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उत्तराखंड पर ₹71500 करोड़ का कर्ज, प्रति व्यक्ति पर करीब ₹6.5 लाख का बोझ

आज जीएसटी परिषद की बैठक हुई. जिसमें राज्य सरकार ने प्रदेश के वित्तीय हालातों के आंकड़े रखें.जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को हो रहे नुकसान की जानकारी दी गई.

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₹71500 करोड़ के कर्जे में उत्तराखंड
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Published : Aug 27, 2020, 7:29 PM IST

देहरादून: पिछले 20 सालों में उत्तराखंड कर्ज के तले इतना दब गया है कि अब राज्य सरकार खुद कर्ज लेने में भी सक्षम नहीं रही है. हालात ये हैं कि राज्य को अपनी कुल जीडीपी के 2.1% रकम केवल लोन के ब्याज पर ही खर्च करनी पड़ रही है. आज भारत सरकार की जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य सरकार ने प्रदेश के वित्तीय हालातों के आंकड़े रखें. जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को हो रहे नुकसान की जानकारी दी गई.

₹71500 करोड़ के कर्जे में उत्तराखंड

राज्य स्थापना के दौरान उत्तर प्रदेश से करीब ₹4,430 करोड़ का कर्ज उत्तराखंड को मिला था. अब यह कर्ज बढ़कर 71 हजार 500 करोड़ हो गया है. भारत सरकार की जीएसटी काउंसिल बैठक के दौरान आज कर्ज का यह ताजा डाटा राज्य सरकार की तरफ से काउंसिल को दिया गया. वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश की जनसंख्या की 1.01 करोड़ के करीब है, ऐसे में 71,500 करोड़ को अगर प्रतिव्यक्ति में बांटा जाए तो हर व्यक्ति के ऊपर करीब 6.5 लाख रुपए का कर्ज है.

पढ़ें- साइबर ठगों के निशाने पर हरिद्वार एसपी देहात, FAKE फेसबुक अकाउंट बनाकर लोगों से मांगे पैसे

चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश को इतने बड़े कर्ज के एवज में करीब 5800 करोड़ रुपए ब्याज के ही चुकाने पड़ रहे हैं. यानी उत्तराखंड की कुल जीडीपी का 2.1% राज्य कर्जे के ब्याज को चुकाने पर खर्च कर रहा है. कर्जे से राज्य की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब राज्य सरकार ने लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए और कर्जा वहन न कर पाने की बात कह दी है.

पढ़ें- उत्तराखंड: वन भूमि हस्तांतरण में फंसी PMGSY की 72 सड़कें

जीडीपी काउंसिल के सामने राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने प्रदेश की वित्तीय हालतों की जानकारी दी. जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद राज्य को हो रहे नुकसान के बारे में बताया गया. उत्तराखंड की तरफ से बैठक की अध्यक्षता कर रहे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड को करीब 3% का नुकसान हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार ने खुद को लोन लेने की स्थिति से बाहर बता दिया है.

पढ़ें- जानिए क्यों, कहां और कब होता है वज्रपात, कैसे बरतें सावधानी

हालांकि, जीएसटी काउंसिल ने सरकार को दो विकल्प दिए हैं, जिसमें उत्तराखंड में भारत सरकार के जीएसटी द्वारा ही लोन लेने और सेस को बढ़ाकर इससे राज्य द्वारा लोन की वापसी करने पर विचार किया है. साफ है कि आज हुई जीएसटी की बैठक के बाद उत्तराखंड में वित्तीय रूप से खराब हो रहे हालातों को जीएसटी काउंसिल भी जान गया है.

देहरादून: पिछले 20 सालों में उत्तराखंड कर्ज के तले इतना दब गया है कि अब राज्य सरकार खुद कर्ज लेने में भी सक्षम नहीं रही है. हालात ये हैं कि राज्य को अपनी कुल जीडीपी के 2.1% रकम केवल लोन के ब्याज पर ही खर्च करनी पड़ रही है. आज भारत सरकार की जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य सरकार ने प्रदेश के वित्तीय हालातों के आंकड़े रखें. जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को हो रहे नुकसान की जानकारी दी गई.

₹71500 करोड़ के कर्जे में उत्तराखंड

राज्य स्थापना के दौरान उत्तर प्रदेश से करीब ₹4,430 करोड़ का कर्ज उत्तराखंड को मिला था. अब यह कर्ज बढ़कर 71 हजार 500 करोड़ हो गया है. भारत सरकार की जीएसटी काउंसिल बैठक के दौरान आज कर्ज का यह ताजा डाटा राज्य सरकार की तरफ से काउंसिल को दिया गया. वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश की जनसंख्या की 1.01 करोड़ के करीब है, ऐसे में 71,500 करोड़ को अगर प्रतिव्यक्ति में बांटा जाए तो हर व्यक्ति के ऊपर करीब 6.5 लाख रुपए का कर्ज है.

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चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश को इतने बड़े कर्ज के एवज में करीब 5800 करोड़ रुपए ब्याज के ही चुकाने पड़ रहे हैं. यानी उत्तराखंड की कुल जीडीपी का 2.1% राज्य कर्जे के ब्याज को चुकाने पर खर्च कर रहा है. कर्जे से राज्य की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब राज्य सरकार ने लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए और कर्जा वहन न कर पाने की बात कह दी है.

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जीडीपी काउंसिल के सामने राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने प्रदेश की वित्तीय हालतों की जानकारी दी. जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद राज्य को हो रहे नुकसान के बारे में बताया गया. उत्तराखंड की तरफ से बैठक की अध्यक्षता कर रहे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड को करीब 3% का नुकसान हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार ने खुद को लोन लेने की स्थिति से बाहर बता दिया है.

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हालांकि, जीएसटी काउंसिल ने सरकार को दो विकल्प दिए हैं, जिसमें उत्तराखंड में भारत सरकार के जीएसटी द्वारा ही लोन लेने और सेस को बढ़ाकर इससे राज्य द्वारा लोन की वापसी करने पर विचार किया है. साफ है कि आज हुई जीएसटी की बैठक के बाद उत्तराखंड में वित्तीय रूप से खराब हो रहे हालातों को जीएसटी काउंसिल भी जान गया है.

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