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उत्तराखंडः  उद्योग जगत को उबरने में लगेगा 6 महीने का वक्त, सामने आ रही ये परेशानियां

कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था. लॉकडाउन के चलते हर वर्ग पर इसका असर पड़ा है. अनलॉक के दौरान धीरे-धीरे इंडस्ट्रीज अपने पैरों पर खड़ी होनी शुरू हुई हैं. वहीं, इंडस्ट्रीज के सामने तमाम समस्याएं भी आनी शुरू हो गई हैं.

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पैरों पर खड़ा नही हो पाया है इंडस्ट्रीज
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Published : Jan 2, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Jan 2, 2021, 2:25 PM IST

देहरादून : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था. इसके कारण हर वर्ग पर आर्थिक संकट गहरा गया.हालांकि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद धीरे- धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर आनी शुरू हो गई, लेकिन अभी भी एक वर्ग ऐसा है, जिसे उभरने में तकरीबन 6 महीने का और वक्त लग सकता है. दरअसल, उद्योग जगत पर लॉकडाउन के दौरान एक बड़ा असर पड़ा है, अनलॉक के दौरान धीरे-धीरे इंडस्ट्रीज अपने पैरों पर खड़ी हो रही है. तो वही, इंडस्ट्रीज के सामने तमाम समस्याएं भी आ रही हैं.

'बिन सरकार भरोसे' इंडस्ट्रीज

अनलॉक के दौरान केंद्र सरकार से मिली छूट के बाद धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां शुरू होने लगी. जिसके बाद से ही धीरे-धीरे इंडस्ट्रीज अपनी आर्थिकी को मजबूत करने में जुट गई हैं. जिसके बाद उद्योग जगत भी अपनी आर्थिक संकट से उबरने को लेकर धीरे- धीरे अपना प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं.

रॉ मटेरियल के दामों में बढ़ोत्तरी

लॉकडाउन के बाद से ही रॉ मटेरियल की दामों में करीब 20 से 30 फीसदी तक उछाल आया है. जिसके चलते इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी मुख्य वजह यह है कि रॉ मेटेरियल सप्लाई करने वाले तमाम छोटे- छोटे व्यापारी पूरी तरह से खत्म हो गए हैं. इसके साथ ही, रॉ मेटेरियल सप्लाई करने वाले व्यापारी अपने नुकसान की भरपाई को लेकर, रॉ मटेरियल के दामों में बढ़ोत्तरी कर दी है.

वहीं, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पूरा बाजार ठप रहा है. हालांकि अनलॉक के दौरान बाजार धीरे-धीरे उबरने लगे हैं. लेकिन अभी भी पूरी तरह से बाजार का दायरा नहीं बढ़ पाया है. कंपनियां रॉ मटेरियल के दाम बढ़ने के बावजूद भी वह अपने उत्पाद के दाम नहीं बढ़ा सकते हैं और खुद को उबारने के लिए 'नो प्रॉफिट नो लॉस' पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान इंडस्ट्रीज पर आए एडिशनल खर्चे की भरपाई तक नहीं हो पाई है. क्योंकि, इंडस्ट्रीज वर्तमान समय में बिना प्रॉफिट के काम कर रही है. ऐसे में उन्हें राज्य सरकार से उम्मीद है कि जल्द से जल्द सरकार उनके एडिशनल खर्चे की भरपाई करने में सहयोग करें. पंकज गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार ने इंडस्ट्रीज को बिजली के टैक्स में छूट देने की बात गई थी. जिसका अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है.

60 से 70 प्रतिशत ही इंडस्ट्री में हो रहा है प्रोडक्शन

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के सभी इंडस्ट्रीज पूरी तरह से बंद हो गई थी, तकरीबन तीन महीने से अधिक समय तक यह इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद रही. हालांकि, केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन के बाद इंडस्ट्री एक बार फिर धीरे-धीरे खुल नहीं शुरू हुई. लेकिन शुरुआती दौर में मजदूरों की कमी होने के चलते प्रोडक्शन काफी कम रहा. लेकिन धीरे-धीरे मजदूर उपलब्ध होते गए उसी तरह प्रोडक्शन भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा, लेकिन वर्तमान समय में अभी भी प्रदेश की इंडस्ट्री मात्र 60 से 70% तक ही प्रोडक्शन कर पा रही हैं.

ये भी पढ़ें : मजदूरों का 100 करोड़ दबाए बैठा वित्त विभाग, कैमरे के सामने छलका श्रम मंत्री का दर्द

कोरोना का न्यू स्ट्रेन भी डाल सकता है इंडस्ट्रीज पर असर

पंकज गुप्ता ने बताया कि वर्तमान समय जो प्रदेश की परिस्थितियां हैं अगर ऐसी परिस्थितियां आगामी 6 महीने तक रही, तो इंडस्ट्रीज अपने पैरों पर पूरी तरह से खड़ी हो जाएंगी और अपनी पुरानी स्थिति में आ जाएंगी. लेकिन जिस तरह से अब कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन देश में दस्तक दे चुका है. ऐसे में अगर इस न्यू स्ट्रेन का संक्रमण फैलता है, तो एक बार फिर इंडस्ट्रीज पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. साथ ही पंकज ने बताया कि न्यू स्ट्रेन के दस्तक के बाद से ही उद्योग जगत के लोगों को में खौफ है.

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कुल कर्मचारियों की संख्या
राज्य में उद्योग जगत की स्थितिउत्तराखंड राज्य में कुल 63,665 एमएसएमई है. जिसमें 13,393 करोड़ की पूंजी निवेश की गई है. हालांकि इन सभी एमएसएमई से 3,19,212 लोगों को रोजगार मिला है. इसी तरह राज्य के अंदर 327 बड़े उद्योग हैं. जिसमें 37,894 करोड़ की पूंजी निवेश की गई है. हालांकि इन सभी बड़े उद्योगों से 1,11,221 लोगों को रोजगार मिला है. राज्य के अंदर कुल 3,432 औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत है. जिसके माध्यम से 6,81,280 लोगों को रोजगार मिल रहा है. यही नही, राज्य के कुल घरेलू सकल उत्पाद में इंडस्ट्रीज सेक्टर का योगदान करीब 49 फीसदी और विनिर्माण क्षेत्र में 36 फीसदी का योगदान है.

जिलेवार पंजीकृत औद्योगिक इकाईयों की स्थिति

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जिलेवार आंकड़े

देहरादून : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था. इसके कारण हर वर्ग पर आर्थिक संकट गहरा गया.हालांकि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद धीरे- धीरे व्यवस्थाएं पटरी पर आनी शुरू हो गई, लेकिन अभी भी एक वर्ग ऐसा है, जिसे उभरने में तकरीबन 6 महीने का और वक्त लग सकता है. दरअसल, उद्योग जगत पर लॉकडाउन के दौरान एक बड़ा असर पड़ा है, अनलॉक के दौरान धीरे-धीरे इंडस्ट्रीज अपने पैरों पर खड़ी हो रही है. तो वही, इंडस्ट्रीज के सामने तमाम समस्याएं भी आ रही हैं.

'बिन सरकार भरोसे' इंडस्ट्रीज

अनलॉक के दौरान केंद्र सरकार से मिली छूट के बाद धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां शुरू होने लगी. जिसके बाद से ही धीरे-धीरे इंडस्ट्रीज अपनी आर्थिकी को मजबूत करने में जुट गई हैं. जिसके बाद उद्योग जगत भी अपनी आर्थिक संकट से उबरने को लेकर धीरे- धीरे अपना प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं.

रॉ मटेरियल के दामों में बढ़ोत्तरी

लॉकडाउन के बाद से ही रॉ मटेरियल की दामों में करीब 20 से 30 फीसदी तक उछाल आया है. जिसके चलते इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी मुख्य वजह यह है कि रॉ मेटेरियल सप्लाई करने वाले तमाम छोटे- छोटे व्यापारी पूरी तरह से खत्म हो गए हैं. इसके साथ ही, रॉ मेटेरियल सप्लाई करने वाले व्यापारी अपने नुकसान की भरपाई को लेकर, रॉ मटेरियल के दामों में बढ़ोत्तरी कर दी है.

वहीं, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पूरा बाजार ठप रहा है. हालांकि अनलॉक के दौरान बाजार धीरे-धीरे उबरने लगे हैं. लेकिन अभी भी पूरी तरह से बाजार का दायरा नहीं बढ़ पाया है. कंपनियां रॉ मटेरियल के दाम बढ़ने के बावजूद भी वह अपने उत्पाद के दाम नहीं बढ़ा सकते हैं और खुद को उबारने के लिए 'नो प्रॉफिट नो लॉस' पर काम कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान इंडस्ट्रीज पर आए एडिशनल खर्चे की भरपाई तक नहीं हो पाई है. क्योंकि, इंडस्ट्रीज वर्तमान समय में बिना प्रॉफिट के काम कर रही है. ऐसे में उन्हें राज्य सरकार से उम्मीद है कि जल्द से जल्द सरकार उनके एडिशनल खर्चे की भरपाई करने में सहयोग करें. पंकज गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार ने इंडस्ट्रीज को बिजली के टैक्स में छूट देने की बात गई थी. जिसका अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है.

60 से 70 प्रतिशत ही इंडस्ट्री में हो रहा है प्रोडक्शन

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के सभी इंडस्ट्रीज पूरी तरह से बंद हो गई थी, तकरीबन तीन महीने से अधिक समय तक यह इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद रही. हालांकि, केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइन के बाद इंडस्ट्री एक बार फिर धीरे-धीरे खुल नहीं शुरू हुई. लेकिन शुरुआती दौर में मजदूरों की कमी होने के चलते प्रोडक्शन काफी कम रहा. लेकिन धीरे-धीरे मजदूर उपलब्ध होते गए उसी तरह प्रोडक्शन भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा, लेकिन वर्तमान समय में अभी भी प्रदेश की इंडस्ट्री मात्र 60 से 70% तक ही प्रोडक्शन कर पा रही हैं.

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कोरोना का न्यू स्ट्रेन भी डाल सकता है इंडस्ट्रीज पर असर

पंकज गुप्ता ने बताया कि वर्तमान समय जो प्रदेश की परिस्थितियां हैं अगर ऐसी परिस्थितियां आगामी 6 महीने तक रही, तो इंडस्ट्रीज अपने पैरों पर पूरी तरह से खड़ी हो जाएंगी और अपनी पुरानी स्थिति में आ जाएंगी. लेकिन जिस तरह से अब कोरोना वायरस के न्यू स्ट्रेन देश में दस्तक दे चुका है. ऐसे में अगर इस न्यू स्ट्रेन का संक्रमण फैलता है, तो एक बार फिर इंडस्ट्रीज पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. साथ ही पंकज ने बताया कि न्यू स्ट्रेन के दस्तक के बाद से ही उद्योग जगत के लोगों को में खौफ है.

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कुल कर्मचारियों की संख्या
राज्य में उद्योग जगत की स्थितिउत्तराखंड राज्य में कुल 63,665 एमएसएमई है. जिसमें 13,393 करोड़ की पूंजी निवेश की गई है. हालांकि इन सभी एमएसएमई से 3,19,212 लोगों को रोजगार मिला है. इसी तरह राज्य के अंदर 327 बड़े उद्योग हैं. जिसमें 37,894 करोड़ की पूंजी निवेश की गई है. हालांकि इन सभी बड़े उद्योगों से 1,11,221 लोगों को रोजगार मिला है. राज्य के अंदर कुल 3,432 औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत है. जिसके माध्यम से 6,81,280 लोगों को रोजगार मिल रहा है. यही नही, राज्य के कुल घरेलू सकल उत्पाद में इंडस्ट्रीज सेक्टर का योगदान करीब 49 फीसदी और विनिर्माण क्षेत्र में 36 फीसदी का योगदान है.

जिलेवार पंजीकृत औद्योगिक इकाईयों की स्थिति

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जिलेवार आंकड़े
Last Updated : Jan 2, 2021, 2:25 PM IST
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