ETV Bharat / state

एंबुलेंस सेवाः कोरोना संकट में कहीं निभाया फर्ज या कहीं खूब काटी चांदी, जानिए कैसे हुआ ये सब

कोरोना वायरस के हिंदुस्तान में कदम रखते ही केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने मुस्तैदी दिखाते हुए लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. जिसके बाद एक मात्र एंबुलेंस ही लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं देती नजर आई थी.

एम्बुलेंस
एम्बुलेंस
author img

By

Published : May 7, 2020, 6:27 PM IST

Updated : May 8, 2020, 10:33 AM IST

देहरादून: कोविड-19 संक्रमण के चलते लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में एंबुलेंस का अहम योगदान रहा है. ऐसे में बात चाहे सरकारी आपातकालीन सेवा 108 की हो या फिर स्वास्थ्य विभाग की अन्य एंबुलेंस की. लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर दौड़ती इन एंबुलेंस ने अपना अहम रोल निभाया है. वहीं, प्राइवेट एंबुलेंस ने भी मौके को देखते हुए खूब चांदी काटी.

108 आपातकालीन सेवा ने दिखाई ततपरता
लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में पहले से ही चल रही आपातकालीन 108 सेवा कोरोना संक्रमण को देखते हुए अलर्ट हो गई. राज्य के सभी जिलों में एक-एक एंबुलेंस को कोरोना वायरस के लिए डेडीकेटेड कर दिया गया. 108 सेवा ने हर जिले में एक एंबुलेंस को पीपीई किट, सैनेटाइजेशन और तमाम सुविधाओं से लैस करते हुए कोरोना से जंग के लिए तैनात कर दिया.

स्वास्थ्य सेवाओं में एंबुलेंस का अहम योगदान.

108 के जरनल मैनेजर अनिल शर्मा बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग और 108 आपातकालीन सेवा मिलकर इस लॉकडाउन में लोगों को अपनी सेवाएं दे रही हैं. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और 108 आपसी सामंजस्य से कोरोना मरीजों के लिए अलग एंबुलेंस भेजती है तो सामान्य मरीजों के लिए अलग एंबुलेंस भेजी जाती है.

स्वास्थ्य विभाग ने खड़ा किया समानांतर तंत्र
कोरोना संकट के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने एक समानांतर सिस्टम खड़ा किया और लॉकडाउन के चलते अपने घरों में फंसे लोगों को स्वास्थ्य संबंधित समस्या के लिए 104 नंबर से नया कॉल सेंटर खोला. चिकित्सक परामर्श के साथ-साथ एंबुलेंस की एक और समानांतर सेवा भी स्वास्थ्य विभाग ने जारी की. किस तरह से स्वास्थ्य विभाग कोरोनावायरस से लड़ रहा है? यह तंत्र कैसे धरातल पर काम कर रहा है. इसका जायजा ईटीवी भारत की टीम ने वॉर रूम में जाकर लिया.

पढ़े: उत्तराखंड में नहीं मिला कोरोना पॉजिटिव केस, 481 मरीजों की रिपोर्ट आई नेगेटिव

निजी एम्बुलेंस संचालकों ने खूब काटी चांदी

इससे इतर, एक तंत्र ऐसा भी था जिसने लॉकडाउन के दौरान लोगों की मजबूरियों का खूब फायदा उठाया और जमकर चांदी काट रहा है. इसे आप आसान शब्दों में प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का गिरोह कह सकते हैं. लेकिन इस पूरे चक्रव्यूह में ताज्जुब वाली बात ये है कि इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों के ऊपर किसी भी तरह की कोई मॉनिटरिंग अब तक नहीं है और न ही यह कोई ऑर्गेनाइज संगठन है.

निजी एंबुलेंस चालक अपनी मनमर्जी से मरीजों से पैसे लेते हैं और इनके मानकों और संसाधनों को देखने वाली भी कोई व्यवस्था विकसित नहीं है. प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों से जब हमने बातचीत की तो खुद ही उन्होंने इस बात की तस्दीक की. वह किसी भी सरकारी तंत्र के अंतर्गत नहीं आते हैं, केवल वाहन रजिस्ट्रेशन के नाते आरटीओ में इन्हें पंजीकरण कराना पड़ता है. लेकिन एक परिवहन विभाग का सिस्टम कैसे स्वास्थ्य संबंधी मानकों की निगरानी कर सकता है यह अपने आप में बड़ा सवाल है?

देहरादून: कोविड-19 संक्रमण के चलते लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में एंबुलेंस का अहम योगदान रहा है. ऐसे में बात चाहे सरकारी आपातकालीन सेवा 108 की हो या फिर स्वास्थ्य विभाग की अन्य एंबुलेंस की. लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर दौड़ती इन एंबुलेंस ने अपना अहम रोल निभाया है. वहीं, प्राइवेट एंबुलेंस ने भी मौके को देखते हुए खूब चांदी काटी.

108 आपातकालीन सेवा ने दिखाई ततपरता
लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में पहले से ही चल रही आपातकालीन 108 सेवा कोरोना संक्रमण को देखते हुए अलर्ट हो गई. राज्य के सभी जिलों में एक-एक एंबुलेंस को कोरोना वायरस के लिए डेडीकेटेड कर दिया गया. 108 सेवा ने हर जिले में एक एंबुलेंस को पीपीई किट, सैनेटाइजेशन और तमाम सुविधाओं से लैस करते हुए कोरोना से जंग के लिए तैनात कर दिया.

स्वास्थ्य सेवाओं में एंबुलेंस का अहम योगदान.

108 के जरनल मैनेजर अनिल शर्मा बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग और 108 आपातकालीन सेवा मिलकर इस लॉकडाउन में लोगों को अपनी सेवाएं दे रही हैं. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और 108 आपसी सामंजस्य से कोरोना मरीजों के लिए अलग एंबुलेंस भेजती है तो सामान्य मरीजों के लिए अलग एंबुलेंस भेजी जाती है.

स्वास्थ्य विभाग ने खड़ा किया समानांतर तंत्र
कोरोना संकट के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने एक समानांतर सिस्टम खड़ा किया और लॉकडाउन के चलते अपने घरों में फंसे लोगों को स्वास्थ्य संबंधित समस्या के लिए 104 नंबर से नया कॉल सेंटर खोला. चिकित्सक परामर्श के साथ-साथ एंबुलेंस की एक और समानांतर सेवा भी स्वास्थ्य विभाग ने जारी की. किस तरह से स्वास्थ्य विभाग कोरोनावायरस से लड़ रहा है? यह तंत्र कैसे धरातल पर काम कर रहा है. इसका जायजा ईटीवी भारत की टीम ने वॉर रूम में जाकर लिया.

पढ़े: उत्तराखंड में नहीं मिला कोरोना पॉजिटिव केस, 481 मरीजों की रिपोर्ट आई नेगेटिव

निजी एम्बुलेंस संचालकों ने खूब काटी चांदी

इससे इतर, एक तंत्र ऐसा भी था जिसने लॉकडाउन के दौरान लोगों की मजबूरियों का खूब फायदा उठाया और जमकर चांदी काट रहा है. इसे आप आसान शब्दों में प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का गिरोह कह सकते हैं. लेकिन इस पूरे चक्रव्यूह में ताज्जुब वाली बात ये है कि इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों के ऊपर किसी भी तरह की कोई मॉनिटरिंग अब तक नहीं है और न ही यह कोई ऑर्गेनाइज संगठन है.

निजी एंबुलेंस चालक अपनी मनमर्जी से मरीजों से पैसे लेते हैं और इनके मानकों और संसाधनों को देखने वाली भी कोई व्यवस्था विकसित नहीं है. प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों से जब हमने बातचीत की तो खुद ही उन्होंने इस बात की तस्दीक की. वह किसी भी सरकारी तंत्र के अंतर्गत नहीं आते हैं, केवल वाहन रजिस्ट्रेशन के नाते आरटीओ में इन्हें पंजीकरण कराना पड़ता है. लेकिन एक परिवहन विभाग का सिस्टम कैसे स्वास्थ्य संबंधी मानकों की निगरानी कर सकता है यह अपने आप में बड़ा सवाल है?

Last Updated : May 8, 2020, 10:33 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.