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न्याय दिलाने में कहां आती है पुलिस को परेशानी, सुनिए DG-LO की जुबानी

ईटीवी भारत ने उत्तराखंड के डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि न्याय दिलाने में पुलिस को कहां और क्या परेशानी आती है. देखिए स्पेशल इंटरव्यू.

देहरादून
उत्तराखंड डीजी लॉ एंड ऑर्डर से खास बातचीत
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Published : Sep 12, 2020, 2:02 PM IST

Updated : Sep 12, 2020, 2:34 PM IST

देहरादून: जब कोई भी व्यक्ति अपराध का शिकार होता है तो वह अपनी रक्षा के लिए कानून का दरवाजा खटखटाता है. इसके लिए पीड़ित व्यक्ति सबसे पहले समाज के प्रहरी पुलिस के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराता है. जिसके बाद उस पीड़ित को न्याय दिलाने में पुलिस को भी कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत ने उत्तराखंड डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि पुलिस को किन-किन मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. जानने के लिए पढ़िए और सुनिए ये खास बातचीत...

उत्तराखंड डीजी लॉ एंड ऑर्डर से खास बातचीत

डीजी अशोक कुमार की उपलब्धि

उत्तराखंड पुलिस विभाग में वर्तमान समय पर डीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर तैनात अशोक कुमार उन चुनिंदा आईपीएस में से हैं, जिनका पूरा सेवा काल पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग और पीड़ितों को न्याय दिलाने का रहा है. इसी के चलते उनका नाम आज देश के 25 टॉप मोस्ट आईपीएस अधिकारियों में शुमार है.

ये भी पढ़ें: कोरोना इफेक्ट: त्यौहारों से बंधी ऑटोमोबाइल सेक्टर की उम्मीद

देश की टॉप सूची में उत्तराखंड पुलिस

आईपीएस अशोक कुमार के मुताबिक यूपी और उत्तराखंड की पुलिसिंग में बड़ा अंतर है. हालांकि राज्य गठन के काफी समय तक उत्तर प्रदेश का आपराधिक साम्राज्य उत्तराखंड में भी हावी रहा, लेकिन पिछले 20 सालों में ऐसा अंकुश लगाने वाला कार्य किया कि आज उत्तराखंड पुलिस देश के टॉप पुलिसिंग में गिनी जाती है. फिर चाहे वह अपराध को वर्कआउट करने का कार्य हो या फिर प्रॉपर्टी रिकवरी का. इतना ही नहीं महिला अपराध से जुड़े मामलों में अब शत प्रतिशत मुकदमे लिखे जाते हैं. जिसके कारण उनको न्याय दिलाने में काफी तेजी आई है.

पीड़ितों को न्याय दिलाने में कई बार अपनों का विरोध

डीजी अशोक कुमार का साफ तौर पर कहना है कि पुलिस में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपराधियों को संरक्षण देते हुए पूरे सिस्टम को बदनाम करते आये हैं. यही वो विषय जिसके चलते कई बार लंबे समय तक बेहतर कार्य करने के बावजूद खाकी पर दाग लग जाता है. लेकिन उन्होंने हमेशा पीड़ितों को न्याय दिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. यही कारण रहा कि कई बार उनके द्वारा विभागीय सख्ती का विरोध भी कुछ अपने ही लोग निजी स्वार्थ को आगे रखकर करते आये हैं. उन्होंने कहा कि यह जिंदगी का एक हिस्सा है. जिसको पार कर आगे बढ़ते रहना है.

ड्रग्स और साइबर क्राइम सबसे बड़ी चुनौती

डीजी अशोक कुमार ने यह भी माना है कि आज उत्तराखंड में सबसे बड़ी चुनौती उभरता ऑनलाइन साइबर क्राइम है. जिस पर अंकुश लगाने के लिए तत्परता के साथ आधुनिक पुलिसिंग करनी होगी. वहीं, राज्य में ड्रग्स-नशा भी एक बड़ी समस्या है. जिसको लेकर काफी काम किया जाना बाकी है.

देहरादून: जब कोई भी व्यक्ति अपराध का शिकार होता है तो वह अपनी रक्षा के लिए कानून का दरवाजा खटखटाता है. इसके लिए पीड़ित व्यक्ति सबसे पहले समाज के प्रहरी पुलिस के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराता है. जिसके बाद उस पीड़ित को न्याय दिलाने में पुलिस को भी कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत ने उत्तराखंड डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि पुलिस को किन-किन मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. जानने के लिए पढ़िए और सुनिए ये खास बातचीत...

उत्तराखंड डीजी लॉ एंड ऑर्डर से खास बातचीत

डीजी अशोक कुमार की उपलब्धि

उत्तराखंड पुलिस विभाग में वर्तमान समय पर डीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर तैनात अशोक कुमार उन चुनिंदा आईपीएस में से हैं, जिनका पूरा सेवा काल पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग और पीड़ितों को न्याय दिलाने का रहा है. इसी के चलते उनका नाम आज देश के 25 टॉप मोस्ट आईपीएस अधिकारियों में शुमार है.

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देश की टॉप सूची में उत्तराखंड पुलिस

आईपीएस अशोक कुमार के मुताबिक यूपी और उत्तराखंड की पुलिसिंग में बड़ा अंतर है. हालांकि राज्य गठन के काफी समय तक उत्तर प्रदेश का आपराधिक साम्राज्य उत्तराखंड में भी हावी रहा, लेकिन पिछले 20 सालों में ऐसा अंकुश लगाने वाला कार्य किया कि आज उत्तराखंड पुलिस देश के टॉप पुलिसिंग में गिनी जाती है. फिर चाहे वह अपराध को वर्कआउट करने का कार्य हो या फिर प्रॉपर्टी रिकवरी का. इतना ही नहीं महिला अपराध से जुड़े मामलों में अब शत प्रतिशत मुकदमे लिखे जाते हैं. जिसके कारण उनको न्याय दिलाने में काफी तेजी आई है.

पीड़ितों को न्याय दिलाने में कई बार अपनों का विरोध

डीजी अशोक कुमार का साफ तौर पर कहना है कि पुलिस में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपराधियों को संरक्षण देते हुए पूरे सिस्टम को बदनाम करते आये हैं. यही वो विषय जिसके चलते कई बार लंबे समय तक बेहतर कार्य करने के बावजूद खाकी पर दाग लग जाता है. लेकिन उन्होंने हमेशा पीड़ितों को न्याय दिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. यही कारण रहा कि कई बार उनके द्वारा विभागीय सख्ती का विरोध भी कुछ अपने ही लोग निजी स्वार्थ को आगे रखकर करते आये हैं. उन्होंने कहा कि यह जिंदगी का एक हिस्सा है. जिसको पार कर आगे बढ़ते रहना है.

ड्रग्स और साइबर क्राइम सबसे बड़ी चुनौती

डीजी अशोक कुमार ने यह भी माना है कि आज उत्तराखंड में सबसे बड़ी चुनौती उभरता ऑनलाइन साइबर क्राइम है. जिस पर अंकुश लगाने के लिए तत्परता के साथ आधुनिक पुलिसिंग करनी होगी. वहीं, राज्य में ड्रग्स-नशा भी एक बड़ी समस्या है. जिसको लेकर काफी काम किया जाना बाकी है.

Last Updated : Sep 12, 2020, 2:34 PM IST
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