देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा और कांवड़ मेले की चुनौतियों के बीच डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ में सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है. महासंघ ने सरकार की बेरुखी और वादाखिलाफी के खिलाफ अब हड़ताल पर जाने की तैयारी कर ली है. खास बात यह है कि 12 सूत्रीय मांग में कुछ डिमांड तो ऐसी है जिसको लेकर शासनादेश भी हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इनका अनुपालन नहीं किया जा रहा है.
उत्तराखंड में डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ यूं तो पिछली कई सरकारों के सामने अपनी मांगे रख चुका है और 2015 में हड़ताल के बाद कुछ मांगों पर शासनादेश भी हो चुके हैं. लेकिन इसे डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि शासनादेश होने के बाद भी इन आदेशों का अनुपालन नहीं हो पा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि साल 2016 में तत्कालीन मुख्य सचिव के स्तर पर महासंघ की कुछ मांगों को लेकर सहमति भी बन चुकी है, लेकिन इसके बावजूद शासन में इनकी मांगों पर फाइल आगे नहीं बढ़ाई गई.
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हैरानी की बात यह है कि तत्कालीन मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने तो शासन स्तर से कुछ अधिकारियों के फाइल पर आपत्ति दर्ज करने के बाद फाइल पर यहां तक लिख दिया गया कि जब मुख्य सचिव के स्तर से पहले ही निर्णय हो चुका है तो अब इस पर कार्रवाई आगे क्यों नहीं बढ़ाई जा रही और ऐसे मामलों में निर्णय का सक्षम स्तर अधिकारी किसे मानते हैं. जाहिर है कि शत्रुघ्न सिंह की फाइल पर यह नोटिस अफसरों पर बड़ा कटाक्ष थी. लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी अब तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ ने हड़ताल करने का फैसला ले लिया है. यह स्थिति तब है जब उत्तराखंड चारधाम यात्रा और मानसून सीजन को देखते हुए पहले ही हड़ताल पर रोक लगाई गई है.
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यानी मौजूदा समय में हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी. डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ सरकार की शुरू को अच्छी तरह से जानता है. लेकिन बावजूद इसके अपनी पिछले कई सालों से लंबित मांगों को पूरा करवाने के लिए महासंघ ने हड़ताल पर जाने तक के लिए तैयारी कर ली है. महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष इंजीनियर एस एस चौहान कहते हैं कि उनकी मांगों को लेकर कई स्तर पर बातचीत हुई है और मुख्यमंत्री ने भी इन मांगों को जल्द पूरा करने का भरोसा दिलाया था. लेकिन अब तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लिहाजा संघ हड़ताल करने के लिए मजबूर है.
इस वक्त सरकार के सामने चारधाम यात्रा और कांवड़ मेले को सफलतापूर्वक पूरा करने की बड़ी चुनौती है और ऐसे समय में यदि महासंघ हड़ताल पर जाता है तो आम लोगों के घरों में पानी से लेकर बिजली आपूर्ति और सड़क निर्माण तक के काम पूरी तरह से बाधित हो जाएंगे. ऐसा हुआ तो चारधाम यात्रा और कांवड़ मेले के साथ मानसून सीजन में तमाम स्थितियों को संभालना सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा. लिहाजा आज सरकार महासंघ की होने वाली निर्णायक बैठक से पहले हल निकालने का प्रयास कर सकती है.