम स्तर से शुरू किया जाए, जब तक गांव के लोगों को राज्य को बचाने के सवाल पर लामबंद नहीं करेंगे तब तक यह राज्य बचने वाला नहीं है, इस मुहिम को शुरू करने के लिये डेलिगेट्स का चयन किया गया है। 1 डेलीगेट 25 आदमियों को सदस्य बनाएंगे इसके लिए बाकायदा सीमाएं तय की गई है ,कि प्रत्येक विधानसभा में 11 डेलिगेट्स बनाए जाएंगे यह 11 सदस्य ब्लाक और ग्राम स्तर को जोड़ने का काम करेंगे इस कार्यक्रम को संपूर्ण विस्तार देने के बाद आगामी 24 और 25 जुलाई को हरिद्वार मे विशाल अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा।

बाईट-दिवाकर भट्ट, कार्यवाहक अध्यक्ष, यूकेडी।


Conclusion: गौरतलब है कि राज्य बनाने की लड़ाई को लड़ने वाली उत्तराखंड क्रांति दल वर्तमान समय में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। बीते लोकसभा चुनावों में सभी सीटों से करारी हार का सामना करने वाली यूकेडी अप अपने राजनीतिक स्वरूप को बचाने के लिए ग्राम स्तर पर कूच करने की तैयारी कर रही है।
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