देहरादून: प्रदेश में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते डेंगू को लेकर लोगों के बीच पैनिक जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. क्योंकि, किसी भी व्यक्ति को बुखार आने पर ही डेंगू का टेस्ट कराने के लिए लोग अस्पताल या पैथोलॉजी लैब पहुंच रहे हैं. हालांकि, डेंगू का इलाज सिर्फ एलोपैथिक पद्धति से नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक पद्धति में भी बेहतर इलाज है. यही नहीं, डेंगू होने पर स्थितियां गंभीर न हों इसके लिए भी आयुर्वेद पद्धति में तमाम दवाइयां मौजूद हैं. जिसे प्रिकॉशन के तौर पर भी लिया जा सकता है.
आयुर्वेद डॉक्टर अर्चना कोहली ने ईटीवी भारत संवाददाता को बताया कि अगर किसी को डेंगू हो जाता है तो उसको पैनिक होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि डेंगू संक्रमित होने के बाद घर में रहकर भी ठीक हो सकते हैं. जिसके तहत सबसे पहले अपनी बॉडी को हाइड्रेट रखने पर ध्यान देना चाहिए, साथ ही ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करना चाहिए. आयुर्वेदिक दवाइयों की बात करें तो, डेंगू होने पर मरीजों को अमृतारिष्ट, आयुष-64 दिया जाता है.
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इसके अलावा आयुष विभाग की ओर से मरीजों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुष रक्षा किट दिया जाता है. आयुष किट में काढ़ा, संशमनी वटी और अश्वगंधा वटी दी जाती है. अर्चना कोहली ने बताया कि जिनको डेंगू हुआ है वो मरीज इन आयुर्वेदिक दवाइयों का इस्तेमाल कर ठीक हो सकते हैं. इसके साथ ही जिनको डेंगू नहीं हुआ है वो भी प्रिकॉशन के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं. ताकि डेंगू मच्छर के काटने का ज्यादा प्रभाव न हो. डेंगू संक्रमण जिस तरह से फैल रहा है, ऐसे में बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है, क्योंकि बच्चों की इम्यूनिटी काफी कम होती है.
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लिहाजा, बच्चों के खाने पीने पर विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही बच्चों के इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए अमृतारिष्ट दे सकते हैं. बता दें कि प्रदेश के 10 जिलों में डेंगू संक्रमण का कहर देखने को मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 1382 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है. इसके साथ ही 14 संक्रमित मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 360 मरीज डेंगू से जंग लड़ रहे हैं.