देहरादून: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य उत्तराखंड में हर साल तीन करोड़ से ज्यादा पर्यटक आते हैं. इसमें श्रद्धालुओं के साथ अन्य सैलानी भी हैं. हालांकि इस साल कोरोना की वजह से सीजन में उत्तराखंड के पर्यटन स्थल सूने पड़े रहे. जिसने न सिर्फ पर्यटन कारोबारियों की कमर तोड़ दी, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी भी चौपट हो गई थी. क्योंकि प्रदेश की आर्थिकी का बड़ा हिस्सा पर्यटन पर आधारित है. हालांकि अब इन नुकसान से उभरने के लिए सरकार ने शीतकालीन पर्यटन पर विशेष ध्यान दिया है.
अनलॉक-4 और 5 में राज्य सरकार की तरफ से छूट मिलने बाद सैलानियों के उत्तराखंड का रुख तो किया है, लेकिन अभी उतने सैलानी उत्तराखंड नहीं आ रहे है जिन्हें की उम्मीद की जा रही है. वैसे तो उत्तराखंड में कई पर्यटक स्थल ऐसे हैं, जहां पर्यटक साल भर आते हैं. लेकिन गर्मियों में ये संख्या काफी बढ़ जाती है. इसका एक बड़ा कारण चारधाम यात्रा भी है, लेकिन ये सीजन बिना पर्यटकों के ही चला गया है.
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ऐसे में अब सरकार का फोकस शीतकालीन पर्यटक पर है, ताकि लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. इससे न सिर्फ पर्यटन कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आएगी. इसके लिए सरकार प्रदेश में साहसिक गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दे रही है.
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में शीतकाल के दौरान पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए साहसिक गतिविधियों को बढ़ाया जा रहा है. हालांकि इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि पर्यटक स्थलों की जितनी कैपेसिटी है उसी के अनुसार ही पर्यटकों को वहां भेजा जाए. ताकि कोविड-19 के सभी दिशा निर्देशों का पूर्ण रुप से पालन हो सकें.