देहरादून: उत्तराखंड राज्य की गुम हो चुके पारंपरिक घराट अब आपको दोबारा देखने को मिल सकेंगे. प्रदेश सरकार घराटों में दोबारा जान फूंकने का काम कर रही है. जल नीति के तहत प्रदेश भर के घराटों को दोबारा शुरू किया जायेगा. ताकि यहां के लोगों को रोजगार के साथ ही बिजली और चक्की का पिसा प्रोटीन युक्त आटा मिल सके.
प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के चलते और प्रकृति से मिले अनमोल तोहफे का इस्तेमाल कर पहाड़ी क्षेत्रों में गाद-गदेरों से आने वाले पानी का इस्तेमाल कर परंपरागत रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में घराटों से ही गेहूं पिसवाकर आटा बनाते थे और इससे बिजली का भी उत्पादन करते थे.
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ज्यादा जानकारी देते हुए सिंचाई सचिव भूपेन्द्र कौर औलख ने बताया कि जल नीति के तहत गुम हो चुके घराटों को दोबारा जीवित किया जाएगा. ताकि इससे ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके. साथ ही उससे बनने वाली बिजली से भी कुछ लोगों की बिजली की आवश्यकता पूरी हो सकेगी. यही नहीं घराट से पिसा हुआ पौष्टिक आटा मिलेगा.