देहरादून: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार अब देहरादून के ऐतिहासिक खेल मैदान रेंजर्स ग्राउंड (Dehradun Rangers Ground) को व्यवसायिक हाथों में देकर कमाई का जरिया बना रही है. ब्रिटिश शासन काल से मशहूर रेंजर्स ग्राउंड में जहां पिछले 37 वर्षों से उत्तरांचल गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट होनहार खिलाड़ियों के लिए करियर बनाने का जरिया बना हुआ था, लेकिन अब मैदान की रौनक में पिछले 2 वर्षों से विराम लग गया है.
रेंजर्स ग्राउंड पर धोनी ने उड़ाए थे चौके-छक्के: अंग्रेजी शासन काल से खेलों के लिए अपनी शानदार पहचान रहने रखने वाले इस रेंजर्स ग्राउंड में विश्व विख्यात क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी जैसे कई खिलाड़ी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. उसके बावजूद इस ऐतिहासिक मैदान को संजोकर रखने की बजाय देहरादून जिला प्रशासन अब इसे कमाई के रूप में संडे बाजार, ट्रेड फेयर जैसे व्यावसायिक कार्यों के लिए 'पहले आओ पहले पाओ' की नीति पर प्रतिदिन 50 हजार रुपये में किराए पर दे रहा है.
2018 से बंद हुए खेल: यही कारण है कि दशकों से अपनी विशेष पहचान रखने वाले रेंजर्स ग्राउंड में साल 2018 से क्रिकेट व फुटबॉल जैसे खेल टूर्नामेंट बंद हो गए. ऐसे खेल से जुड़े होनहार खिलाड़ी और खेल प्रेमी बेहद निराश हैं. खिलाड़ियों की मानें तो देहरादून शहर के मध्य में स्थित परेड ग्राउंड और पवेलियन जैसे मैदान पहले ही स्मार्ट सिटी सौंदर्यीकरण और राजनीतिक जैसे आयोजनों के चलते व्यस्त रहते हैं. ऐसे में शहर के बीचोंबीच एकमात्र रेंजर्स ग्राउंड ही खेल प्रेमियों की प्रतिभा निखारने का सहारा बना हुआ था. अब उसे भी व्यवसायिक कार्यक्रमों के लिए कमाई का जरिया बना दिया है.
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सीनियर क्रिकेटर दिनेश शर्मा ने जताई चिंता: देहरादून के रेंजर्स ग्राउंड में वर्षों तक क्रिकेट खेलने वाले सीनियर खिलाड़ी दिनेश शर्मा (senior cricketer dinesh sharma) ने रेंजर्स ग्राउंड के व्यावसायिक उपयोग पर चिंता जताई है. दिनेश शर्मा के मुताबिक रेंजर्स ग्राउंड जैसे ऐतिहासिक खेल के मैदान ही जब नहीं रहेंगे, तो खिलाड़ी कहां से पैदा होंगे.
सुरेश रैना और पीयूष चावला रेंजर्स ग्राउंड में खेल चुके हैं: 37 सालों से यहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के तौर पर आयोजित 'उत्तरांचल गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट' में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सहित पीयूष चावला, प्रवीन कुमार, सुरेश रैना, उन्मुक्त चंद और सीनियर खिलाड़ी चेतन चौहान जैसे दिग्गज क्रिकेटर भी अपने शुरुआती दौर में यहां क्रिकेट खेल चुके हैं. यही कारण रहा कि उत्तरांचल गोल्ड कप टूर्नामेंट में भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज महारथियों की यादें भी इस रेंजर्स ग्राउंड से भी जुड़ी हैं. सीनियर क्रिकेटर
उत्तराखंड में अब गिने चुने ही खेल के मैदान बचे हैं और जो हैं वह या तो एकेडमी में बदल चुके हैं या फिर सरकार के अधीन अन्य कार्यों में इस्तेमाल के लिए रह गए हैं. ऐसे में आम लोगों की पहुंच में रहने वाले खेल के मैदान ना के बराबर हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड में क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जैसे अन्य खेलों में काफी प्रतिभा होने के बावजूद मैदान की किल्लत होनहारों का मनोबल गिरने का सबसे बड़ी वजह बन गई है.
पत्रकारों ने भी जताई चिंता: वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन लखेड़ा (Senior Journalist Manmohan Lakheda) ने कहा कि जिस मैदान में महेंद्र सिंह धोनी जैसे दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों की यादें जुड़ी हैं, उस मैदान से अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाकर राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी पहुंचे हैं, उसी मैदान को और बेतहर करने की जगह सरकार उसका इस्तेमाल कर व्यापारिक कार्यक्रम कर राजस्व कमाने के लिए करती है, तो यह दुर्भाग्य की बात है. वरिष्ठ पत्रकार लखेड़ा के अनुसार राज्य के बच्चे और नौनिहाल जो अलग-अलग खेलों में आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए इस ऐतिहासिक रेंजर्स मैदान को खेल के लिए ना रखना चिंता का विषय है.
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उत्तराखंड शासन के अधीन है रेंजर्स ग्राउंड: देहरादून के अपर जिलाधिकारी डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने बताया कि केंद्रीय वन विभाग के अधीन रहने वाला यह मैदान अब उत्तराखंड शासन के अधीन हो गया है. ऐसे में रेंजर्स ग्राउंड में सांस्कृतिक, कल्चरल प्रोग्राम व राजनीतिक आयोजन के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है. वहीं, व्यापारिक और व्यवसाय करने वालों के लिए इस मैदान की बुकिंग पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर चलाई जा रही है, जिसके लिए जिला प्रशासन की अलग-अलग एनओसी के अलावा एक निर्धारित शुल्क रखा गया है. ADM के मुताबिक रेंजर्स मैदान को अब संडे मार्केट के लिए भी किराए पर दे दिया गया है.
रेंजर्स ग्राउंड का इतिहास: देहरादून के घंटाघर के समीप रेंजर्स ग्राउंड का इतिहास ब्रिटिश काल से चला आ रहा है. जानकारी के मुताबिक अंग्रेजी शासन काल के समय यहां नेशनल फारेस्ट रेंजर कॉलेज (NFRC) मैदान के सामने था. इसलिए ग्राउंड में फॉरेस्ट रेंजर्स अधिकारियों की परेड होती थी. देश आजाद हुआ और उसके बाद से भारत सरकार के FRI (Forest Research Institute) के पास ही इस रेंजर्स ग्राउंड का अधिकार रहा.
अंग्रेजी शासन काल में मैदान के सामने नेशनल फारेस्ट रेंजर कॉलेज (NFRC) था, जो अब चकराता रोड समीप भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (FRI) में है. हालांकि, फॉरेस्ट रिसर्च का एक बड़ा कार्यालय आज भी रेंजर्स ग्राउंड के सामने ही है. जानकारों के मुताबिक भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के अधीन वाले इस रेंजर्स ग्राउंड में पहले उत्तर प्रदेश और फिर उत्तराखंड राज्य सरकार देर-सवेर इसका इस्तेमाल करती रही. वर्तमान में देहरादून अपर जिलाधिकारी शिव कुमार के मुताबिक यह मैदान उत्तराखंड शासन के अधीन है.
होनहार खिलाड़ियों की सफलता की सीढ़ी था रेंजर्स ग्राउंड: रेंजर्स ग्राउंड में स्कूली बच्चों की खेलकूद प्रतियोगिताओं से लेकर बीते 37 साल वर्षों से 2018 तक क्रिकेट और फुटबॉल के शानदार टूर्नामेंट आयोजित हुए. तीन दशकों से भी अधिक चलने वाले उत्तरांचल गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट में देश के कई स्टार क्रिकेटरों ने अपना हुनर दिखाया. खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने और उनको नए-नए गुर सिखाने के लिए यहां बड़े-बड़े कुछ द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम भी होते रहते हैं लेकिन अब पिछले 2 साल से इसमें विराम लग चुका है. वर्तमान में देहरादून जिला प्रशासन द्वारा इसे व्यापारिक कार्यक्रमों और संस्कृति और राजनीतिक आयोजनों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.