देहरादून: उत्तराखंड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित आर्थिक संसाधनों में सिमटा हुआ है. प्रदेश के आर्थिकी का मुख्य साधन पर्यटन ही है. देश में लागू लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में पर्यटन कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ गया है. जिसके बाद राज्य सरकार पर्यटन व्यवसाय को फिर से पटरी पर लाने की रणनीति में जुट गई है. यही नहीं केंद्र सरकार पर्यटन व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए जल्द ही गाइडलाइन्स जारी करने जा रही है. जिसके बाद प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से खुल जाएगा.
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद पर्यटन व्यवसाय तो पूरी तरह से खुल जाएगा, लेकिन राज्य सरकार के पास अभी भी इसके लिए कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. उत्तराखंड राज्य में हर साल करीब 3.5 करोड़ से अधिक सैलानी घूमने आते हैं. अगर उत्तराखंड राज्य में पर्यटन फिर से शुरू होता है तो ऐसे में राज्य सरकार को तमाम व्यवस्थाएं मुकम्मल कराने की जरूरत पड़ेगी, जिसमें मुख्य रूप से होटल, धर्मशाला, होमस्टे आदि की व्यवस्थाएं प्रमुख हैं.
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उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की सुविधाओं में मुख्य रूप से रहना और खाना शामिल है. ऐसे में इस कोरोना महामारी के बीच अगर पर्यटक उत्तराखंड आते हैं तो उनके लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं जैसे होटल,धर्मशाला, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन और साफ-सफाई की व्यवस्था के साथ ही छोटी-छोटी दुकानें खोलने आदि पर जोर देना होगा. मगर अभी राज्य सरकार इन व्यवस्थाओं पर जोर नहीं दे पा रही है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार की गाइडलाइन जारी नहीं हो जाती तब तक व्यवस्थाएं शुरू नहीं की जा सकती हैं.
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प्रदेश में पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा की स्थिति
प्रदेश भर में 339 सरकारी गेस्ट हाउस हैं. जिसमें 2515 पर्यटकों के रुकने की क्षमता है
प्रदेश भर में 208 टीआरएच रेन बसेरा हैं. जिसमें 7709 यात्रियों के रुकने की क्षमता है.
प्रदेश भर में 895 आश्रम-धर्मशालाएं हैं. जिसमें 1,47,530 बिस्तरों की क्षमता है.
प्रदेश भर में 5619 निजी होटल हैं. जिसमें 1,64,526 यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है.
ऐसे में अगर राज्य सरकार, केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स का इंतजार करती है तो एक बड़ी समस्या यह भी है कि प्रदेश में तुरंत यात्रियों और पर्यटकों के के लिए इतने इंतजामात करने में राज्य सरकार को बड़ी दिक्कतें होगी. साथ ही इन्हें पूरा करने में काफी समय भी लगेगा.