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अब पौराणिक मंदिरों के दर्शन कराएगी उत्तराखंड सरकार, प्लान है तैयार - वेडिंग डेस्टिनेशन त्रिजुगी नारायण

उत्तराखंड से पीएम मोदी के अगाध स्नेह और आस्था के चलते केदारनाथ पुनर्निर्माण और फिर बदरीनाथ मास्टर प्लान जमीन पर उतारा जा रहा है. जल्द ही चारधाम के अलावा अन्य पौराणिक महत्व के मंदिरों की कायापलट का भी प्लान तैयार किया रहा है, जिससे ऑफ सीजन में भी श्रद्धालुओं आस्था में डुबकी लगा सकें. पेश है खास रिपोर्ट.

Uttarakhand government
पौराणिक मंदिर समाचार
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Published : Dec 9, 2022, 9:56 AM IST

Updated : Dec 9, 2022, 1:47 PM IST

देहरादून: पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक तीर्थाटन को लेकर लोगों का बहुत क्रेज देखने को मिला है. केवल सीजन में ही नहीं बल्कि ऑफ सीजन में भी अब पर्यटक और श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं. खासतौर से चारधाम यात्रा में कपाट बंद होने के बाद प्रदेश में मौजूद उन मंदिरों में जो कि शीतकालीन मौसम में भी खुले रहते हैं, वहां पर शीतकालीन यात्रा की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. यही वजह है कि शीतकाल में उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इन मंदिरों में के दर्शन को लेकर प्लान तैयार किया जा रहा है.

शीतकाल में बाबा केदार की डोली के दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु: बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा की अपार संभावनाएं हैं. जिस पर प्रदेश सरकार लगातार प्रयत्नशील है. उन्होंने बताया कि शीतकाल के दौरान बाबा केदारनाथ के गद्दी स्थल या फिर जहां पर भगवान केदारनाथ की डोली रखी जाती है और पूजा होती है वह उखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर है. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उखीमठ में स्थित इस ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की डोली के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन केदारनाथ धाम जैसा भव्य मंदिर परिसर ना होने के चलते उखीमठ मंदिर में वह भव्यता नहीं है. इसे देखते हुए उखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर के विकास का प्लान तैयार किया जा रहा है.

पौराणिक मंदिरों के दर्शन कराएगी उत्तराखंड सरकार

उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर सहित कई मंदिरों को बनाया जाएगा भव्य: बदरी केदार मंदिर समिति का कहना है कि उखीमठ में मौजूद पौराणिक ओंकारेश्वर मंदिर और कोठा भवन मंदिर के जीर्णोद्धार और परिसर को विकसित करने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है. उखीमठ में मौजूद इस पूरे मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण के लिए पहले चरण और दूसरे चरण की डीपीआर तैयार की जा चुकी हैं. अजेंद्र अजय ने बताया कि पहले चरण की डीपीआर 7 करोड़ की है. दूसरे चरण में 12 करोड़ की डीपीआर प्रस्तावित है. वहीं इसके बाद तीसरे चरण में मंदिर परिसर के बाहर पार्किंग और अन्य सुविधाओं को विकसित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस पूरी प्लानिंग को लेकर जहां एक तरफ राज्य और केंद्र सरकार धनराशि प्रदान कर रही हैं, तो वहीं मंदिर समिति दानदाताओं से भी संपर्क में है. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि सब कुछ सामान्य रहा तो जनवरी माह में यह निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा.

जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में पार्किंग का प्लान: वहीं उखीमठ के अलावा जोशीमठ में मौजूद नृसिंह मंदिर में भी पुनर्निर्माण के कार्य होने हैं. यहां पर मंदिर परिसर का भव्य निर्माण पहले ही किया जा चुका है. परिसर के बाहर वाहनों को पार्क करने के लिए एक व्यवस्थित पार्किंग बनाने के लिए प्लानिंग की जा रही है. इसके लिए लगातार मंदिर समिति द्वारा प्रयास किया जा रहा है. जिसको लेकर शासन स्तर पर भी पत्राचार किया जा रहा है.

वेडिंग डेस्टिनेशन त्रिजुगी नारायण मंदिर के लिए केंद्र ने मांगा प्रस्ताव: वहीं इसके अलावा भगवान शिव और पार्वती के विवाह स्थल त्रिजुगी नारायण मंदिर अभी शीतकालीन यात्रा के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन सकता है. जिसको लेकर लगातार योजना बनाई जा रही है. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि त्रिजुगी नारायण मंदिर का महत्व बेहद पौराणिक और ऐतिहासिक है. भगवान शिव और पार्वती के इस पौराणिक विवाह स्थल पर केवल देसी ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आ रहे हैं. यह पिछले कुछ सालों में एक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हुआ है. हालांकि यहां पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं या फिर पर्यटकों के लिए उस तरह की व्यवस्थाएं नहीं हैं, कि एक अच्छा आयोजन यहां पर किया जा सके.
ये भी पढ़ें: नए साल के जश्न के लिए सरोवर नगरी तैयार, नैनीताल आने से पहले पाबंदियों के बारे में जान लें

मंदिर समिति ने बताया कि नारायण मंदिर परिसर बेहद छोटा है तो वहीं मंदिर भी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है. उन्होंने बताया कि त्रिजुगी नारायण मंदिर में कई व्यवस्थाएं सुधारी जानी हैं. वहीं एक बड़ा मंदिर परिसर भी वहां पर बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसको लेकर के काम प्रोग्रेस में है. उन्होंने कहा कि त्रिजुगी नारायण मंदिर के जीर्णोद्धार और भव्य मंदिर परिसर बनाने को लेकर के उनकी केंद्रीय पर्यटन मंत्री से चर्चा हुई है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में सरकार के माध्यम से प्रस्ताव भेजने की बात कही है. यह प्रस्ताव भेजा भी जा चुका है. साथ ही मंदिर समिति को उम्मीद है कि जल्द ही इस पर कुछ सकारात्मक निर्णय आएगा.

देहरादून: पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक तीर्थाटन को लेकर लोगों का बहुत क्रेज देखने को मिला है. केवल सीजन में ही नहीं बल्कि ऑफ सीजन में भी अब पर्यटक और श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं. खासतौर से चारधाम यात्रा में कपाट बंद होने के बाद प्रदेश में मौजूद उन मंदिरों में जो कि शीतकालीन मौसम में भी खुले रहते हैं, वहां पर शीतकालीन यात्रा की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. यही वजह है कि शीतकाल में उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इन मंदिरों में के दर्शन को लेकर प्लान तैयार किया जा रहा है.

शीतकाल में बाबा केदार की डोली के दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु: बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा की अपार संभावनाएं हैं. जिस पर प्रदेश सरकार लगातार प्रयत्नशील है. उन्होंने बताया कि शीतकाल के दौरान बाबा केदारनाथ के गद्दी स्थल या फिर जहां पर भगवान केदारनाथ की डोली रखी जाती है और पूजा होती है वह उखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर है. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उखीमठ में स्थित इस ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की डोली के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन केदारनाथ धाम जैसा भव्य मंदिर परिसर ना होने के चलते उखीमठ मंदिर में वह भव्यता नहीं है. इसे देखते हुए उखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर के विकास का प्लान तैयार किया जा रहा है.

पौराणिक मंदिरों के दर्शन कराएगी उत्तराखंड सरकार

उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर सहित कई मंदिरों को बनाया जाएगा भव्य: बदरी केदार मंदिर समिति का कहना है कि उखीमठ में मौजूद पौराणिक ओंकारेश्वर मंदिर और कोठा भवन मंदिर के जीर्णोद्धार और परिसर को विकसित करने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है. उखीमठ में मौजूद इस पूरे मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण के लिए पहले चरण और दूसरे चरण की डीपीआर तैयार की जा चुकी हैं. अजेंद्र अजय ने बताया कि पहले चरण की डीपीआर 7 करोड़ की है. दूसरे चरण में 12 करोड़ की डीपीआर प्रस्तावित है. वहीं इसके बाद तीसरे चरण में मंदिर परिसर के बाहर पार्किंग और अन्य सुविधाओं को विकसित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस पूरी प्लानिंग को लेकर जहां एक तरफ राज्य और केंद्र सरकार धनराशि प्रदान कर रही हैं, तो वहीं मंदिर समिति दानदाताओं से भी संपर्क में है. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि सब कुछ सामान्य रहा तो जनवरी माह में यह निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा.

जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में पार्किंग का प्लान: वहीं उखीमठ के अलावा जोशीमठ में मौजूद नृसिंह मंदिर में भी पुनर्निर्माण के कार्य होने हैं. यहां पर मंदिर परिसर का भव्य निर्माण पहले ही किया जा चुका है. परिसर के बाहर वाहनों को पार्क करने के लिए एक व्यवस्थित पार्किंग बनाने के लिए प्लानिंग की जा रही है. इसके लिए लगातार मंदिर समिति द्वारा प्रयास किया जा रहा है. जिसको लेकर शासन स्तर पर भी पत्राचार किया जा रहा है.

वेडिंग डेस्टिनेशन त्रिजुगी नारायण मंदिर के लिए केंद्र ने मांगा प्रस्ताव: वहीं इसके अलावा भगवान शिव और पार्वती के विवाह स्थल त्रिजुगी नारायण मंदिर अभी शीतकालीन यात्रा के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन सकता है. जिसको लेकर लगातार योजना बनाई जा रही है. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि त्रिजुगी नारायण मंदिर का महत्व बेहद पौराणिक और ऐतिहासिक है. भगवान शिव और पार्वती के इस पौराणिक विवाह स्थल पर केवल देसी ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आ रहे हैं. यह पिछले कुछ सालों में एक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हुआ है. हालांकि यहां पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं या फिर पर्यटकों के लिए उस तरह की व्यवस्थाएं नहीं हैं, कि एक अच्छा आयोजन यहां पर किया जा सके.
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मंदिर समिति ने बताया कि नारायण मंदिर परिसर बेहद छोटा है तो वहीं मंदिर भी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है. उन्होंने बताया कि त्रिजुगी नारायण मंदिर में कई व्यवस्थाएं सुधारी जानी हैं. वहीं एक बड़ा मंदिर परिसर भी वहां पर बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसको लेकर के काम प्रोग्रेस में है. उन्होंने कहा कि त्रिजुगी नारायण मंदिर के जीर्णोद्धार और भव्य मंदिर परिसर बनाने को लेकर के उनकी केंद्रीय पर्यटन मंत्री से चर्चा हुई है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में सरकार के माध्यम से प्रस्ताव भेजने की बात कही है. यह प्रस्ताव भेजा भी जा चुका है. साथ ही मंदिर समिति को उम्मीद है कि जल्द ही इस पर कुछ सकारात्मक निर्णय आएगा.

Last Updated : Dec 9, 2022, 1:47 PM IST
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