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चुनावी दंगल 2022: फिर घूमेगा जीत का चक्र या गुटबाजी पड़ेगी भारी, कैसी है कांग्रेस की तैयारी?

विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण प्रदेश में राजनीति गरमाई हुई है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच लगातार निशाना साधने और आलोचनाओं का दौर जारी है. हालांकि, सियासी पंडितों का कहना है कि कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना है तो गंभीरता के साथ संगठन स्तर पर बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं को खड़ा करना होगा.

Assembly elections 2022
विधानसभा चुनाव 2022
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Published : Aug 25, 2020, 3:44 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 4:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं लेकिन अभी से सभी बड़ी पार्टियों के बीच हलचल तेज हो गई है. जहां आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है वहीं कांग्रेस भी अपना खोया वर्चस्व हासिल करने के लिये त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक मोर्चा खोले हुए हैं.

प्रदेश की सियासत में इन दिनों नई राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है. बावजूद इसके जो सूरते हाल इस वक्त कांग्रेस का होना चाहिए था वह शायद नहीं दिखाई दे रहा है. कांग्रेस की कमजोरी और मौजूदा प्रदेश नेतृत्व की ढिलाई का फायदा आगामी विधानसभा में मौजूदा सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के लिए वरदान साबित हो सकता है.

कांग्रेस में अनेकों गुट खुद को मजबूत करने की जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं. एक ओर जहां कांग्रेस जनता से सरोकार रखने वाले जन मुद्दों को पूरी तरह से कैच नहीं कर पा रही है तो वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी, सरकार को जन कल्याणकारी मुद्दों पर आइना दिखाने का दम भरने लगी है.

विधानसभा चुनाव 2022 के लिये कैसी है कांग्रेस की तैयारी?

बीजेपी को फिर हो सकता है कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा

कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का फायदा बीजेपी ने पहले भी कई बार उठाया है. पहले भी 2002 से 2007 तक एनडी तिवारी के शासनकाल वाली कांग्रेस सरकार में कांग्रेस की गुटबाजी कई बार सुर्खियों में रही थी. नतीजा 2007 में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी. इसके बाद 2012 में एक बार फिर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया लेकिन, उस दौरान भी कांग्रेस की आपसी गुटबाजी न सिर्फ उत्तराखंड के चर्चाओं में रही बल्कि देश के कोने-कोने तक पहुंची. तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को कुर्सी से उतारकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंप देने के बाद ही कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई थी.

पढ़ें- उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: बीजेपी की आंधी में टिक पाएगा थर्ड फ्रंट?

दोनों पार्टियों का ही रहा है वर्चस्व

साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता पर काबिज हुई थी. साल 2007 में सत्ता परिवर्तन हुआ और सत्ता पर भाजपा काबिज हो गई. इसके बाद फिर से सत्ता पर काबिज होने का चक्र घूमा और साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को फिर एक बार सत्ता में आने का मौका मिला. लिहाजा अगर उत्तराखंड राज्य की सत्ता पर काबिज होने को सिलसिलेवार देखा जाए तो साल 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए झटका और कांग्रेस के लिए सफलता साबित हो सकता है.

सवा साल में कितनी मजबूत विपक्ष बनी कांग्रेस?

चुनाव से पहले का वक्त विपक्ष के लिये बेहद जरूरी माना जाता है. यही वो वक्त है जब सत्ता पक्ष को जन मुद्दों पर घेरकर विपक्ष अपनी आवाज को बुलंद करने के साथ ही एक रणनीति बनाने का काम करता है. ऐसे में कांग्रेस की ढिलाई और आपसी गुटबाजी क्या कांग्रेस को मजबूत बना रही है? दिनों-दिन बढ़ती महंगाई हो, कोरोना महामारी के संकट काल में सरकार के कामकाज पर निगरानी करना हो या मौजूदा सरकार के तमाम विधायकों और मंत्रियों के कामकाज पर नजर रखना हो. विपक्ष हर मुद्दे को लेकर कमजोर नजर आई है. विपक्ष की ढिलाई शायद बीजेपी को आगामी चुनाव में भरपूर मौका देती नजर आ रही है. जो समय संगठन को मजबूत कर, सरकार को आइना दिखाने का था उस समय कांग्रेस अपनी फाइनल रणनीति बनाने में भी विफल नजर आ रही है.

पढ़ें- हरक ने हरदा को बताया पिटा हुआ मोहरा, कहा- कुछ भूलों की नहीं होती भरपाई

क्या कहते हैं सियासी पंडित?

वहीं, सियासी पंडित भगीरथ शर्मा ने बताया कि प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन इस दौरान जो कार्यक्रम संगठन की तरफ से होना चाहिए, वो दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकि, उस कमी को हरीश रावत बखूबी भर रहे हैं, लेकिन इससे जनता के बीच कांग्रेस में दो गुटों के होने का संदेश जा रहा है.

उन्होंने बताया कि ऐसे में अगर जनता विकल्प की तलाश करें तो उसे यह भी लगेगा कि कांग्रेस में अभी भी गुटबाजी जारी है. कांग्रेस को अपनी स्थिति सुधारने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को लड़ना है तो गंभीरता के साथ संगठन स्तर पर बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं को खड़ा करना होगा.

क्या कहती है बीजेपी?

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने बताया कि ऐसे लोग जिन्हें देश और समाज का समझ नहीं है वह कांग्रेस के लीडर हैं. यही वजह है कि न ही कांग्रेस के पास विश्वासपात्र लीडर हैं और न ही समर्पित कार्यकर्ता हैं. उत्तराखंड कांग्रेस का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होता है जिसमें कांग्रेसी नेताओं का विवाद न हो. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता न ही किसी को नेता मानते हैं और न ही किसी को प्रदेश अध्यक्ष मानते हैं.

'आप' ने भी साधा निशाना

उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर आगामी चुनाव लड़ने का दम भरने वाली आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रविंदर आनंद ने भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि उत्तराखंड राज्य में कांग्रेस न होकर नेताओं की अलग-अलग कांग्रेस बन गई है. कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता सिर्फ और सिर्फ नेताओं के पीछे काम करते हैं. उनका दावा है कि आगामी दो-तीन महीने बाद कांग्रेस कहीं भी दिखाई नहीं देगी.

कांग्रेस की सफाई

कांग्रेस के मौजूदा स्थिति के सवाल पर प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने सफाई देते हुए बताया कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है. हालांकि, साल 2002 में जब विधानसभा चुनाव था उस समय कांग्रेस में विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज, इंदिरा हृदयेश और हरीश रावत समेत चार कोंण थे, जोकि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार थे. बावजूद इसके कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. उनका कहना है कि कांग्रेस एक संभावनाओं से भरी हुई पार्टी है और सभी को यही लगता है कि 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर काबिज होगी. कांग्रेस में जितनी भी नेता हैं वह कितनी भी तरह की बात कर लें, लेकिन सब सोनिया गांधी के नेतृत्व में 2022 विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए एक हैं.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं लेकिन अभी से सभी बड़ी पार्टियों के बीच हलचल तेज हो गई है. जहां आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है वहीं कांग्रेस भी अपना खोया वर्चस्व हासिल करने के लिये त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक मोर्चा खोले हुए हैं.

प्रदेश की सियासत में इन दिनों नई राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है. बावजूद इसके जो सूरते हाल इस वक्त कांग्रेस का होना चाहिए था वह शायद नहीं दिखाई दे रहा है. कांग्रेस की कमजोरी और मौजूदा प्रदेश नेतृत्व की ढिलाई का फायदा आगामी विधानसभा में मौजूदा सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के लिए वरदान साबित हो सकता है.

कांग्रेस में अनेकों गुट खुद को मजबूत करने की जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं. एक ओर जहां कांग्रेस जनता से सरोकार रखने वाले जन मुद्दों को पूरी तरह से कैच नहीं कर पा रही है तो वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी, सरकार को जन कल्याणकारी मुद्दों पर आइना दिखाने का दम भरने लगी है.

विधानसभा चुनाव 2022 के लिये कैसी है कांग्रेस की तैयारी?

बीजेपी को फिर हो सकता है कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा

कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का फायदा बीजेपी ने पहले भी कई बार उठाया है. पहले भी 2002 से 2007 तक एनडी तिवारी के शासनकाल वाली कांग्रेस सरकार में कांग्रेस की गुटबाजी कई बार सुर्खियों में रही थी. नतीजा 2007 में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी. इसके बाद 2012 में एक बार फिर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया लेकिन, उस दौरान भी कांग्रेस की आपसी गुटबाजी न सिर्फ उत्तराखंड के चर्चाओं में रही बल्कि देश के कोने-कोने तक पहुंची. तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को कुर्सी से उतारकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंप देने के बाद ही कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई थी.

पढ़ें- उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022: बीजेपी की आंधी में टिक पाएगा थर्ड फ्रंट?

दोनों पार्टियों का ही रहा है वर्चस्व

साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता पर काबिज हुई थी. साल 2007 में सत्ता परिवर्तन हुआ और सत्ता पर भाजपा काबिज हो गई. इसके बाद फिर से सत्ता पर काबिज होने का चक्र घूमा और साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को फिर एक बार सत्ता में आने का मौका मिला. लिहाजा अगर उत्तराखंड राज्य की सत्ता पर काबिज होने को सिलसिलेवार देखा जाए तो साल 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए झटका और कांग्रेस के लिए सफलता साबित हो सकता है.

सवा साल में कितनी मजबूत विपक्ष बनी कांग्रेस?

चुनाव से पहले का वक्त विपक्ष के लिये बेहद जरूरी माना जाता है. यही वो वक्त है जब सत्ता पक्ष को जन मुद्दों पर घेरकर विपक्ष अपनी आवाज को बुलंद करने के साथ ही एक रणनीति बनाने का काम करता है. ऐसे में कांग्रेस की ढिलाई और आपसी गुटबाजी क्या कांग्रेस को मजबूत बना रही है? दिनों-दिन बढ़ती महंगाई हो, कोरोना महामारी के संकट काल में सरकार के कामकाज पर निगरानी करना हो या मौजूदा सरकार के तमाम विधायकों और मंत्रियों के कामकाज पर नजर रखना हो. विपक्ष हर मुद्दे को लेकर कमजोर नजर आई है. विपक्ष की ढिलाई शायद बीजेपी को आगामी चुनाव में भरपूर मौका देती नजर आ रही है. जो समय संगठन को मजबूत कर, सरकार को आइना दिखाने का था उस समय कांग्रेस अपनी फाइनल रणनीति बनाने में भी विफल नजर आ रही है.

पढ़ें- हरक ने हरदा को बताया पिटा हुआ मोहरा, कहा- कुछ भूलों की नहीं होती भरपाई

क्या कहते हैं सियासी पंडित?

वहीं, सियासी पंडित भगीरथ शर्मा ने बताया कि प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन इस दौरान जो कार्यक्रम संगठन की तरफ से होना चाहिए, वो दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकि, उस कमी को हरीश रावत बखूबी भर रहे हैं, लेकिन इससे जनता के बीच कांग्रेस में दो गुटों के होने का संदेश जा रहा है.

उन्होंने बताया कि ऐसे में अगर जनता विकल्प की तलाश करें तो उसे यह भी लगेगा कि कांग्रेस में अभी भी गुटबाजी जारी है. कांग्रेस को अपनी स्थिति सुधारने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को लड़ना है तो गंभीरता के साथ संगठन स्तर पर बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं को खड़ा करना होगा.

क्या कहती है बीजेपी?

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने बताया कि ऐसे लोग जिन्हें देश और समाज का समझ नहीं है वह कांग्रेस के लीडर हैं. यही वजह है कि न ही कांग्रेस के पास विश्वासपात्र लीडर हैं और न ही समर्पित कार्यकर्ता हैं. उत्तराखंड कांग्रेस का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होता है जिसमें कांग्रेसी नेताओं का विवाद न हो. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता न ही किसी को नेता मानते हैं और न ही किसी को प्रदेश अध्यक्ष मानते हैं.

'आप' ने भी साधा निशाना

उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर आगामी चुनाव लड़ने का दम भरने वाली आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रविंदर आनंद ने भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. उनका कहना है कि उत्तराखंड राज्य में कांग्रेस न होकर नेताओं की अलग-अलग कांग्रेस बन गई है. कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता सिर्फ और सिर्फ नेताओं के पीछे काम करते हैं. उनका दावा है कि आगामी दो-तीन महीने बाद कांग्रेस कहीं भी दिखाई नहीं देगी.

कांग्रेस की सफाई

कांग्रेस के मौजूदा स्थिति के सवाल पर प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने सफाई देते हुए बताया कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है. हालांकि, साल 2002 में जब विधानसभा चुनाव था उस समय कांग्रेस में विजय बहुगुणा, सतपाल महाराज, इंदिरा हृदयेश और हरीश रावत समेत चार कोंण थे, जोकि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार थे. बावजूद इसके कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. उनका कहना है कि कांग्रेस एक संभावनाओं से भरी हुई पार्टी है और सभी को यही लगता है कि 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर काबिज होगी. कांग्रेस में जितनी भी नेता हैं वह कितनी भी तरह की बात कर लें, लेकिन सब सोनिया गांधी के नेतृत्व में 2022 विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए एक हैं.

Last Updated : Aug 25, 2020, 4:27 PM IST
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