ETV Bharat / state

नाजुक दौर में भी 'फिसड्डी' साबित हुआ स्वास्थ्य विभाग, सरेंडर किया आधे से ज्यादा बजट

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग कोरोना महामारी में भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है. कोरोना महामारी से निपटने के लिए विभाग को केंद्र से 50 करोड़ रुपए मिले थे लेकिन विभाग इसे खर्च नहीं कर पाया और आधे से ज्यादा बजट को सरेंडर कर दिया. विभाग की इस उदासीनता का खामियाजा 'कोरोना वॉरिर्यस' को उठाना पड़ सकता है.

Uttarakhand Health Department
बजट खर्च में फिसड्डी स्वास्थ्य विभाग.
author img

By

Published : May 23, 2020, 10:31 AM IST

Updated : May 23, 2020, 4:46 PM IST

देहरादून: कोविड-19 जैसे गंभीर हालातों में भी स्वास्थ्य महकमा कोरोना की रोकथाम के लिए मिले बजट को खर्च नहीं कर पा रहा है. हालात ये हैं कि महामारी के लिए दिए गए करोड़ों के बजट में से महकमे ने अधिकतर रकम को सरेंडर कर दिया है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा कोविड-19 जैसे नाजुक हालातों में भी बजट खर्च को लेकर 'फिसड्डी' साबित हुआ है. ये स्थिति तब है जब राज्य कोरोना की दस्तक के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से पूरी तरह खाली हाथ था. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए न तो पहाड़ी जनपदों के अस्पताल तैयार थे और न ही मैदानी जनपदों में कोरोना संबंधी समुचित उपकरण मौजूद थे. गनीमत ये रही कि स्वयंसेवी संस्थाओं और आम लोगों के सहयोग से कोरोना की लड़ाई में अस्पताल काफी मजबूत हुए. उधर, केंद्र ने भी राज्य सरकार की समय से मदद की. साथ ही राज्य में कोरोना रोकथाम के लिए केंद्र ने सुरक्षा किट व अन्य उपकरण भी भिजवाए लेकिन राज्य अपने स्तर से खरीददारी नहीं कर पाया.

नाजुक दौर में भी 'फिसड्डी' साबित हुआ स्वास्थ्य विभाग.

आरटीआई से हुआ खुलासा

हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमा केंद्र द्वारा दिए गये बजट का 50 फीसदी भी खर्च नहीं कर पाया. ईटीवी भारत को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 के रोकथाम के लिए सरकार से ₹50 करोड़ का बजट दिया गया था. इसमें से स्वास्थ्य विभाग महज 23 करोड़ 26 लाख रुपये ही खर्च कर सका, जबकि विभाग ने 26 करोड़ 73 लाख रुपये सरकार को सरेंडर कर दिए.

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?

इस मामले को लेकर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि मार्च महीना समाप्त होने के चलते बजट को सरेंडर करना पड़ा. हालांकि, इस बजट को स्वास्थ्य विभाग को दिया जा रहा है.

यूं तो स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री ने फाइनेंशियल ईयर के समाप्त होने और समय कम मिलने का तर्क देकर बजट नहीं खत्म होने के का हवाला दे रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का पिछला रिकॉर्ड देखा जाए तो वार्षिक बजट खर्च में भी महकमा बेहद फिसड्डी ही साबित हुआ है. विभाग ने मौजूदा वर्ष में स्वास्थ्य उपकरण खरीद के लिए मिले बजट का 60% तक सरेंडर किया है, जिससे यह साबित होता है कि महकमा बजट खर्च को लेकर हमेशा से ही उदासीन रहा है. हालांकि, इसके पीछे भी स्वास्थ्य विभाग महकमे में नई क्रय नीति को वजह बताता रहा, लेकिन पुराना रिकॉर्ड यह साबित करने के लिए काफी है कि महकमा बजट खर्च को लेकर उदासीन है.

देहरादून: कोविड-19 जैसे गंभीर हालातों में भी स्वास्थ्य महकमा कोरोना की रोकथाम के लिए मिले बजट को खर्च नहीं कर पा रहा है. हालात ये हैं कि महामारी के लिए दिए गए करोड़ों के बजट में से महकमे ने अधिकतर रकम को सरेंडर कर दिया है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा कोविड-19 जैसे नाजुक हालातों में भी बजट खर्च को लेकर 'फिसड्डी' साबित हुआ है. ये स्थिति तब है जब राज्य कोरोना की दस्तक के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से पूरी तरह खाली हाथ था. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए न तो पहाड़ी जनपदों के अस्पताल तैयार थे और न ही मैदानी जनपदों में कोरोना संबंधी समुचित उपकरण मौजूद थे. गनीमत ये रही कि स्वयंसेवी संस्थाओं और आम लोगों के सहयोग से कोरोना की लड़ाई में अस्पताल काफी मजबूत हुए. उधर, केंद्र ने भी राज्य सरकार की समय से मदद की. साथ ही राज्य में कोरोना रोकथाम के लिए केंद्र ने सुरक्षा किट व अन्य उपकरण भी भिजवाए लेकिन राज्य अपने स्तर से खरीददारी नहीं कर पाया.

नाजुक दौर में भी 'फिसड्डी' साबित हुआ स्वास्थ्य विभाग.

आरटीआई से हुआ खुलासा

हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमा केंद्र द्वारा दिए गये बजट का 50 फीसदी भी खर्च नहीं कर पाया. ईटीवी भारत को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 के रोकथाम के लिए सरकार से ₹50 करोड़ का बजट दिया गया था. इसमें से स्वास्थ्य विभाग महज 23 करोड़ 26 लाख रुपये ही खर्च कर सका, जबकि विभाग ने 26 करोड़ 73 लाख रुपये सरकार को सरेंडर कर दिए.

क्या कहते हैं जिम्मेदार ?

इस मामले को लेकर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि मार्च महीना समाप्त होने के चलते बजट को सरेंडर करना पड़ा. हालांकि, इस बजट को स्वास्थ्य विभाग को दिया जा रहा है.

यूं तो स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्री ने फाइनेंशियल ईयर के समाप्त होने और समय कम मिलने का तर्क देकर बजट नहीं खत्म होने के का हवाला दे रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का पिछला रिकॉर्ड देखा जाए तो वार्षिक बजट खर्च में भी महकमा बेहद फिसड्डी ही साबित हुआ है. विभाग ने मौजूदा वर्ष में स्वास्थ्य उपकरण खरीद के लिए मिले बजट का 60% तक सरेंडर किया है, जिससे यह साबित होता है कि महकमा बजट खर्च को लेकर हमेशा से ही उदासीन रहा है. हालांकि, इसके पीछे भी स्वास्थ्य विभाग महकमे में नई क्रय नीति को वजह बताता रहा, लेकिन पुराना रिकॉर्ड यह साबित करने के लिए काफी है कि महकमा बजट खर्च को लेकर उदासीन है.

Last Updated : May 23, 2020, 4:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.