देहरादून: बुधवार यानी आज संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश किया जाएगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट को पेश करेंगी. आम बजट पर देशभर की निगाहें टिकी हुई है. वहीं, उत्तराखंड को भी इस आम बजट से बड़ी उम्मीदें हैं. क्योंकि राज्य सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. ऐसे में राज्य को बड़े योजनाओं और परियोजनाओं के लिए हमेशा से ही केंद्र सरकार की मदद की दरकार रहती है. ऐसे में उत्तराखंड को किस-किस क्षेत्र में आम बजट से उम्मीदें हैं.
पर्वतीय राज्यों को है ग्रीन बोनस की उम्मीद: उत्तराखंड और हिमाचल दोनों ही पर्वतीय राज्य हैं. ऐसे में सालों से दोनों ही राज्य ग्रीन बोनस की मांग समय-समय पर केंद्र सरकार से करती रही हैं. क्योंकि दोनों ही राज्य पर्यावरण के क्षेत्र में बड़ा योगदान देते हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार हर साल आने वाली आम बजट में ग्रीन बोनस को लेकर आस लगाए बैठी रहती है. क्योंकि पर्यावरण संरक्षण के चलते कई बड़े प्रोजेक्ट को प्रदेश में अनुमति नहीं मिलती है. लिहाजा राज्य सरकार इसके एवज में ग्रीन बोनस की मांग करता है.
प्रदेश में मोबाइल कनेक्टिविटी विस्तार की दरकार: देश में भले ही 5जी की शुरुआत हो गई हो, लेकिन उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र अभी भी मोबाइल कनेक्टिविटी से काफी अधिक दूर है. कई गांव ऐसे हैं, जहां आज तक मोबाइल की घंटी भी नहीं बजी है. लिहाजा प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी बेहतर हो इसको उत्तराखंड की जनता आस लगाए बैठी है. क्योंकि दूरस्थ और सीमांत क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी की अत्यंत आवश्यकता है. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में सूचनाओं के आदान प्रदान करने में भी मोबाइल कनेक्टिविटी एक बेहतर माध्यम साबित हो सकती है. ऐसे में प्रदेश की जनता इस आम बजट से उम्मीद लगाए बैठी है कि राज्य के दूरस्थ और सीमांत क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी का विस्तार होगा.
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रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने की उम्मीद: उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में रेल कनेक्टिविटी हमेशा से ही एक बड़ी समस्या रही है. हालांकि, प्रदेश में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के तहत काम चल रहा है. साथ ही टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन के सर्वे का काम पूरा हो चुका है. इसके अलावा जिस तरह से प्रदेश के तमाम क्षेत्र विकसित हो रहे हैं, ऐसे में उन क्षेत्रों में भी रेल कनेक्टिविटी की दरकार बढ़ती जा रही है. क्योंकि मुख्य रूप से देखें तो प्रदेश में आपदा जैसे हालात बने रहते हैं. भूस्खलन और आपदा की स्थिति आने पर अधिकतर मार्ग बंद हो जाते हैं. जिसके चलते कई गांव का संपर्क कट जाता है. यही वजह है कि प्रदेश में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाए जाने को लेकर भी इस आम बजट से उत्तराखंड की जनता को उम्मीद है.
नए औद्योगिक इकाइयों की दरकार: उत्तराखंड में एचएमटी और आईडीपीएल जैसे केंद्रीय संस्थान बंद हो चुके हैं. जिसे उत्तराखंड को एक बड़ा झटका लगा है. ऐसे में केंद्र सरकार को आम बजट में उत्तराखंड के लिए कुछ ऐसा प्रावधान करना चाहिए ताकि राज्य में एक बड़ी इंडस्ट्री लगाई जा सके. ताकि लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके. इसके अलावा प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में भी रॉ मटेरियल की भरमार है. लिहाजा पर्वतीय क्षेत्र के अनुरूप इंडस्ट्री उत्तराखंड में काफी अधिक कारगर हो सकती है. जिससे किसानों की आय ना सिर्फ बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा. इसके अलावा उत्तराखंड के जो पहाड़ी उत्पाद हैं, उससे संबंधित भी प्रोसेसिंग प्लांट से उत्तराखंड को काफी अधिक फायदा मिलेगा.
जोशीमठ को आर्थिक पैकेज की दरकार: उत्तराखंड के जोशीमठ के घरों में लगातार दरारें बढ़ती जा रही हैं. राज्य सरकार राहत बचाव के कार्यों के साथ ही प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और विस्थापन को लेकर रोडमैप तैयार कर रही है. इसके अलावा जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी, लोगों और स्टेकहोल्डर्स से बातचीत कर आर्थिक राहत पैकेज भी तैयार कर रही है. जिसके तैयार होने के बाद इस राहत पैकेज को भारत सरकार को भेजा जाएगा. जिससे आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य खासकर जोशीमठ में रहने वाले लोग इस आम बजट से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि केंद्र सरकार जोशीमठ के प्रभावितों के पुनर्वास के लिए आर्थिक राहत पैकेज देगी.