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मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, प्रभावित राज्य और दूसरे देशों से आने वालों पर नजर

मंकीपॉक्स को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है. साथ ही प्रभावित राज्यों या दूसरे देशों के आने वाले लोगों पर नजर रखने की सलाह दी है. साथ ही डेंगू को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है.

monkeypox
देहरादून
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Published : Jul 26, 2022, 7:14 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में डेंगू और मंकीपॉक्स (Monkeypox In uttarakhand ) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. मंकीपॉक्स और डेंगू को लेकर महकमे की तरफ से बाकायदा एडवाइजरी भी जारी कर दी है. स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे लोगों पर नजर रखने की सलाह दी गई है, जो केरल या प्रभावित देशों से उत्तराखंड पहुंच रहे हैं.

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू को लेकर भी गाइडलाइन जारी कर दी है. जुलाई से सितंबर तक का वक्त प्रदेश में डेंगू का प्रभाव बढ़ने की संभावना रहती है. स्वास्थ्य विभाग की डेंगू के साथ ही मंकीपॉक्स को लेकर भी खास एहतियात बरत रहा है. मंकीपॉक्स की एडवाइजरी में बताया गया है कि मंकीपॉक्स लोगों में कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट,

एडवाइजरी में लोगों को जागरूक करते हुए शरीर में चकत्ते पड़ने की स्थिति में फौरन स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने के लिए कहा है. बता दें कि भारत में मंकीपॉक्स के दो मामले केरल में मिले हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग मान रहा है कि मंकीपॉक्स का प्रसार तेजी से नहीं होता है. बेहद ज्यादा संपर्क में रहने वाले लोग ही इस महामारी की चपेट में आते हैं. ऐसे में लोगों को जरूरी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है.

मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए हैं, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था.
पढ़ें- मंकीपॉक्स को लेकर जनस्वास्थ्य से जुड़े कदम, सतर्कता बढ़ाएं: डब्ल्यूएचओ

कहां से आया मंकीपॉक्स वायरस: बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस का इसके नाम के मुताबिक बंदरों से कोई सीधे लेना-देना नहीं है. इंसानों में इस वायरस का पहला मामला मध्य अफ्रीकी देश कांगो (Democratic Republic of the Congo) में 1970 में मिला था. 2003 में अमेरिका (United States) में इसके मामले सामने आए थे. इसके पीछे तब घाना (Ghana) से आयात किए गए चूहे कारण बताए गए थे, जो पालतू जानवरों की एक दुकान से बेचे गए थे.

साल 2022 में इसका पहला मामला मई के महीने में यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सामने आया. इसके बाद से यह वायरस यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पैर पसार चुका है. भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया है.
पढ़ें- प्रभारी स्वास्थ्य सचिव ने प्रेमनगर अस्पताल का किया औचक निरीक्षण, मिली कई खामियां

लक्षण को न करें नजरअंदाज: डॉक्टर बताते हैं कि जो भी संक्रमित या संदिग्ध मरीज होता है उसके स्किन का सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा जाता है. मंकीपॉक्स के लक्षणों में अगर किसी व्यक्ति ने उन अंतरराष्ट्रीय देशों में यात्रा की है जहां पर मंकीपॉक्स के मामले आ रहे हैं, व्यक्ति के स्किन में निशान हैं, बुखार, आंखों में लाल पन, जोड़ों में दर्द है तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

देहरादून: उत्तराखंड में डेंगू और मंकीपॉक्स (Monkeypox In uttarakhand ) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. मंकीपॉक्स और डेंगू को लेकर महकमे की तरफ से बाकायदा एडवाइजरी भी जारी कर दी है. स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे लोगों पर नजर रखने की सलाह दी गई है, जो केरल या प्रभावित देशों से उत्तराखंड पहुंच रहे हैं.

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू को लेकर भी गाइडलाइन जारी कर दी है. जुलाई से सितंबर तक का वक्त प्रदेश में डेंगू का प्रभाव बढ़ने की संभावना रहती है. स्वास्थ्य विभाग की डेंगू के साथ ही मंकीपॉक्स को लेकर भी खास एहतियात बरत रहा है. मंकीपॉक्स की एडवाइजरी में बताया गया है कि मंकीपॉक्स लोगों में कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट,

एडवाइजरी में लोगों को जागरूक करते हुए शरीर में चकत्ते पड़ने की स्थिति में फौरन स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने के लिए कहा है. बता दें कि भारत में मंकीपॉक्स के दो मामले केरल में मिले हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग मान रहा है कि मंकीपॉक्स का प्रसार तेजी से नहीं होता है. बेहद ज्यादा संपर्क में रहने वाले लोग ही इस महामारी की चपेट में आते हैं. ऐसे में लोगों को जरूरी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है.

मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए हैं, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था.
पढ़ें- मंकीपॉक्स को लेकर जनस्वास्थ्य से जुड़े कदम, सतर्कता बढ़ाएं: डब्ल्यूएचओ

कहां से आया मंकीपॉक्स वायरस: बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस का इसके नाम के मुताबिक बंदरों से कोई सीधे लेना-देना नहीं है. इंसानों में इस वायरस का पहला मामला मध्य अफ्रीकी देश कांगो (Democratic Republic of the Congo) में 1970 में मिला था. 2003 में अमेरिका (United States) में इसके मामले सामने आए थे. इसके पीछे तब घाना (Ghana) से आयात किए गए चूहे कारण बताए गए थे, जो पालतू जानवरों की एक दुकान से बेचे गए थे.

साल 2022 में इसका पहला मामला मई के महीने में यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सामने आया. इसके बाद से यह वायरस यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पैर पसार चुका है. भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया है.
पढ़ें- प्रभारी स्वास्थ्य सचिव ने प्रेमनगर अस्पताल का किया औचक निरीक्षण, मिली कई खामियां

लक्षण को न करें नजरअंदाज: डॉक्टर बताते हैं कि जो भी संक्रमित या संदिग्ध मरीज होता है उसके स्किन का सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा जाता है. मंकीपॉक्स के लक्षणों में अगर किसी व्यक्ति ने उन अंतरराष्ट्रीय देशों में यात्रा की है जहां पर मंकीपॉक्स के मामले आ रहे हैं, व्यक्ति के स्किन में निशान हैं, बुखार, आंखों में लाल पन, जोड़ों में दर्द है तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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