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उत्तराखंड किसान सभा और सीटू का सचिवालय कूच, MSP कानून बनाने की मांग - MSP कानून की मांग

उत्तराखंड किसान सभा और सीटू कार्यकर्ताओं ने तीनों कृषि कानूनों को संसद से रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर देहरादून स्थित सचिवालय कूच किया. इस दौरान पहले से मौजूद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेडिंग लगाकर सचिवालय से पहले ही रोक दिया.

CITU marched to the Secretariat
किसान सभा और सीटू का सचिवालय कूच
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Published : Nov 26, 2021, 3:15 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 3:58 PM IST

देहरादून: दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में उत्तराखंड किसान सभा (Uttarakhand Kisan Sabha) और सीटू कार्यकर्ताओं ने सचिवालय कूच किया (CITU workers march to the secretariat). इस दौरान सीटू कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी (Slogans against PM Modi) की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने सुभाष रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर सचिवालय से पहले ही रोक दिया.

वहीं, पुलिस द्वारा रोके जाने से नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और एक सभा का आयोजन किया. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि इन तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करना किसान आंदोलन (Kisan movement) की एकमात्र मांग नहीं है, बल्कि शुरू से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) के लिए कानून प्रस्तावित संशोधन विधेयक 2020-21 (Law Proposed Amendment Bill 2020-21) और 2020 में लगे लॉकडाउन के दौरान काले कृषि कानूनों के साथ-साथ श्रम कानूनों में किए गए संशोधनों को भी रद्द करने की मांग है.

किसान सभा और सीटू का सचिवालय कूच

ये भी पढ़ें: अब गैरसैंण नहीं 9-10 दिसंबर को देहरादून में होगा उत्तराखंड विस का शीतकालीन सत्र

सीटू के प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के एक साल पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) और ट्रेड यूनियन के आह्वान पर हम लोगों ने देहरादून सचिवालय (Dehradun Secretariat) कूच किया है. उन्होंने कहा सरकार अपनी घोषणा अनुसार तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए संसद में वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर इन कानून को रद्द करें.

उन्होंने कहा इस आंदोलन में करीब 700 किसानों की शहादत (Martyrdom of 700 farmers) हो चुकी हैं. ऐसे में उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था (compensation and rehabilitation) भी की जाए. इसके अलावा उत्तराखंड किसान सभा की अन्य प्रमुख मांगे भी है, जिसमें निजीकरण पर रोक लगाने, साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र रेल, बैंक, बीमा, रक्षा आदि की बिक्री बंद की जाए.

देहरादून: दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में उत्तराखंड किसान सभा (Uttarakhand Kisan Sabha) और सीटू कार्यकर्ताओं ने सचिवालय कूच किया (CITU workers march to the secretariat). इस दौरान सीटू कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी (Slogans against PM Modi) की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने सुभाष रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर सचिवालय से पहले ही रोक दिया.

वहीं, पुलिस द्वारा रोके जाने से नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और एक सभा का आयोजन किया. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि इन तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करना किसान आंदोलन (Kisan movement) की एकमात्र मांग नहीं है, बल्कि शुरू से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) के लिए कानून प्रस्तावित संशोधन विधेयक 2020-21 (Law Proposed Amendment Bill 2020-21) और 2020 में लगे लॉकडाउन के दौरान काले कृषि कानूनों के साथ-साथ श्रम कानूनों में किए गए संशोधनों को भी रद्द करने की मांग है.

किसान सभा और सीटू का सचिवालय कूच

ये भी पढ़ें: अब गैरसैंण नहीं 9-10 दिसंबर को देहरादून में होगा उत्तराखंड विस का शीतकालीन सत्र

सीटू के प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी ने कहा दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के एक साल पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) और ट्रेड यूनियन के आह्वान पर हम लोगों ने देहरादून सचिवालय (Dehradun Secretariat) कूच किया है. उन्होंने कहा सरकार अपनी घोषणा अनुसार तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए संसद में वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर इन कानून को रद्द करें.

उन्होंने कहा इस आंदोलन में करीब 700 किसानों की शहादत (Martyrdom of 700 farmers) हो चुकी हैं. ऐसे में उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था (compensation and rehabilitation) भी की जाए. इसके अलावा उत्तराखंड किसान सभा की अन्य प्रमुख मांगे भी है, जिसमें निजीकरण पर रोक लगाने, साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र रेल, बैंक, बीमा, रक्षा आदि की बिक्री बंद की जाए.

Last Updated : Nov 26, 2021, 3:58 PM IST
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