देहरादून: देश में स्कूली शिक्षा के लिए भले ही देहरादून का नाम बड़े गर्व से लिया जाता रहा हो, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का ग्राफ उत्तराखंड में सबसे खराब है. ऐसे में प्रदेश के शिक्षा विभाग (Uttarakhand education department) और विभाग के मंत्री के दावों को भारत सरकार के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स 2020-2021 की रिपोर्ट ने गलत साबित कर दिया है. स्थिति यह है कि उत्तराखंड स्कूली शिक्षा के मामले में देश के सबसे निचले पायदान में पहुंच चुका है.
उत्तराखंड में शिक्षा की योजनाओं में खर्च हो रहे भारी-भरकम बजट का कुछ खास फायदा मिलता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसा हम नहीं बल्कि उन आंकड़ों से पता चलता है जिन्हें परफारमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट (performance grading index report) के रूप में सामने लाया गया है. भारत सरकार द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में उत्तराखंड के हालात बेहद खराब दिखाई देते हैं. देश के 37 राज्यों में से उत्तराखंड 35 हुए नंबर पर खड़ा दिखाई देता है. छात्रों को शिक्षा से जुड़ी सुविधाओं की बात हो या शिक्षा प्रणाली में सुधार से जुड़े कदम सभी जगह राज्य की परफॉर्मेंस बेहद खराब रही है.
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यह हालत तब है जब उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में अपने बजट को बढ़ाने की तरफ बढ़ रहा है. इतना ही नहीं शिक्षा मंत्री से लेकर विभाग के अधिकारी भी समय-समय पर शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के दावे करते हुए दिखाई देते हैं लेकिन इस सबके बीच देशभर के रिकॉर्ड में इस सारे दावे फिसड्डी साबित हो रहे हैं. हालांकि, इसके लिए विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी (Education DG Banshidhar Tiwari) एक अलग तर्क पेश कर रहे हैं.
हैरानी की बात यह है कि शिक्षा विभाग खराब परफॉर्मेंस के पीछे टेक्नोलॉजी को वजह मान रहा है. बताया जा रहा है कि प्रदेश भर में ऑनलाइन व्यवस्था ना होने के कारण उत्तराखंड की परफॉर्मेंस खराब रही है. यही नहीं भविष्य में विद्या समीक्षा केंद्र के जरिए ऑनलाइन व्यवस्थाओं को बेहतर करने के भी दावे किए जा रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन पर यह रोना तब रोया जा रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सालों साल से देश को डिजिटलाइजेशन की तरफ ले जाने की बात कह रहे हैं. यही नहीं खराब रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब राज्य स्थापना के करीब 22 सालों बाद भी पहाड़ों तक कक्षाओं को ऑनलाइन करने की बात सिर्फ मौखिक रूप से ही कही जा रही है.
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शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षकों की ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं कर पाने और इसका ऑनलाइन एसेसमेंट ना होने के कारण उत्तराखंड का ग्रेडिंग में स्थान पीछे रहा है. उधर, स्कूल मैनेजमेंट और रियल टाइम डाटा ना उपलब्ध करा पाना भी शिक्षा विभाग अपनी कमजोरी मानता है. स्थिति यह है कि उत्तराखंड के छात्र गणित के साथ ही तमाम ऐसे विषयों में बेहद कमजोर नजर गए हैं, जो बेहद जरूरी होते हैं. उधर, स्कूलों में हेड टीचर की नियुक्ति भी शिक्षा विभाग नहीं कर पा रहा है. हालांकि, इसकी वजह कोर्ट में लटके मामलों को बताया गया है.
भारत सरकार के डाटा पर नजर दौड़ाए तो उत्तराखंड को 37 राज्यों की में 35वां स्थान मिला है. देश में सबसे अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए पहले पायदान पर केरल, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे बड़े राज्य दिखाई देते हैं. वहीं, उत्तराखंड 2020 की रिपोर्ट के लिहाज से इस साल और भी खराब हालात में रहा. इस साल राज्य को केवल 719 अंक ही मिले हैं और राज्य को थर्ड ग्रेड में संतुष्ट होना पड़ा है. बड़ी बात यह है कि खराब प्रदर्शन वाले 10 राज्यों में उत्तराखंड का नाम भी शुमार है.