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कवायद: पारंपरिक घराटों में जान फूंकेगी त्रिवेंद्र सरकार

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Published : Nov 17, 2019, 4:58 PM IST

Updated : Nov 17, 2019, 5:23 PM IST

प्रदेश सरकार पारंपरिक घराट पर जान फूंकने के लिए प्रभावी कदम उठाने जा रही है. सरकार के इसके पीछे का मकसद स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराना है.

पारंपरिक घराटों में जान फूंकेगी त्रिवेंद्र सरकार

देहरादून: उत्तराखंड राज्य की गुम हो चुके पारंपरिक घराट अब आपको दोबारा देखने को मिल सकेंगे. प्रदेश सरकार घराटों में दोबारा जान फूंकने का काम कर रही है. जल नीति के तहत प्रदेश भर के घराटों को दोबारा शुरू किया जायेगा. ताकि यहां के लोगों को रोजगार के साथ ही बिजली और चक्की का पिसा प्रोटीन युक्त आटा मिल सके.

पारंपरिक घराटों में जान फूंकेगी त्रिवेंद्र सरकार


प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते और प्रकृति से मिले अनमोल तोहफे का इस्तेमाल कर पहाड़ी क्षेत्रों में गाद-गदेरों से आने वाले पानी का इस्तेमाल कर परंपरागत रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में घराटों से ही गेहूं पिसवाकर आटा बनाते थे और इससे बिजली का भी उत्पादन करते थे.

पढ़ेंः काशीपुरः घर में चल रही थी गोदभराई की रस्म, मच गई चीख पुकार, शादी का सामान हुआ खाक

ज्यादा जानकारी देते हुए सिंचाई सचिव भूपेन्द्र कौर औलख ने बताया कि जल नीति के तहत गुम हो चुके घराटों को दोबारा जीवित किया जाएगा. ताकि इससे ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके. साथ ही उससे बनने वाली बिजली से भी कुछ लोगों की बिजली की आवश्यकता पूरी हो सकेगी. यही नहीं घराट से पिसा हुआ पौष्टिक आटा मिलेगा.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य की गुम हो चुके पारंपरिक घराट अब आपको दोबारा देखने को मिल सकेंगे. प्रदेश सरकार घराटों में दोबारा जान फूंकने का काम कर रही है. जल नीति के तहत प्रदेश भर के घराटों को दोबारा शुरू किया जायेगा. ताकि यहां के लोगों को रोजगार के साथ ही बिजली और चक्की का पिसा प्रोटीन युक्त आटा मिल सके.

पारंपरिक घराटों में जान फूंकेगी त्रिवेंद्र सरकार


प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते और प्रकृति से मिले अनमोल तोहफे का इस्तेमाल कर पहाड़ी क्षेत्रों में गाद-गदेरों से आने वाले पानी का इस्तेमाल कर परंपरागत रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में घराटों से ही गेहूं पिसवाकर आटा बनाते थे और इससे बिजली का भी उत्पादन करते थे.

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ज्यादा जानकारी देते हुए सिंचाई सचिव भूपेन्द्र कौर औलख ने बताया कि जल नीति के तहत गुम हो चुके घराटों को दोबारा जीवित किया जाएगा. ताकि इससे ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके. साथ ही उससे बनने वाली बिजली से भी कुछ लोगों की बिजली की आवश्यकता पूरी हो सकेगी. यही नहीं घराट से पिसा हुआ पौष्टिक आटा मिलेगा.

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गयी है.........
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उत्तराखंड राज्य की गुम हो चुके पारंपरिक घराट अब आपको दोबारा देखने को मिल सकेंगें। प्रदेश सरकार घराटों में दोबारा जान फूंकने का काम करेगी। जल नीति के तहत प्रदेश भर के घराटों को पुन: शुरू किया जायेगा। ताकि यहां के लोगों को रोजगार के साथ ही बिजली और चक्की का पिसा प्रोटीन युक्त आटा भी मिल सके।




Body:प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते और प्रकृति से मिले अनमोल तौफो का इस्तेमाल कर पहाड़ी क्षेत्रों में गाद-गदेरों से आने वाले पानी का इस्तेमाल कर परम्परागत रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में घराटों से ही गेहूं पिसवाकर आटा बनाते थे, और साथ ही इससे बिजली का भी उत्पादन करत थे।


वही ज्यादा जानकारी देते हुए सिंचाई सचिव भूपिन्द्र कौर औलख ने बताया कि जो पहाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों की पारम्परिक घराट, जो पानी से पनचक्किया चलती है। अब जल नीति के तहत गुम हो चुके घराटों को पुन जीवित किया जायेगा। ताकि इससे ग्रामीणों को लोकल रोजगार मिल सकेगा। साथ ही उससे बनने वाली बिजली से भी कुछ लोगो के बिजली की आवश्यकता भी पूरी हो सकेगी। यही नही घराट से पिसा हुआ अच्छा आटा मिलेगा, जो ज्यादा स्वस्थ्य है। 

बाइट - भूपिन्द्र कौर औलख, सचिव, सिचाई विभाग




Conclusion:
Last Updated : Nov 17, 2019, 5:23 PM IST
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