देहरादून: उत्तराखंड वन महकमा महाराष्ट्र की तर्ज पर शोध करने पर विचार कर रहा है. इस शोध का विषय वन्यजीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर अनुकूल परिस्थितियां और वातावरण देना होगा. ताकि एक ही जगह पर बढ़ रही वन्यजीवों की संख्या के चलते मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को रोका जा सके.
बता दें कि प्रदेश में वन्यजीवों के लिए बेहतर माहौल के चलते वन्यजीवों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. ताजा आंकड़े बाघों की बढ़ी हुई संख्या और हाथियों की बढ़ रही तादाद से जुड़े हुए हैं. हाल ही में हुई गणना के बाद प्रदेश में कुल 1800 हाथी पाये गए हैं. इसी तरह उत्तराखंड में बाघों की संख्या 450 के करीब पहुंच चुकी है.
वहीं, अकेले कॉर्बेट नेशनल पार्क में ही करीब 250 बाघ मौजूद है. जबकि, तय मानकों के अनुसार कॉर्बेट में महज 125 बाघ ही रह सकते हैं. वन्यजीवों को लेकर यही स्थिति वन महकमे के लिए चिंता बढ़ा रही है. वन्यजीवों को लेकर इन्हीं हालातों पर अब उत्तराखंड वन महकमा शोध करने पर विचार कर रहा है.
दरअसल, महाराष्ट्र ने भारत सरकार से 19 करोड़ रुपए लेकर शोध शुरू किया है. इसी तर्ज पर अब उत्तराखंड भी भारत सरकार की मदद से शोध करने पर विचार कर रहा है. ताकि उत्तराखंड में बढ़ रही वन्यजीवों की संख्या को और भी बढ़ाया भी जा सके. साथ ही मानव और वन्यजीव संघर्ष को भी रोका जा सके. इसके लिए वन्यजीवों को अन्यत्र शिफ्ट किए जाने पर भी काम किया जाएगा.
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बहरहाल, उत्तराखंड में वन्यजीवों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. ऐसे स्थिति में मानव और वन्य जीव संघर्ष के मामलों में इजाफा हो रहा है. लिहाजा, यह जरूरी है कि वन महकमा और वन्यजीव संस्थान इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए. ताकि, मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोक जा सके.