देहरादून: हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर अब उत्तराखंड राज्य में बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाने जा रही है. परेशान किसानों को राहत देने के लिए सरकार जल्द ही बंदरों को वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव लाने जा रही है.
प्रदेश में बंदरों की समस्या से निपटने के लिए लगातार सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते रहे हैं. क्योंकि सूबे के किसान और बागवान से लेकर शहरी इलाकों के लोग बंदरों की आतंक से परेशान हैं. ऐसे में लोगों को बंदरों से आतंक से निजात दिलाने के लिए सरकार कई योजनाएं लेकर आई लेकिन बंदरों की समस्या जस की तस बनी रही.
वहीं, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन राजीव भरतरी ने इस खबर की पुष्टि करते हुए प्रस्ताव पर विचार किए जाने की बात कही है. बता दें कि वर्मिन घोषित करने का मतलब बंदरों को खेती के लिए नुकसानदायक घोषित करना है, जिसके बाद बंदरों को मारा जा सकेगा. इससे पहले पड़ोसी राज्य हिमाचल में भी बंदरों को लेकर केंद्र से वर्मिन घोषित करने की मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में उत्तराखंड भी अब उसी दिशा में विचार कर रहा है.
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बता दें कि मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य वन्य जीव बोर्ड की 14वीं बैठक में बंदरों को वर्मिन घोषित करने को मंजूरी दी गई है. इस बैठक में वन मंत्री और वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे. अब इस प्रस्ताव को केंद्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया जाएगा.
हालांकि, सरकार के इस निर्णय के बाद कुछ हिन्दू संगठन या संत समाज इसका विरोध भी कर सकते हैं. दरअसल, बंदर को हिंदू धर्म में धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में सरकार का फैसला विरोध की वजह भी बन सकता है. हालांकि, सरकार इस सबसे हटकर किसानों को बंदरों से हो रहे नुकसान पर फोकस कर इसकी वर्मिन घोषित किए जाने को लेकर मंजूरी लेने की दिशा में विचार कर रही है.