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Brazil Deaf Olympics 2022 के विजेता लगा रहे मंत्री का चक्कर, नहीं मिली सम्मान राशि

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Published : Sep 1, 2022, 12:17 PM IST

साल 2022 में ब्राजील में डेफ ओलंपिक में उत्तराखंड के दो युवा अभिनव देशवाल ने स्वर्ण पदक और शौर्य सैनी ने कांस्य पदक हासिल किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामना संदेश भी दिया गया. लेकिन राज्य सरकार इन खिलाड़ियों को प्रोत्साहन और सम्मान राशि नहीं दे रही है. यह कहना है शौर्य सैनी के पिता एससी सैनी का.

Brazil Deaf Olympics 2022
ब्राजील डेफ ओलंपिक 2022

देहरादून: साल 2022 में ब्राजील में डेफ ओलंपिक (Brazil Deaf Olympics 2022) में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव देशवाल और कांस्य पदक जीतने वाले शौर्य सैनी ने राज्य सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है. शौर्य सैनी के पिता एससी सैनी का कहना है कि राज्य सरकार इन खिलाड़ियों को प्रोत्साहन नहीं दे रही है.

शौर्य सैनी के पिता एससी सैनी का कहना है कि फरवरी 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर 24 डेफ ओलंपिक खेलों में शूटिंग के ट्रायल दिल्ली में संपन्न हुए थे. उसमें राज्य से दो खिलाड़ी शौर्य सेनी 10 मीटर एयर राइफल और अभिनव देशवाल 10 मीटर एयर पिस्टल के लिए चयनित हुए. पुरानी राइफल होने के कारण हमने अपग्रेड राइफल के लिए राज्य सरकार को तत्काल पत्र भी लिखा, लेकिन राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

विजेताओं की अनदेखी कर रही राज्य सरकार

उसके बाद जैसे ही 7 मई 2022 को शौर्य सैनी देश के लिए पदक लाते हैं, तब खेल निदेशालय हरकत में आता है. इसके बाद खिलाड़ियों और उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से प्रोत्साहित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है. लेकिन मुख्यमंत्री आश्वासन देकर विदा कर देते हैं. उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2022 को मंत्री रेखा आर्य से मुलाकात की और सम्मान राशि के लिए आग्रह किया. जिससे 2024 ओलंपिक की तैयारी के लिए वित्तीय सहायता मिल सके. उन्होंने कहा कि अब तक खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया है. इससे खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है.
पढ़ें- उत्तराखंड की शिवांगी राणा साइकिल से चढ़ गईं हिमालय, नीती माणा और पार्वती कुंड दर्रा किया फतह

अभिनव देशवाल के परिजनों का कहना है कि सम्मान राशि के लिए दोनों खिलाड़ी विगत 3 महीनों से लगातार खेल निदेशालय और खेल मंत्री के चक्कर लगा रहे हैं. ऐसे में वह अपने खेलों पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं. इससे आने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी बाधित हो रही है. उन्होंने कहा कि जब किसी ओलंपिक पदक विजेता को सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है, तो ऐसे में समझा जा सकता है कि निचले स्तर के खिलाड़ियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा होगा? उन्होंने प्रदेश की खेल नीति पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं.

देहरादून: साल 2022 में ब्राजील में डेफ ओलंपिक (Brazil Deaf Olympics 2022) में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिनव देशवाल और कांस्य पदक जीतने वाले शौर्य सैनी ने राज्य सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है. शौर्य सैनी के पिता एससी सैनी का कहना है कि राज्य सरकार इन खिलाड़ियों को प्रोत्साहन नहीं दे रही है.

शौर्य सैनी के पिता एससी सैनी का कहना है कि फरवरी 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर 24 डेफ ओलंपिक खेलों में शूटिंग के ट्रायल दिल्ली में संपन्न हुए थे. उसमें राज्य से दो खिलाड़ी शौर्य सेनी 10 मीटर एयर राइफल और अभिनव देशवाल 10 मीटर एयर पिस्टल के लिए चयनित हुए. पुरानी राइफल होने के कारण हमने अपग्रेड राइफल के लिए राज्य सरकार को तत्काल पत्र भी लिखा, लेकिन राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

विजेताओं की अनदेखी कर रही राज्य सरकार

उसके बाद जैसे ही 7 मई 2022 को शौर्य सैनी देश के लिए पदक लाते हैं, तब खेल निदेशालय हरकत में आता है. इसके बाद खिलाड़ियों और उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से प्रोत्साहित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है. लेकिन मुख्यमंत्री आश्वासन देकर विदा कर देते हैं. उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2022 को मंत्री रेखा आर्य से मुलाकात की और सम्मान राशि के लिए आग्रह किया. जिससे 2024 ओलंपिक की तैयारी के लिए वित्तीय सहायता मिल सके. उन्होंने कहा कि अब तक खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया है. इससे खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है.
पढ़ें- उत्तराखंड की शिवांगी राणा साइकिल से चढ़ गईं हिमालय, नीती माणा और पार्वती कुंड दर्रा किया फतह

अभिनव देशवाल के परिजनों का कहना है कि सम्मान राशि के लिए दोनों खिलाड़ी विगत 3 महीनों से लगातार खेल निदेशालय और खेल मंत्री के चक्कर लगा रहे हैं. ऐसे में वह अपने खेलों पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं. इससे आने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी बाधित हो रही है. उन्होंने कहा कि जब किसी ओलंपिक पदक विजेता को सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है, तो ऐसे में समझा जा सकता है कि निचले स्तर के खिलाड़ियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा होगा? उन्होंने प्रदेश की खेल नीति पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं.

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