देहरादून: शहर हो या फिर जंगल की आग अग्निशमन कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर आग पर काबू पाने का काम करते हैं. लेकिन जिस तरह से फायर कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर आग बुझाने का काम कर रहे हैं, आपको बता दें कि इन फायर कर्मचारियों को आग बुझाने की ट्रेनिंग ही नहीं दी जा रही है. बल्कि इन्होंने आग बुझाना मौके पर ही सीखा है.
ट्रेनिंग के नाम पर सिर्फ लिखित पढ़ाई: राज्य में 1500 कर्मचारी अग्निशमन विभाग में काम कर रहे हैं जो राज्य भर में कहीं पर भी आग लगने की सूचना पर आग बुझाने का काम करते हैं. लेकिन यह कर्मचारी बिना ट्रेनिंग के ही अपनी जान पर खेलकर ही आग बुझाने का काम कर रहे हैं. पुलिस में भर्ती होने के बाद अग्निशमन कर्मचारियों को सिर्फ आधारभूत पढ़ाई ही कराई जा रही है. इन कर्मचारियों को किसी भी तरह का कोई आग बुझाने के लिए प्रयोग नहीं करवाया जाता है.
बजट का अभाव: अग्निशमन उपनिदेशक ने बताया कि 1500 कर्मचारियों को अग्निशमन की ट्रेनिंग के लिए स्टेट फायर ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की आवश्यकता है. जहां पर फायर कर्मचारियों की बेसिक एडवांस ट्रेनिंग कराई जा सके और समय-समय पर रिफ्रेशर कोर्स भी कराया जा सके. गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में सभी विभागों के साथ पुलिस विभाग को भी इस बार अधिक बजट मिला है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अग्निशमन विभाग को इस बार भी बजट नहीं मिल पाया है. राज्य में अग्निशमन ट्रेनिंग सेंटर के अभाव में फायर कर्मचारियों की ट्रेनिंग सही प्रकार से नहीं हो पा रही है. ट्रेनिंग के लिए अग्निशमन कर्मचारियों को अन्य राज्यों जैसे पीटीसी उन्नाव, सीआईएसफ हैदराबाद और नेशनल फायर सर्विस कॉलेज नागपुर भेजा जाता है. जिस पर राज्य सरकार को अत्यधिक व्यय करना पड़ता है.
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वर्ल्ड बैंक को भेजे गये प्रपोजल पर भी मुहर नहीं: अग्निशमन के कर्मचारियों की राज्य में ही ट्रेनिंग हो सके, इसके लिए अग्निशमन ने राज्य में जमीन भी चयनित कर रखी है. जिसमें जनपद उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में 4 एकड़ भूमि उपलब्ध है और फायर स्टेशन सेलाकुई में भी लगभग 11,000 वर्ग मीटर भूमि उपलब्ध है. वहीं फायर उपनिदेशक का कहना है कि पिछले 1 साल से वर्ल्ड बैंक को 50 करोड़ का प्रपोजल भेजा हुआ है, जिसमें जिसमें बिल्डिंग, प्रशासनिक भवन, बैरक, उपकरण और बिल्डिंग हैं. लेकिन इस प्रपोजल पर आज तक मुहर नहीं लग पाई है.