देहरादून: मत्स्य विभाग के ढांचे में पुनर्गठन को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. सवाल यह उठ रहा है कि जब पहले ही पुनर्गठन के बाद डीपीसी की जा चुकी है तो फिर विभाग में दोबारा इस प्रक्रिया को चलाने का क्या औचित्य है? बहरहाल मामले को लेकर कर्मचारी संगठन ने विभागीय मंत्री से मिलकर कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित करने की मांग रखी है. जिस पर बकौल कर्मचारी विभागीय मंत्री के स्तर पर भी पदाधिकारी को पद में कटौती न किए जाने के लिए आस्वस्त किया गया है.
उत्तराखंड का मत्स्य विभाग इन दिनों 9 सहायक निदेशकों की डीपीसी होने के बाद भी इन पर आदेश न किए जाने को लेकर चर्चाओं में है. खबर है कि विभाग के ढांचे में पुनर्गठन किए जाने के बावजूद एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अनुमोदन लेकर ढांचे पुनर्गठन करवाया जा रहा है. हालांकि, इस स्थिति के बीच पुनर्गठन के बाद ढांचे में पदों की कटौती किए जाने की भी चर्चाएं आम हैं. दरअसल, यह पूरा विवाद सहायक निदेशकों के पद को लेकर हो रहा है. जानकारी के अनुसार पूर्व में हुए पुनर्गठन से पहले सहायक निदेशक के 7 पद मौजूद थे. इसके बाद ढांचे का पुनर्गठन किया गया. अब सहायक निदेशक के कुल 25 पद कर दिए गए हैं, लेकिन कुछ महीनों बाद न जानें ऐसा क्या हुआ कि विभागीय ढांचे के पिरामिडनुमा न होने की बात कहकर दोबारा पुनर्गठन की संस्तुति की कर दी गई है.
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उधर कर्मचारी संगठन के नेताओं में आशंका जताई है कि मत्स्य विभाग के ढांचे में दोबारा पुनर्गठन करने के साथ ही सहायक निदेशकों के पद में कटौती कर इन्हें महज 15 किए जाने की तैयारी की जा रही है. फिलहाल यह कर्मचारी का अंदेशा भर है, लेकिन जिस तरह पूर्व में हुए पुनर्गठन और डीपीसी होने के बाद भी आदेश नहीं किए गए उसके बाद कर्मचारियों का यह अंदेशा के सार्थक भी नजर आता है. इस मामले पर विभागीय सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा पूर्व में पुनर्गठन होते रहे हैं. ये सामान्य बात है. फिलहाल ढांचे में कोई नया पुनर्गठन होने और उसे दोबारा किए जाने जैसी कोई बात नहीं है.
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उधर दूसरी तरफ इसी मामले को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष अरुण पांडे के नेतृत्व में कर्मचारियों ने विभागीय मंत्री सौरभ बहुगुणा से बातचीत की. उनसे पुनर्गठन के नाम पर पदों में कटौती न किए जाने की बात रखी गई. प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा विभागीय मंत्री की तरफ से भी आश्वासन दिया गया है कि पदों में किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी. कर्मचारियों के हितों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
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हालांकि यह पूरा मामला विभागीय मंत्री सौरभ बहुगुणा के संज्ञान में भी है. उन्हीं के अनुमोदन पर इस पूरी कार्यवाही को किया भी जा रहा है. मगर सवाल यह उठ रहा है कि जब पूर्व में पुनर्गठन के आधार पर आयोग से डीपीसी करवा दी गई तो फिर ढांचे में दोबारा पुनर्गठन के लिए क्यों नए तर्क दिए जा रहे हैं.