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पहली बार बोले कर्मकार बोर्ड अध्यक्ष सत्याल, जांच में कई बड़े नाम, हरक के बयान झूठे, त्रिवेंद्र भाजपा के वटवृक्ष

उत्तराखंड सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड में चल रहा विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल और हरक सिंह रावत के बीच वर्चस्व की खाई बढ़ती ही जा रही है. अब शमशेर सिंह ने हरक सिंह रावत पर झूठी बयानबाजी का आरोप लगाते हुए जांच में कई बड़े नाम बाहर आने की बात कही है.

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देहरादून
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Published : Jun 21, 2021, 3:21 PM IST

Updated : Jun 21, 2021, 6:58 PM IST

देहरादून: पिछले कई महीनों से उत्तराखंड सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कर्मकार बोर्ड के मंत्री हरक सिंह रावत पिछले कुछ दिनों से बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को हटाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. इन्हीं सब मुद्दों को लेकर बोर्ड अध्यक्ष ने पहली बार ईटीवी भारत पर अपना पक्ष रखा है.

कर्मकार कल्याण बोर्ड में विवाद इस कदर बढ़ चुका है कि मंत्री हरक सिंह रावत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से भी बात कर चुके हैं, लेकिन उन्हें न हटाए जाने पर वह अब सरकार से भी नाराज चल रहे हैं. बातचीत में बोर्ड अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने बताया कि वह पिछले 40 साल से भाजपा के कार्यकर्ता हैं और प्रदेश भाजपा में कई पदों पर जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. लेकिन मंत्री हरक सिंह रावत लगातार जो अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं, वो भाजपा के एक छोटे से कार्यकर्ता पर सीधे तौर पर एक आक्रमण है.

शमशेर सिंह सत्याल, कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष

सत्याल ने बताया कि इससे पहले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बोर्ड के अध्यक्ष थे लेकिन इनका कार्यकाल पूरा होने के बाद त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में इन्हें दायित्व देते हुए बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि, जब वो बोर्ड के अध्यक्ष बने उस समय बोर्ड के भीतर स्थितियां सामान्य नहीं थी, जिसके बाद उन्होंने उन सभी मामलों की जांच कराई.

बिना वित्तीय स्वीकृति के पैसे जारी

एक मामले का जिक्र करते हुए सत्याल ने कहा कि बिना वित्तीय स्वीकृति के ही बोर्ड के माध्यम से 20 करोड़ जारी किए गए थे, लेकिन जांच में स्थितियां सामने आने के बाद वह पैसा वापस आ गए. उन्होंने बताया कि बोर्ड में काफी वित्तीय अनियमितताएं हैं, जिसकी शासन स्तर पर जांच कराई गई और वो जांच भी पेंडिंग है. ऐसे में सत्याल चाहते हैं कि जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए ताकि, दूध का दूध और पानी का पानी हो.

ये भी पढ़ेंः आपसी लड़ाई में नियम भूले कर्मकार कल्याण बोर्ड अध्यक्ष, सचिव को हटाने के दिए औचित्यहीन आदेश

दोबारा जांच होनी चाहिए

हालांकि, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि दोबारा से जांच कराई जानी चाहिए, जिस पर सत्याल ने कहा कि वह मंत्री हरक सिंह रावत के इस फैसले का स्वागत करते हैं और दोबारा जांच कराए जाने का समर्थन करते हैं. यही नहीं, सत्याल ने बताया कि एक अप्रैल को बोर्ड के नए सचिव के रूप में मधु नेगी चौहान ने पदभार ग्रहण किया था और आज करीब 3 माह का समय पूरा होने को है लेकिन अभी तक कोई कार्य नहीं हुआ है. हालांकि, इस संबंध में सत्याल ने शासन के आला अधिकारियों से बात भी की थी लेकिन अभी उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है.

हरक कर रहे झूठी बयानबाजी

सत्याल ने इस बात का भी जिक्र किया कि हाल ही में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा था कि उन्हें हटाने के लिए कई मंत्रियों से उनकी बातचीत हुई है. इस बारे में जब सत्याल ने खुद कुछ मंत्रियों से बातचीत की तो उन्होंने साफ कहा कि उन लोगों ने सत्याल को हटाने के लिए मुख्यमंत्री से पैरवी नहीं की है. इसके साथ ही सत्याल ने कहा कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत लगातार झूठी बयानबाजी कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री को उनका संरक्षण करना चाहिए.

बोर्ड से फाइलें गायब करवाने का आरोप

इसके साथ ही शमशेर सिंह सत्याल ने बताया कि इस बोर्ड की पहली सचिव दीप्ति सिंह को उन्होंने नहीं हटाया बल्कि बोर्ड बैठक में उन्हें हटाने का निर्णय लिया गया था. यही नहीं, सत्याल ने आरोप लगाया कि एक ड्राइवर के माध्यम से वहां से फाइलें निकलवाई जा रही हैं, ऐसे में प्रशासन को इस बात पर ध्यान देना चाहिए और जो भी कागज रखे हैं उसको सील कर देना चाहिए. सत्याल ने बताया कि 3 महीने का समय हो गया है लेकिन अभी तक डीबीटी के माध्यम से कोई भी पैसा जारी नहीं किया गया है.

ये भी पढ़ेंः कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में तल्खी, अध्यक्ष ने सचिव पर लगाए गंभीर आरोप

जांच में हैं कई बड़े अधिकारियों के नाम

सत्याल ने कहा कि जो जांच कराई गई है उस जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक कराया जाना चाहिए क्योंकि जांच में कई बड़े अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं. ऐसे में जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा या फिर भी अधिकारियों के नाम सामने आएंगे उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री हैं भाजपा के वटवृक्ष

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर की गई बयानबाजी को सत्याल ने निराधार बताते हुए कहा कि त्रिवेंद्र भारतीय जनता पार्टी के वटवृक्ष हैं. यह बात सभी को पता है कि डालों पर कौन लोग रहते हैं. सत्याल ने इशारों-इशारों में ये बात भी कह दी कि हरक सिंह रावत मूल रूप से भाजपा के नहीं बल्कि वो कांग्रेस से आए हुए नेता हैं, जिसके चलते इस तरह के बयानबाजी कर रहे हैं.

हरक को भाजपा कार्यकर्ताओं की नहीं है पहचान

सत्याल ने कहा कि हरक सिंह रावत को उनका नाम लेने में भी दिक्कत हो रही है लेकिन वह पिछले 42 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं. उधर, हरक सिंह रावत अभी नए-नए भाजपा में शामिल हुए हैं. इसलिए उन्हें अभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की पहचान नहीं है. यही वजह है कि इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.

गनर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत एक दबंग नेता के रूप में जाने जाते हैं ऐसे में उनसे सीधे टक्कर लेने के सवाल पर बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल ने बताया कि वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं ऐसे में भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता उनके साथ खड़ा है, लिहाजा डरने की कोई बात नहीं है. अपना दर्द बयां करते हुए सत्याल ने बताया कि पूर्व में राज्यमंत्री का दर्जा होने के नाते उन्हें गनर दिया गया था, लेकिन उसे भी हटा दिया गया है. दोबारा गनर दिए जाने को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखा है.

देहरादून: पिछले कई महीनों से उत्तराखंड सन्निर्माण एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कर्मकार बोर्ड के मंत्री हरक सिंह रावत पिछले कुछ दिनों से बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को हटाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. इन्हीं सब मुद्दों को लेकर बोर्ड अध्यक्ष ने पहली बार ईटीवी भारत पर अपना पक्ष रखा है.

कर्मकार कल्याण बोर्ड में विवाद इस कदर बढ़ चुका है कि मंत्री हरक सिंह रावत मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से भी बात कर चुके हैं, लेकिन उन्हें न हटाए जाने पर वह अब सरकार से भी नाराज चल रहे हैं. बातचीत में बोर्ड अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने बताया कि वह पिछले 40 साल से भाजपा के कार्यकर्ता हैं और प्रदेश भाजपा में कई पदों पर जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. लेकिन मंत्री हरक सिंह रावत लगातार जो अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं, वो भाजपा के एक छोटे से कार्यकर्ता पर सीधे तौर पर एक आक्रमण है.

शमशेर सिंह सत्याल, कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष

सत्याल ने बताया कि इससे पहले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बोर्ड के अध्यक्ष थे लेकिन इनका कार्यकाल पूरा होने के बाद त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में इन्हें दायित्व देते हुए बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि, जब वो बोर्ड के अध्यक्ष बने उस समय बोर्ड के भीतर स्थितियां सामान्य नहीं थी, जिसके बाद उन्होंने उन सभी मामलों की जांच कराई.

बिना वित्तीय स्वीकृति के पैसे जारी

एक मामले का जिक्र करते हुए सत्याल ने कहा कि बिना वित्तीय स्वीकृति के ही बोर्ड के माध्यम से 20 करोड़ जारी किए गए थे, लेकिन जांच में स्थितियां सामने आने के बाद वह पैसा वापस आ गए. उन्होंने बताया कि बोर्ड में काफी वित्तीय अनियमितताएं हैं, जिसकी शासन स्तर पर जांच कराई गई और वो जांच भी पेंडिंग है. ऐसे में सत्याल चाहते हैं कि जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए ताकि, दूध का दूध और पानी का पानी हो.

ये भी पढ़ेंः आपसी लड़ाई में नियम भूले कर्मकार कल्याण बोर्ड अध्यक्ष, सचिव को हटाने के दिए औचित्यहीन आदेश

दोबारा जांच होनी चाहिए

हालांकि, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि दोबारा से जांच कराई जानी चाहिए, जिस पर सत्याल ने कहा कि वह मंत्री हरक सिंह रावत के इस फैसले का स्वागत करते हैं और दोबारा जांच कराए जाने का समर्थन करते हैं. यही नहीं, सत्याल ने बताया कि एक अप्रैल को बोर्ड के नए सचिव के रूप में मधु नेगी चौहान ने पदभार ग्रहण किया था और आज करीब 3 माह का समय पूरा होने को है लेकिन अभी तक कोई कार्य नहीं हुआ है. हालांकि, इस संबंध में सत्याल ने शासन के आला अधिकारियों से बात भी की थी लेकिन अभी उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है.

हरक कर रहे झूठी बयानबाजी

सत्याल ने इस बात का भी जिक्र किया कि हाल ही में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा था कि उन्हें हटाने के लिए कई मंत्रियों से उनकी बातचीत हुई है. इस बारे में जब सत्याल ने खुद कुछ मंत्रियों से बातचीत की तो उन्होंने साफ कहा कि उन लोगों ने सत्याल को हटाने के लिए मुख्यमंत्री से पैरवी नहीं की है. इसके साथ ही सत्याल ने कहा कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत लगातार झूठी बयानबाजी कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री को उनका संरक्षण करना चाहिए.

बोर्ड से फाइलें गायब करवाने का आरोप

इसके साथ ही शमशेर सिंह सत्याल ने बताया कि इस बोर्ड की पहली सचिव दीप्ति सिंह को उन्होंने नहीं हटाया बल्कि बोर्ड बैठक में उन्हें हटाने का निर्णय लिया गया था. यही नहीं, सत्याल ने आरोप लगाया कि एक ड्राइवर के माध्यम से वहां से फाइलें निकलवाई जा रही हैं, ऐसे में प्रशासन को इस बात पर ध्यान देना चाहिए और जो भी कागज रखे हैं उसको सील कर देना चाहिए. सत्याल ने बताया कि 3 महीने का समय हो गया है लेकिन अभी तक डीबीटी के माध्यम से कोई भी पैसा जारी नहीं किया गया है.

ये भी पढ़ेंः कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में तल्खी, अध्यक्ष ने सचिव पर लगाए गंभीर आरोप

जांच में हैं कई बड़े अधिकारियों के नाम

सत्याल ने कहा कि जो जांच कराई गई है उस जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक कराया जाना चाहिए क्योंकि जांच में कई बड़े अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं. ऐसे में जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा या फिर भी अधिकारियों के नाम सामने आएंगे उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री हैं भाजपा के वटवृक्ष

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर की गई बयानबाजी को सत्याल ने निराधार बताते हुए कहा कि त्रिवेंद्र भारतीय जनता पार्टी के वटवृक्ष हैं. यह बात सभी को पता है कि डालों पर कौन लोग रहते हैं. सत्याल ने इशारों-इशारों में ये बात भी कह दी कि हरक सिंह रावत मूल रूप से भाजपा के नहीं बल्कि वो कांग्रेस से आए हुए नेता हैं, जिसके चलते इस तरह के बयानबाजी कर रहे हैं.

हरक को भाजपा कार्यकर्ताओं की नहीं है पहचान

सत्याल ने कहा कि हरक सिंह रावत को उनका नाम लेने में भी दिक्कत हो रही है लेकिन वह पिछले 42 साल से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं. उधर, हरक सिंह रावत अभी नए-नए भाजपा में शामिल हुए हैं. इसलिए उन्हें अभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की पहचान नहीं है. यही वजह है कि इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.

गनर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत एक दबंग नेता के रूप में जाने जाते हैं ऐसे में उनसे सीधे टक्कर लेने के सवाल पर बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल ने बताया कि वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं ऐसे में भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता उनके साथ खड़ा है, लिहाजा डरने की कोई बात नहीं है. अपना दर्द बयां करते हुए सत्याल ने बताया कि पूर्व में राज्यमंत्री का दर्जा होने के नाते उन्हें गनर दिया गया था, लेकिन उसे भी हटा दिया गया है. दोबारा गनर दिए जाने को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखा है.

Last Updated : Jun 21, 2021, 6:58 PM IST
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