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कोरोना अपडेटः बदहाल कोविड सेंटर्स पर हाई कोर्ट सख्त, राजधानी में बने 4 नए कंटेनमेंट जोन

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के क्वारंटाइन सेंटर और कोरोना अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिये प्रदेश के सभी डीएम की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के लिए निर्देशित किया है. वहीं, राजधानी देहरादून में 4 नए कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं.

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Published : Sep 23, 2020, 10:14 PM IST

देहरादून/नैनीतालः उत्तराखंड में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में रोजाना 1हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. उधर, सूबे में कई कोविड सेंटरों की बदहाली भी छिपी नहीं है. ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के बदहाल क्वारंटाइन सेंटर और कोविड अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिए सभी जिलाधिकारियों को कमेटी का गठन करने के आदेश हैं. उधर, सूबे में कोरोना संक्रमण की बात करें तो राजधानी देहरादून में कोरोना केस सबसे ज्यादा हैं. आज देहरादून में चार और क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया, जबकि 10 क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन से मुक्त किया गया है. वहीं, पहाड़ो की रानी मसूरी में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण हर बुधवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया है. जिसका स्थानीय लोगों से लेकर व्यापारी वर्ग में नाराजगी है.

नैनीताल में बदहाल कोविड सेंटरो पर हाई कोर्ट सख्त

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के क्वारंटाइन सेंटर और कोरोना अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिये प्रदेश के सभी डीएम की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के लिए निर्देशित किया है. इस कमेटी के सदस्य सम्बंधित जिले के जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष व जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव सदस्य भी शामिल होंगे. इस कमेटी की पहली बैठक 26 सितंबर को अनिवार्य रूप से होगी. जबकि कमेटी इस बैठक की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी, जिसकी सुनवाई उसके बाद आने वाले बुधवार को होगी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है. लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधा नहीं है. जिसके बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. साथ ही माना कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, न ही ग्राम प्रधानों के पास कोई फंड उपलब्ध है.

राजधानी में बनाए गए 4 नए कंटेनमेंट जोन

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद देहरादून नगर निगम क्षेत्र में भी लगातार कन्टेंनमेंट जोन बन रहे हैं. जिसके तहत आज कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के मिलने के बाद नगर निगम क्षेत्र के 4 कन्टेंनमेंट जोन बनाये गए हैं. वहीं, कोरोना काल के बीच देहरादून जनपद में राहत देने वाली खबर भी है. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कंटेनमेंट जोन बनाए गए 10 क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन से मुक्त किया गया है.

पढ़ें: पहली बार एक ही दिन में पारित होंगे 19 विधेयक और 10 अध्यादेश

मसूरी में साप्ताहिक अवकाश पर लोगों में आक्रोश

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर मसूरी में हर बुधवार को साप्ताहिक बंद का ऐलान किया गया है. जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि जब उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्यटकों की आवाजाही पूर्ण रूप से खोल दी गई है, तो सप्ताहिक बंदी करने का कोई औचित्य नहीं है.

वहीं, स्थानीय व्यापारियों ने मसूरी व्यापार मंडल से भी आग्रह किया है कि सप्ताहिक बंद को अब हटा देना चाहिए. मसूरी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर सभी पर्यटक स्थलों पर सप्ताह में एक दिन बंद किया गया था, उस दिन पालिका और निगम द्वारा अपने शहर को सैनिटाइज किया जाना था. परंतु मसूरी नगर पालिका द्वारा शहर में पर्याप्त सैनिटाइजेशन का कार्य नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पालिका द्वारा सैनिटाइजेशन को लेकर पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. ऐसे में पालिका को सैनिटाइजेशन को लेकर ठोस कार्य करना चाहिए. जिससे मसूरी में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में पर्यटन को पूर्ण रूप से खोल दिया गया है. ऐसे में वह जिलाधिकारी और सरकार को ज्ञापन भेजकर साप्ताहिक बंद को हटाने की मांग करेंगे.

देहरादून/नैनीतालः उत्तराखंड में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में रोजाना 1हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. उधर, सूबे में कई कोविड सेंटरों की बदहाली भी छिपी नहीं है. ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के बदहाल क्वारंटाइन सेंटर और कोविड अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिए सभी जिलाधिकारियों को कमेटी का गठन करने के आदेश हैं. उधर, सूबे में कोरोना संक्रमण की बात करें तो राजधानी देहरादून में कोरोना केस सबसे ज्यादा हैं. आज देहरादून में चार और क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया, जबकि 10 क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन से मुक्त किया गया है. वहीं, पहाड़ो की रानी मसूरी में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण हर बुधवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया है. जिसका स्थानीय लोगों से लेकर व्यापारी वर्ग में नाराजगी है.

नैनीताल में बदहाल कोविड सेंटरो पर हाई कोर्ट सख्त

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के क्वारंटाइन सेंटर और कोरोना अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिये प्रदेश के सभी डीएम की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के लिए निर्देशित किया है. इस कमेटी के सदस्य सम्बंधित जिले के जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष व जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव सदस्य भी शामिल होंगे. इस कमेटी की पहली बैठक 26 सितंबर को अनिवार्य रूप से होगी. जबकि कमेटी इस बैठक की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी, जिसकी सुनवाई उसके बाद आने वाले बुधवार को होगी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है. लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधा नहीं है. जिसके बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. साथ ही माना कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, न ही ग्राम प्रधानों के पास कोई फंड उपलब्ध है.

राजधानी में बनाए गए 4 नए कंटेनमेंट जोन

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद देहरादून नगर निगम क्षेत्र में भी लगातार कन्टेंनमेंट जोन बन रहे हैं. जिसके तहत आज कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के मिलने के बाद नगर निगम क्षेत्र के 4 कन्टेंनमेंट जोन बनाये गए हैं. वहीं, कोरोना काल के बीच देहरादून जनपद में राहत देने वाली खबर भी है. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कंटेनमेंट जोन बनाए गए 10 क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन से मुक्त किया गया है.

पढ़ें: पहली बार एक ही दिन में पारित होंगे 19 विधेयक और 10 अध्यादेश

मसूरी में साप्ताहिक अवकाश पर लोगों में आक्रोश

कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर मसूरी में हर बुधवार को साप्ताहिक बंद का ऐलान किया गया है. जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. लोगों का कहना है कि जब उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्यटकों की आवाजाही पूर्ण रूप से खोल दी गई है, तो सप्ताहिक बंदी करने का कोई औचित्य नहीं है.

वहीं, स्थानीय व्यापारियों ने मसूरी व्यापार मंडल से भी आग्रह किया है कि सप्ताहिक बंद को अब हटा देना चाहिए. मसूरी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर सभी पर्यटक स्थलों पर सप्ताह में एक दिन बंद किया गया था, उस दिन पालिका और निगम द्वारा अपने शहर को सैनिटाइज किया जाना था. परंतु मसूरी नगर पालिका द्वारा शहर में पर्याप्त सैनिटाइजेशन का कार्य नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पालिका द्वारा सैनिटाइजेशन को लेकर पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. ऐसे में पालिका को सैनिटाइजेशन को लेकर ठोस कार्य करना चाहिए. जिससे मसूरी में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में पर्यटन को पूर्ण रूप से खोल दिया गया है. ऐसे में वह जिलाधिकारी और सरकार को ज्ञापन भेजकर साप्ताहिक बंद को हटाने की मांग करेंगे.

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