देहरादूनः उत्तराखंड में मतदान के बाद से ही पोस्टल बैलेट को लेकर हंगामा मचा है. कुछ वीडियो के माध्यम से भाजपा पर कांग्रेस आरोप लगा रही है और निर्वाचन आयोग को भी इसकी शिकायत की गई है. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार कांग्रेस इसे इतनी गंभीरता से क्यों ले रही है. पोस्टल बैलेट की राजनीति के पीछे वह कौन सी बातें हैं जो भाजपा को राहत दे रही है और कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. आखिर उत्तराखंड में पोस्टल बैलेट पर चुनाव के बाद इस बार इतना घमासान क्यों मच गया है.
यूं तो राजनीतिक दलों का भविष्य ईवीएम और पोस्टल बैलेट में बंद हो चुका है. लेकिन प्रदेश की दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के बीच राजनीतिक लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. इस बार मतदान के बाद भी कांग्रेस और भाजपा के बीच पोस्टल बैलेट को लेकर सीधी जंग दिखाई दे रही है. हालांकि, दोनों ही दल खुद को सत्ता के करीब बता रहे हैं. लेकिन पोस्टल बैलेट पर कांग्रेस कुछ घबराई हुई दिखाई दे रही है. हालांकि, कांग्रेस कि यह घबराहट बेवजह नहीं है. इसके पीछे एक ऐसा बड़ा कारण है जिसने कांग्रेस को इस मुद्दे पर आक्रामक किया हुआ है.
दरअसल, पिछले दिनों पोस्टल बैलेट को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए और जिसके बाद एक मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है. कांग्रेस ने इसके बाद से ही पोस्टल बैलेट पर ऐसा हंगामा मचाया कि भाजपा को ना चाहते हुए भी इसका जवाब देना पड़ रहा है. अब जानिए कि इस बार पोस्टल बैलेट पर ही कांग्रेस की निगाहें क्यों टिकी है और कांग्रेस की घबराहट की पीछे की वजह क्या है?.
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- उत्तराखंड में मौजूदा चुनाव के दौरान करीब 20 सीटों पर 500 से 1500 वोट के बीच हार-जीत का संभावित फैसला कांग्रेस की डर की वजह बना है.
- उत्तराखंड में कुल वोटर्स के 3.9% पोस्टल बैलेट समीकरण बदल सकते हैं.
- राज्य में 3 लाख 12 हजार से ज्यादा पोस्टल बैलेट, 93 हजार से ज्यादा सर्विस वोटर, 80 साल से अधिक के 1 लाख 65 हजार वोटर और दिव्यांग वोटरों की संख्या 53 हजार से ज्यादा है.
- प्रदेश की विधानसभाओं में 300 से लेकर 4000 तक पोस्टल बैलेट मौजूद हैं.
जाहिर है कि इस बार जंग बेहद करीबी है. इस करीबी जंग में पोस्टल बैलेट की कम संख्या भी हार-जीत का फैसला कर सकती है. यही नहीं, कर्णप्रयाग जैसे सीट पर तो करीब 3 से 4 हजार तक पोस्टल बैलेट मौजूद हैं, जो किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत का फैसला कर सकते हैं. कांग्रेस को डर सता रहा है कि भाजपा सरकार का दुरुपयोग कर इन पोस्टल बैलेट में गड़बड़ी कर प्रत्याशियों के हार जीत के परिणाम को बदल सकती है. इस मामले पर कांग्रेस नेता तमाम तरह के अंदेशे भी व्यक्त कर कहे हैं.
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कांग्रेस के कैंट सीट से प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि पोस्टल बैलेट को लेकर शुरू से ही भाजपा कटघरे में खड़ी रही है. ऐसे में एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से साफ पता लगता है कि भाजपा चुनाव को किस कदर प्रभावित करने का काम करती है. वहीं, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि पोस्टल बैलेट में बड़ा खेल हुआ है. जिसको लेकर भाजपा पूरी तरीके से लोगों के सामने बेनकाब हो गई है.
वहीं, इस मामले में भाजपा कुछ राहत की सांस ले रही है. क्योंकि भाजपा जानती है कि पिछले परिणामों के लिहाज से चुनावी परिणाम इस बात की गवाही देते हैं कि पोस्टल बैलेट में भाजपा कांग्रेस से एक हाथ आगे ही रहती है. ऐसे में सीधे मतदान पर कड़ा मुकाबला होने की स्थिति में पोस्टल बैलेट भाजपा के प्रत्याशी को जीत की दहलीज तक पहुंचा सकते हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र जुगरान का कहा कि कांग्रेस सिर्फ बौखलाहट में इस तरीके के बयान देकर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है. उन्हें पता है कि शुरुआत से ही सैनिक व पूर्व सैनिक भाजपा के पक्ष में ही मतदान करते रहे हैं. ऐसे में इस तरीके के वीडियो वायरल करके सिर्फ कांग्रेस चर्चाओं में ही बनी रहना चाहती है.