देहरादून: उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. इन्हीं सीमित संसाधनों में मुख्य रूप से प्रदेश में संचालित हो रही पर्यटन गतिविधियां शामिल हैं. जिस पर न सिर्फ प्रदेश की आर्थिकी टिकी हुई है, बल्कि लाखों परिवारों की रोजी-रोटी भी जुड़ी हुई है. इसी के चलते राज्य सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने में जुटी हई है. सरकार वर्तमान समय में मौजूदा पर्यटक स्थलों की स्थिति को और बेहतर बनाने के साथ ही कई नए अन्य पर्यटक स्थलों को विकसित करने पर जोर दे रही है. ताकि राज्य में आने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो सकें और स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकें.
प्रदेश में हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी घूमने पहुंचते हैं. लेकिन सरकार नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर, पुराने स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही है. वहीं कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन से प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय प्रभावित हुआ है. ऐसे में राज्य सरकार का प्रदेश को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना कैसे साकार होगा ये बड़ा सवाल है?
13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना
उत्तराखंड राज्य बने 20 साल का समय हो गया है, लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल, विकसित नहीं हो पाया है. साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी. जिसके लिए तमाम योजनाएं भी शुरू की गई. जिसमें मुख्य रूप से 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन की कवायद शुरू की गई. इस बात को करीब साढ़े 3 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक एक भी डेस्टिनेशन पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाए हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के तमाम ऐसे पर्यटन स्थल भी हैं जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं, जिन्हें और बेहतर और विकसित किया जाना था. लेकिन अभी तक इन पर्यटन स्थलों को विकसित नहीं किया जा सका है.
बता दें कि, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद, इन 20 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. जहां साल दर साल प्रदेश में सैलानियों की संख्या बढ़ती रही वहीं सरकार के व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना बड़ी चुनौती बनी रहती है.
सीजन में बढ़ जाती है सैलानियों की आमद
सीजन में प्रदेश के सभी पर्यटक स्थल सैलानियों से पैक हो जाते हैं. प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थलों की बात करें तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी और टिहरी आदि मुख्य जगह हैं. सीजन के दौरान इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि राज्य सरकार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के दावे तो जरूर करती है, लेकिन सुविधाएं देने में लाचार दिखाई देती है. बावजूद इसके अभी तक प्रदेश में अन्य पर्यटक स्थल को विकसित नहीं कर पाई है.
रोजगार का साधन
उत्तराखंड राज्य में पर्यटकों के आने से जितना फायदा उत्तराखंड राज्य को मिल रहा है, उतनी ही चुनौतियां बढ़ रही हैं. पर्यटन राज्य के लिए एक आय का भी साधन है, इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा जरिया भी है. ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है. हालांकि राज्य सरकार, पर्यटन विभाग लगातार विकसित करने के प्रयास कर रही है, इसके बाद भी पर्यटन को पंख नहीं लग पा रहे हैं.
नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर
उत्तराखंड में पहले से चले आ रहे पर्यटन स्थलों में सेचुरेशन की स्थिति है. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम बड़े पर्यटन स्थलों में जाम की स्थिति बनी रहती है. जिसको देखते हुए शासन ने 13 जिला में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था. उसी के तहत बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है ताकि नया पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सकें. यही नहीं, प्रदेश में सीता सर्किट हाउस, सैन्य धाम इसके साथ ही प्रदेश के तमाम जगहों पर अन्य छोटे-छोटे स्थलों को विकसित करने पर शासन जोर दे रहा है. ताकि प्रदेश में काफी तादाद में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाओं के साथ ही नये पर्यटन स्थलों से भी रूबरू कराया जा सकें.
महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस योजना
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी हुई है. साल 2018 में राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था. ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले. लेकिन महाभारत सर्किट योजना प्रोजेक्ट में कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया. जिसमें बाद से ही महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकी पड़ी है. हालांकि, इसको लेकर राज्य सरकार द्वारा कई पहल किए गए, लेकिन अभी तक महाभारत सर्किट हाउस बनाने की वास्तविक तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई है.
कोरोना में पर्यटन व्यवसाय हुआ प्रभावित
साल 2013 में केदार घाटी में आयी भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों के आने की संख्या बेहद कम हो गई थी. जिसका असर साल 2014 में भी देखा गया, लेकिन साल 2014 के बाद धीरे-धीरे, पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख करने लगे और उत्तराखंड का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा. लिहाजा पिछले साल तक करीब 4 करोड़ से ज्यादा पर्यटक हर साल उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे थे. लेकिन साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के दस्तक के बाद एक बार फिर उत्तराखंड का पर्यटन पटरी से उतर गया. इस साल न के बराबर ही सैलानी उत्तराखंड पहुंचे. लिहाजा अब पर्यटन विभाग एक बार फिर पर्यटन को पटरी पर लाने की कवायद में जुटा हुआ है ताकि प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या में इजाफा हो सकें.
पर्यटन को बढ़ावा देने पर फोकस
वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इन दो दशकों में राज्य के भीतर पर्यटन के क्षेत्र में काफी विकास कार्य हुए हैं. लिहाजा अगर प्रदेश में आने वाले सैलानियों के संख्या पर गौर करें तो साल 2000 के दौरान प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या एक करोड़ थी जो अब बढ़कर चार करोड़ तक हो गई है. जो राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. साथ ही बताया कि पर्यटन के क्षेत्र में राज्य के भीतर सभी विभागों और अलग-अलग लीडरशिप के दौरान कई महत्वपूर्ण काम किए गए हैं. हालांकि मौजूदा राज्य सरकार का मुख्य रूप से पर्यटन को बढ़ाने पर फोकस रहा है. यहीं वजह है कि इन्वेस्टर समिट करा कर निजी क्षेत्रों से निवेश को बढ़ावा दिया है साथ ही एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे को भी बढ़ावा दिया गया है.
2020 में चारधाम की यात्रा वाले श्रद्धालुओं की संख्या
- यमुनोत्री धाम - 7,731
- गंगोत्री धाम - 23,837
- केदारनाथ धाम - 1,34,981
- बदरीनाथ धाम - 1,45,000