देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार का वित्तीय संसाधन काफी प्रभावित हुआ है. जिसके चलते वित्त विभाग ने अनुपूरक बजट के लिए तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में वित्त सचिव अमित नेगी ने आदेश जारी कर सभी विभागों से 15 अक्टूबर तक अनुपूरक मांग के प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सचिव ने अनुपूरक प्रस्ताव के तहत विभागों को बचत होने पर प्रस्ताव प्रस्तुत करने को भी कहा है.
वित्त विभाग के अनुसार राज्य सरकार किसी भी सूरत में कुल संसाधनों से अधिक के खर्च का अनुमान जारी नहीं कर सकती है. वित्त विभाग को आशंका है कि बचत होते हुए भी अनुपूरक में खर्च का प्रस्ताव करने पर खर्च से अधिक के प्रस्ताव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इस स्थिति को देखते हुए वित्त विभाग ने अनुपूरक मांगों में वचनबद्ध (वेतन, पेंशन, ब्याज आदि) पर खर्च, बाह्य सहायता, केंद्र सहायतित योजनाओं, आकस्मिक निधि प्रतिपूर्ति आदि के प्रस्तावों को उपलब्ध कराने को कहा है. इसके साथ ही विभागों को निर्देश दिए हैं कि प्रतिपूर्ति के पूर्व के लंबित मामलों के प्रस्ताव भी उपलब्ध कराए जाएं.
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बता दें कि, बचत होते हुए भी अनुपूरक मांग के प्रस्ताव पर वित्त विभाग की हिदायत अकारण नहीं है. हाल ही में सदन के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट के मुताबिक 2005-06 से लेकर 2017-18 तक का करीब 27 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में है लेकिन, इसकी स्वीकृति विधानसभा से नहीं ली गई. जाहिर है कि ये राशि पुनर्विनियोग की है. इसके साथ ही कैग ने कहा है कि प्रदेश सरकार समय रहते बचत को सरेंडर करें. जिससे इस राशि का उपयोग अन्य योजनाओं के लिए किया जा सके.
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए राज्य सरकार ने मानसून सत्र, मात्र एक दिन के लिए ही आहूत किया था. मौजूदा समय में भी स्थिति यही बनी हुई है. विभागों की ओर से अगर कम मांग आयी तो सत्र को जनवरी तक भी ले जाया जा सकता है लेकिन, अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए विधानसभा सत्र इस बात पर भी निर्भर करेगा कि विभागों की ओर से कितनी धनराशि का प्रस्ताव तैयार किए जाते हैं. हालांकि, वित्त की ओर से विभागों से प्रस्ताव इसी का आकलन करते हुए भेजने को कहा गया है.